रांची: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. इसके उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए. कार्यक्रम में झारखंड से राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल हुए.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस में सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री, राज्यों के विश्वविद्यालयों के कुलपति और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी सम्मिलित हुए.
राष्ट्रपति का संबोधन
नई शिक्षा नीति में इस बात पर बल दिया गया है कि हम सबको भारतीय जीवन-मूल्यों पर आधारित आधुनिक शिक्षा प्रणाली विकसित करनी है. इसके साथ ही यह भी प्रयास करना है कि सभी को उच्च गुणवत्ता से युक्त शिक्षा प्राप्त हो और एक जीवंत व समता-मूलक नॉलेज सोसाइटी का निर्माण हो.
1968 की शिक्षा नीति से लेकर इस शिक्षा नीति तक, एक स्वर से निरंतर यह स्पष्ट किया गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर सार्वजनिक शिक्षा के क्षेत्र में GDP के 6% निवेश का लक्ष्य रखना चाहिए. 2020 की शिक्षा नीति में इस लक्ष्य तक शीघ्रता से पहुंचने की अनुशंसा की गई है.
प्रधानमंत्री का संबोधन
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भविष्य को ध्यान में रखते हुए व्यापक प्रावधान किए गए हैं. जैसे-जैसे तकनीक का विस्तार गांवों तक हो रहा है. वैसे-वैसे सूचना और शिक्षा का एक्सेस भी बढ़ रहा है. पीएम ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम हर कॉलेज में तकनीकी सॉल्यूशंस को ज्यादा प्रमोट करें. लंबे समय से ये बातें उठती रही हैं कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्जाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दबे जा रहे हैं. इस पॉलिसी में इस समस्या को प्रभावी तरीके से एड्रेस किया गया है.
उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति, पढ़ने के बजाय सीखने पर फोकस करती है और पाठ्यक्रम से और आगे बढ़कर गहन सोच पर जोर देती है. इस पॉलिसी में प्रक्रिया से ज्यादा जुनून, व्यावहारिकता और प्रदर्शन पर बल दिया गया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सही मायने में बिना दबाव के, बिना अभाव और बिना प्रभाव के सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों को हमारी शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनाया गया है.
देश की आकांक्षाओं को पूरा करने का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है. शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं, लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए. पीएम ने कहा कि मैं सर्वप्रथम राष्ट्रपति जी का आभार व्यक्त करता हूं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में ये आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण है. शिक्षा जगत का सैकड़ों वर्षों का अनुभव यहां एकत्रित है.