रांची: नामकुम के बगैचा में स्टेन की स्मृति में शोक सभा आयोजित की गई. इस शोक सभा में सीएम हेमंत सोरेन भी पहुंचे और उन्होंने फादर स्टेन स्वामी को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि अगर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार नहीं किया गया होता तो शायद वह कुछ और समय तक जिंदा होते. सीएम ने कहा कि उनके जाने से समाज में जो एक शून्यता पैदा हुई है उसे भरा नहीं जा सकता है.
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सीएम हेमंत सोरेन का केंद्र पर निशाना
सीएम हेमंत सोरेन ने फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार पर भी निशना साधा. उन्होंने कहा कि गरीबों, वंचितों और आदिवासियों की आवाज उठाने वाले स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर केंद्र सरकार अपने विरोध की हर आवाज को दबाना चाहती है. उन्होंने कहा कि स्टेन को झारखंड से यूएपीए लगाकर गिरफ्तार किया गया. मौजूदा व्यवस्था में जिस तरीके से देश में एक नया अध्याय लिखा रहा है उस कुचक्र में फादर स्टेन ही अकेले नहीं फंसे, बल्कि अनेक नेता और छात्र जो मौजूदा व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.
सीएम ने की मीडिया की आलोचना
सीएम हेमंत सोरेन ने मेन स्ट्रीम मीडिया की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि आज बड़े मीडिया घराने आदिवासियों, दलितों और वंचितों को अपना पसंदीदा विषय नहीं मानते हैं. उन्होंने कहा कि फादर स्टेन स्वामी आदिवासी के लिए लड़े इस कारण उन्हें काफी प्रताड़ना झेलनी पड़ी. सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी की सोच को आगे ले जाना है, जहां हर आदिवासी, दलित और वंचित को उसका अधिकार मिल सके.
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क्यों हुई थी फादर स्टेन की गिरफ्तारी
महाराष्ट्र के पुणे के भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को दलित समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम हुआ था. एलगार परिषद के इस कार्यक्रम दौरान हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान भीड़ ने कई गाड़ियां जला दीं इसके अलावा कई दुकानों में भी तोड़फोड़ की. इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई जबकि कई घायल हुए. एल्गार परिषद के कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में स्टेन स्वामी को पिछले साल अक्टूबर में NIA ने गिरफ्तार किया था. उनके ऊपर प्रतिंबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) का सदस्य होने का आरोप भी था. हालांकि, स्टेन स्वामी इन आरोपों को खारिज करते रहे.
फादर स्टेन पर लगे अन्य आरोप
फादर स्टेन की साथी दामू वानरा ने बताया कि स्वामी लगातार कहते थे कि गरीबों, आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ो, लेकिन कानून अपने हाथ में न लो. वह स्वयं पहले खूंटी के पत्थलगड़ी आंदोलन में कानून अपने हाथ में लेने और आदिवासियों को भड़काने के मामलों में पुलिस प्राथमिकी में आरोपी बनाए गए थे. स्टेन स्वामी पर पत्थलगढ़ी आंदोलन के मुद्दे पर तनाव भड़काने के लिए झारखंड सरकार के खिलाफ बयान जारी करने के आरोप थे. झारखंड की खूंटी पुलिस ने स्टेन स्वामी समेत 20 लोगों पर राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया था.