रांची: बड़े पैमाने पर सॉफ्टवेयर में गलत इंट्री कर झारखंड में भूमि का अवैध निबंधन और दाखिल खारिज मामले की जांच अब सीआईडी के द्वारा की जाएगी. झारखंड सरकार के राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने इस संबंध में राज्य सरकार के गृह विभाग को सीआईडी जांच के लिए प्रस्ताव भेजा था.
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सीआईडी करेगी केस को टेकओवर
राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के प्रस्ताव पर गृह विभाग की सहमति मिलने के बाद अब झारखंड सीआईडी को रांची के खेलगांव थाने में दर्ज केस को टेकओवर करने का निर्देश दिया गया है. सीआईडी के डीएसपी स्तर के अधिकारी को केस का जांच पदाधिकारी बनाया जाएगा. वही गृह विभाग से सहमति के बाद सीआईडी ने केस टेकओवर की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
क्या है पूरा मामला
रांची के बड़गाई सीओ के द्वारा 18 दिसंबर 2020 को नरेंद्र गोप, मनन गोप और झारखंड एनआईसी के अज्ञात अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ खेलगांव ओपी में एफआईआर दर्ज करायी गई थी. एफआईआर में बताया गया था कि बड़गाईं अंचल की गैरमजरूआ भूमि की जमाबंदी और अतिक्रमण किया जा रहा है. जांच के क्रम में होटवार मौजा के थाना संख्या 180 के प्लॉट संख्या 1004, 1042, 1062, 1063, 1065, 1093, 1099, 1139, 1161, 1180, 1206, 1211, 1228, 179, 182, 30, 42, 463, 466, 488, 674, 520, 542, 640, 780, 832, 833, 926, एवं 953 के तहत कुल 54.75 एकड़ जमीन की भूमि जमाबंदी नगनारायण सिंह के नाम पर पायी गई है. लेकिन यह पूरी जमीन सरकारी थी. जांच में यह तथ्य सामने आया कि राज्य सरकार के एनआईसी के अधिकारियों की मिलीभगत से रजिस्टर 2 में अवैध जमाबंदी व वंशज कायम दर्ज किया गया था.
कैसे की गई गड़बड़ी
जांच में यह बात भी सामने आयी है कि वर्तमान में खतियान में जमींदार के कॉलम में शिवदेनी चौधरी का नाम दर्ज है. जबकि रांची के जिला अभिलेखागार व अंचल कार्यालय में उपलब्ध मूल कागजात में यह कॉलम खाली है. तीन जुलाई 2017 को ऑनलाइन डाउनलोड किए गए खतियान में भी यह प्रविष्टि दर्ज नहीं है. इससे स्पष्ट है कि इस तारीख के बाद खतियान के जमींदार कॉलम में मिलीभगत कर इंट्री की गई। इस मामले में जब खतियान सुधार के पहलुओं पर जांच की गई तो एलआरडीसी या अंचल से भी सुधार की बात सामने नहीं आयी.
दो पर दर्ज है नामजद एफआईआर
जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद स्व नगनारायण सिंह के बेटो नरेंद्र गोप व मनन गोप को नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया गया था. लेकिन कथित रैयतों ने मौखिक तौर पर जानकारी दी कि जमाबंदी किस प्रकार कायम हुई, उसकी जानकारी उन्हें नहीं है. दोनों ने जमीन पर किसी प्रकार का दावा भी नहीं किया. लेकिन जांच में आए तथ्यों के आधार पर एनआईसी के अज्ञात अधिकारी, कर्मियों के साथ मनन व नरेंद्र गोप को खेलगांव थाने में दर्ज केस में आरोपी बनाया गया था.