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डीजीपी नीरज सिन्हा की पहल को लगा झटका! उपकरण बैंक से बच्चों को नहीं मिल पाया फोन

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Published : Dec 11, 2021, 8:02 PM IST

Updated : Dec 11, 2021, 8:27 PM IST

कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास होने से सबसे ज्यादा नुकसान उन बच्चों को हुआ था जिनके पास लैपटॉप या स्मार्टफोन नहीं था. इसे दूर करने के लिए झारखंड के डीजीपी ने एक अनोखी पहल की थी. जिसके तहत उन्होंने झारखंड में उपकरण बैंक बनाया गया था. जिसमें आम लोग अपने बेकार पड़े स्मार्ट फोन और लैपटॉप, कंप्यूटर या टैब जमा करते थे. उन उपकरणों को गरीब बच्चों में बांटा जाता था जिससे वे ऑनलाइन क्लास कर सकें. लेकिन झारखंड पुलिस की लापरवाही की वजह से कई जिले में एक भी फोन बच्चों को नहीं बांटा जा सका है.

Children were not given mobile from equipment bank
Children were not given mobile from equipment bank

रांची: झारखंड में उपकरण हैं डीजीपी नीरज सिन्हा की पहल पर हर जिले में खोला गया था. इस उपकरण बैंक में अब तक 1500 से ज्यादा मोबाइल, टैब और दूसरे उपकरण जमा हो चुके हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि उनमें से मात्र 375 उपकरण ही गरीब बच्चों के बीच वितरित हो सके हैं. झारखंड के कई जिलों में एक भी स्मार्टफोन का वितरण नहीं हुआ है. जबकि कई लोगों ने स्मार्टफोन पुलिस के पास दान किया है.


क्या है स्थिति
कोविड-19 संक्रमण की वजह से वर्तमान समय में भी ज्यादातर स्कूली बच्चे ऑनलाइन क्लासेज को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. जिन लोगों के पास स्मार्टफोन खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे हैं उनके बच्चों को कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन गरीबों के बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हो रही है. इसी को देखते हुए झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ने उपकरण बैंक की शुरुआत की थी. ताकि उस उपकरण बैंक में लोग अपने पुराने स्मार्टफोन दान करें और उन्हें फिर गरीब बच्चों तक पहुंचाया जा सके. झारखंड के डीजीपी के इस आह्वान का असर भी हुआ, जिसके बाद 07 जुलाई 2021 से लेकर 10 दिसंबर 2021 तक 1523 स्मार्टफोन, 21 लैपटॉप, 32 टैब और 39 कंप्यूटर उपकरण बैंक में जमा भी हो गए. लेकिन झारखंड के डीजीपी की इस योजना को पुलिस की लापरवाही का शिकार होना पड़ा है. दिसंबर महीने की दस तारीख तक मात्र 375 स्मार्टफोन, 12 टैब और 2 लैपटाप का वितरण ही गरीब बच्चो के बीच हो पाया है.

कई जिलों में एक भी वितरण नहीं
सबसे हैरानी की बात तो ये है कि झारखंड के कुछ जिलों में उपकरण बैंक में लोगों ने स्मार्टफोन दान किए हैं लेकिन उनमें से एक का भी वितरण अब तक पुलिस नहीं कर पाई है.

Children were not given mobile from equipment bank
उपकरण बैंक की स्थिति

ये भी पढ़ें: रंग ला रही झारखंड पुलिस की मेहनत, कोरोना काल में शिक्षा से रोशन होगा गरीब बच्चों का जीवन


डीजीपी के प्रयास को झटका
कोरोना संक्रमण की वजह और तीसरी लहर की आशंका से वर्तमान समय मे अधिकांश शैक्षणिक गतिविधियां के साथ साथ परीक्षाएं भी ऑनलाइन हो रही हैं. लेकिन वैसे बच्चे जिनके मां बाप बेहद गरीब हैं उनकी पढ़ाई स्मार्टफोन नहीं हो पाने की वजह से प्रभावित हो रही है. ऐसे बच्चों के लिए झारखंड पुलिस के डीजी नीरज सिन्हा की पहल पर थाना स्तर पर उपकरण बैंक खोले गए थे, ताकि उपकरण बैंक में लोग अपने घरों में बेकार पड़े स्मार्ट फोन और लैपटॉप को दान कर सकें और फिर उन्हें गरीब बच्चों के बीच बांटा जाए. डीजीपी के प्रयास से जल्द ही झारखंड के सभी जिलों में कम्यूनिटी पुलिसिंग के तहत उपकरण बैंक खोल दिए गए. डीजीपी के इस नेक प्रयास की लोगों ने सराहा भी की और 1500 से अधिक स्मार्टफोन उपकरण बैंक में जमा करवा दिए.

थाने में जमा कराए जाते हैं स्मार्टफोन
दरअसल, डीजीपी नीरज सिन्हा ने सभी पुलिस अधीक्षकों को यह सुझाव दिया था कि वह थाना स्तर पर उपकरण बैंक खोलें और आम लोगों को जागरूक करें ताकि उनके घर में बेकार पड़े फोन, लैपटॉप उपकरण बैंक में जमा हो सके. जमा किए गए प्रत्येक उपकरण के संबंध में थाना दैनिकी प्रविष्टि (सनहा) अंकित किया जाए, जिसकी सत्यापित प्रतिलिपि उपकरण जमा करने वाले व्यक्ति को प्रमाण स्वरूप दी जाए. इससे उन्हें संतुष्टि होगी कि उनके उपकरण का दुरूपयोग किए जाने की स्थिति में जमाकर्ता जिम्मेवार नही होंगा. थाने में दर्ज सनहा में जमाकर्ता का नाम, पता, स्मार्टफोन का आईएमईआई नंबर, लैपटॉप का यूनीक पहचान नंबर, जमा किए जाने की तिथि और समय अंकित की जाती है.

ये भी पढ़ें: झारखंड में खुलेगा स्मार्टफोन-लैपटॉप बैंक, गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए कर सकते हैं जमा

प्रिंसिपल की अनुसंशा पर बच्चों को दिए जाते हैं स्मार्टफोन
उपकरण बैंक में जब लैपटॉप और स्मार्टफोन जमा हो जाते हैं तब उस जिले में सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के अनुशंसा पर बच्चों को पढ़ाई के लिए स्मार्ट फोन और लैपटॉप दिए जाते हैं.

जल्द वितरण का आदेश
पूरे मामले को लेकर झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान अमोल होमकर ने बताया कि उपकरण बैंक में जमा स्मार्टफोन का वितरण क्यों नहीं हुआ है, इसकी रिपोर्ट मांगी जा रही है. सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वह कानूनी अड़चनों को दूर कर जल्द से जल्द स्कूल के प्रिंसिपल के साथ सामंजस्य बिठाकर वितरण का काम पूरा करें. वहीं, उपकरण बैंक को लेकर लोग आगे आए इसके लिए भी हर जिला में इसका प्रचार प्रसार करें.

रांची: झारखंड में उपकरण हैं डीजीपी नीरज सिन्हा की पहल पर हर जिले में खोला गया था. इस उपकरण बैंक में अब तक 1500 से ज्यादा मोबाइल, टैब और दूसरे उपकरण जमा हो चुके हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि उनमें से मात्र 375 उपकरण ही गरीब बच्चों के बीच वितरित हो सके हैं. झारखंड के कई जिलों में एक भी स्मार्टफोन का वितरण नहीं हुआ है. जबकि कई लोगों ने स्मार्टफोन पुलिस के पास दान किया है.


क्या है स्थिति
कोविड-19 संक्रमण की वजह से वर्तमान समय में भी ज्यादातर स्कूली बच्चे ऑनलाइन क्लासेज को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. जिन लोगों के पास स्मार्टफोन खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे हैं उनके बच्चों को कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन गरीबों के बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हो रही है. इसी को देखते हुए झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ने उपकरण बैंक की शुरुआत की थी. ताकि उस उपकरण बैंक में लोग अपने पुराने स्मार्टफोन दान करें और उन्हें फिर गरीब बच्चों तक पहुंचाया जा सके. झारखंड के डीजीपी के इस आह्वान का असर भी हुआ, जिसके बाद 07 जुलाई 2021 से लेकर 10 दिसंबर 2021 तक 1523 स्मार्टफोन, 21 लैपटॉप, 32 टैब और 39 कंप्यूटर उपकरण बैंक में जमा भी हो गए. लेकिन झारखंड के डीजीपी की इस योजना को पुलिस की लापरवाही का शिकार होना पड़ा है. दिसंबर महीने की दस तारीख तक मात्र 375 स्मार्टफोन, 12 टैब और 2 लैपटाप का वितरण ही गरीब बच्चो के बीच हो पाया है.

कई जिलों में एक भी वितरण नहीं
सबसे हैरानी की बात तो ये है कि झारखंड के कुछ जिलों में उपकरण बैंक में लोगों ने स्मार्टफोन दान किए हैं लेकिन उनमें से एक का भी वितरण अब तक पुलिस नहीं कर पाई है.

Children were not given mobile from equipment bank
उपकरण बैंक की स्थिति

ये भी पढ़ें: रंग ला रही झारखंड पुलिस की मेहनत, कोरोना काल में शिक्षा से रोशन होगा गरीब बच्चों का जीवन


डीजीपी के प्रयास को झटका
कोरोना संक्रमण की वजह और तीसरी लहर की आशंका से वर्तमान समय मे अधिकांश शैक्षणिक गतिविधियां के साथ साथ परीक्षाएं भी ऑनलाइन हो रही हैं. लेकिन वैसे बच्चे जिनके मां बाप बेहद गरीब हैं उनकी पढ़ाई स्मार्टफोन नहीं हो पाने की वजह से प्रभावित हो रही है. ऐसे बच्चों के लिए झारखंड पुलिस के डीजी नीरज सिन्हा की पहल पर थाना स्तर पर उपकरण बैंक खोले गए थे, ताकि उपकरण बैंक में लोग अपने घरों में बेकार पड़े स्मार्ट फोन और लैपटॉप को दान कर सकें और फिर उन्हें गरीब बच्चों के बीच बांटा जाए. डीजीपी के प्रयास से जल्द ही झारखंड के सभी जिलों में कम्यूनिटी पुलिसिंग के तहत उपकरण बैंक खोल दिए गए. डीजीपी के इस नेक प्रयास की लोगों ने सराहा भी की और 1500 से अधिक स्मार्टफोन उपकरण बैंक में जमा करवा दिए.

थाने में जमा कराए जाते हैं स्मार्टफोन
दरअसल, डीजीपी नीरज सिन्हा ने सभी पुलिस अधीक्षकों को यह सुझाव दिया था कि वह थाना स्तर पर उपकरण बैंक खोलें और आम लोगों को जागरूक करें ताकि उनके घर में बेकार पड़े फोन, लैपटॉप उपकरण बैंक में जमा हो सके. जमा किए गए प्रत्येक उपकरण के संबंध में थाना दैनिकी प्रविष्टि (सनहा) अंकित किया जाए, जिसकी सत्यापित प्रतिलिपि उपकरण जमा करने वाले व्यक्ति को प्रमाण स्वरूप दी जाए. इससे उन्हें संतुष्टि होगी कि उनके उपकरण का दुरूपयोग किए जाने की स्थिति में जमाकर्ता जिम्मेवार नही होंगा. थाने में दर्ज सनहा में जमाकर्ता का नाम, पता, स्मार्टफोन का आईएमईआई नंबर, लैपटॉप का यूनीक पहचान नंबर, जमा किए जाने की तिथि और समय अंकित की जाती है.

ये भी पढ़ें: झारखंड में खुलेगा स्मार्टफोन-लैपटॉप बैंक, गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए कर सकते हैं जमा

प्रिंसिपल की अनुसंशा पर बच्चों को दिए जाते हैं स्मार्टफोन
उपकरण बैंक में जब लैपटॉप और स्मार्टफोन जमा हो जाते हैं तब उस जिले में सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के अनुशंसा पर बच्चों को पढ़ाई के लिए स्मार्ट फोन और लैपटॉप दिए जाते हैं.

जल्द वितरण का आदेश
पूरे मामले को लेकर झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान अमोल होमकर ने बताया कि उपकरण बैंक में जमा स्मार्टफोन का वितरण क्यों नहीं हुआ है, इसकी रिपोर्ट मांगी जा रही है. सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वह कानूनी अड़चनों को दूर कर जल्द से जल्द स्कूल के प्रिंसिपल के साथ सामंजस्य बिठाकर वितरण का काम पूरा करें. वहीं, उपकरण बैंक को लेकर लोग आगे आए इसके लिए भी हर जिला में इसका प्रचार प्रसार करें.

Last Updated : Dec 11, 2021, 8:27 PM IST
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