रांची: राज्य सरकार ने निर्देश दिया था कि कोरोना काल में स्कूल बंद होने के कारण बच्चों के घर तक मिड डे मील के बदले कुकिंग कॉस्ट की राशि विद्यार्थियों के घर तक पहुंचाई जाए. इसे लेकर शिक्षकों और जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश भी दिया गया था, लेकिन इस ओर भारी अनियमितता और कोताही बरती गई है. अब तक लगभग चार लाख से अधिक बच्चों को मिड डे मील के बदले खाद्यान्न या फिर कुकिंग कॉस्ट मिला ही नहीं है.
खाद्य सुरक्षा कानून के तहत केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार ने इसे अनिवार्य किया था. इस योजना के तहत घर-घर तक खाद्यान्न और कुकिंग कॉस्ट पहुंचाने की बात कही गई थी, लेकिन इस योजना को धरातल पर सही तरीके से उतारा ही नहीं गया. मामले में अगर जांच हुई तो कई अधिकारियों के साथ-साथ कई शिक्षक भी नपेंगे.
एक संस्था ने जानकारी देते हुए कहा है कि इस मामले में 4 लाख से अधिक ऐसे बच्चे हैं जिन तक कुकिंग कॉस्ट तो छोड़िए खाद्यान्न का एक अंश भी नहीं पहुंचाया गया है. अभिभावकों से भी इस मामले को लेकर जब बातचीत की गई तो उन्होंने भी कहा है कि अब तक इसे लेकर कोई पूछने वाला भी नहीं है.
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विभाग गंभीर
मामले को लेकर विभाग गंभीर है. इस पूरी योजना की जल्द ही जांच कर कार्रवाई की जाएगी. झारखंड मध्याह्न भोजन प्राधिकरण की ओर से इसे लेकर राज्य के तमाम उपायुक्तों से रिपोर्ट मांगी गई है लेकिन अब तक यह रिपोर्ट भी तैयार नहीं हुई है. हालांकि एक बार फिर विभाग की ओर से उपायुक्तों को जल्द से जल्द इस मामले को लेकर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है.
दक्षिणी छोटानागपुर के शिक्षा निदेशक से जब मामले को लेकर रांची जिले की जानकारी मांगी गई तो उन्होंने इस संबंध में कहा कि दक्षिणी छोटानागपुर के शिक्षा पदाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है. इसके अलावा उपायुक्त के साथ भी मामले को लेकर विचार विमर्श किया जा रहा है. जल्द ही पूरी रिपोर्ट विभाग को सौंपी जाएगी और अगर कुछ अनियमितता होगी तो इस पर विभागीय स्तर पर कार्रवाई भी होगी.