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झारखंड में डिजिटल शिक्षा से बच्चों को नहीं मिला लाभ, भारत ज्ञान विज्ञान समिति की सर्वे से हुआ खुलासा - Ranchi News

झारखंड के स्कूलों में डिजिटल एजुकेशन की व्यवस्था की गई, ताकि कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो सके. लेकिन डिजिटल एजुकेशन का लाभ बच्चों को नहीं मिल रहा है. इसका खुलासा भारत ज्ञान विज्ञान समिति की सर्वे से हुआ है.

digital education in Jharkhand
झारखंड में डिजिटल शिक्षा से बच्चों को नहीं मिला लाभ
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Published : Apr 19, 2022, 5:30 PM IST

रांचीः झारखंड में प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्कूलों के बच्चों के लिए डिजिटल शिक्षा की व्यवस्था की गई, ताकि लॉकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो सके. लेकिन झारखंड में डिजिटल शिक्षा का लाभ बच्चों को नहीं मिल रहा है. यह खुलासा भारत ज्ञान विज्ञान समिति और विज्ञान समिति झारखंड की ओर से कराये गए सर्वे में हुआ है.

यह भी पढ़ेंःरोजी-रोजगार पर भारत ज्ञान विज्ञान समिति आयोजित करेगी नेशनल कॉन्वेंशन, महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित



मंगलवार को भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव डॉ काशीनाथ चटर्जी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कोरोना काल में हर क्षेत्र और हर वर्ग के लोग प्रभावित हुए. इसका सबसे ज्यादा असर शिक्षा पर पड़ा है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित की गई, ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो. इसमें मोबाइल एप और दूरदर्शन के माध्यम से कक्षाएं शुरू की गई. उन्होंने कहा की इसकी वास्तविकता जानने को लेकर ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड की ओर से 20 जिलों के 58 प्रखंडों और 197 पंचायतों में सर्वेक्षण किया गया.

जानकारी देते भारत ज्ञान विज्ञान समिति के अधिकारी

डॉ काशीनाथ ने बताया कि 197 पंचायतों के 8774 परिवारों से पांच बिंदुओं पर सवाल पूछे गए. इसमें 85.9 प्रतिशत अभिभावक को जानकारी नहीं है कि टीवी के माध्यम से से भी पढ़ाई होती है. 84 प्रतिशत घरों में डीटीएच या केबल कनेक्शन चालू स्थिति में नहीं है. 97.1 प्रतिशत अभिभावकों ने स्वीकार किया कि टीवी से बच्चे पढ़ाई नहीं करते और 72.5 प्रतिशत अभिभावक टीवी पर बच्चे पढ़ रहे हैं या नहीं इसकी निगरानी नहीं करते हैं. 25.19 प्रतिशत परिवारों ने स्वीकार किया कि बच्चे पढ़ते पढ़ते इंटरटेनमेंट चैनल देखने लगते हैं.

उन्होंने कहा कि 55.5 प्रतिशत अभिभावक के पास स्मार्टफोन है. वहीं, 87.3 प्रतिशत अभिभावकों ने बताया कि पिछले लॉकडाउन में बच्चों ने मोबाइल से पढ़ाई नहीं की और 8774 बच्चों में से मात्र 602 बच्चे ही मोबाइल से शिक्षा ग्रहण की. इसमें 44.3 प्रतिशत बच्चे ही उपलब्ध कराई गई क्लास स्टडी का चुनाव कर पाते थे. 97.4 प्रतिशत अभिभावकों ने बताया कि बच्चों की शिक्षा में आई गिरावट को पूरा करने के लिए अलग व्यवस्था की आवश्यकता है.

रांचीः झारखंड में प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्कूलों के बच्चों के लिए डिजिटल शिक्षा की व्यवस्था की गई, ताकि लॉकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो सके. लेकिन झारखंड में डिजिटल शिक्षा का लाभ बच्चों को नहीं मिल रहा है. यह खुलासा भारत ज्ञान विज्ञान समिति और विज्ञान समिति झारखंड की ओर से कराये गए सर्वे में हुआ है.

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मंगलवार को भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव डॉ काशीनाथ चटर्जी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कोरोना काल में हर क्षेत्र और हर वर्ग के लोग प्रभावित हुए. इसका सबसे ज्यादा असर शिक्षा पर पड़ा है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित की गई, ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो. इसमें मोबाइल एप और दूरदर्शन के माध्यम से कक्षाएं शुरू की गई. उन्होंने कहा की इसकी वास्तविकता जानने को लेकर ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड की ओर से 20 जिलों के 58 प्रखंडों और 197 पंचायतों में सर्वेक्षण किया गया.

जानकारी देते भारत ज्ञान विज्ञान समिति के अधिकारी

डॉ काशीनाथ ने बताया कि 197 पंचायतों के 8774 परिवारों से पांच बिंदुओं पर सवाल पूछे गए. इसमें 85.9 प्रतिशत अभिभावक को जानकारी नहीं है कि टीवी के माध्यम से से भी पढ़ाई होती है. 84 प्रतिशत घरों में डीटीएच या केबल कनेक्शन चालू स्थिति में नहीं है. 97.1 प्रतिशत अभिभावकों ने स्वीकार किया कि टीवी से बच्चे पढ़ाई नहीं करते और 72.5 प्रतिशत अभिभावक टीवी पर बच्चे पढ़ रहे हैं या नहीं इसकी निगरानी नहीं करते हैं. 25.19 प्रतिशत परिवारों ने स्वीकार किया कि बच्चे पढ़ते पढ़ते इंटरटेनमेंट चैनल देखने लगते हैं.

उन्होंने कहा कि 55.5 प्रतिशत अभिभावक के पास स्मार्टफोन है. वहीं, 87.3 प्रतिशत अभिभावकों ने बताया कि पिछले लॉकडाउन में बच्चों ने मोबाइल से पढ़ाई नहीं की और 8774 बच्चों में से मात्र 602 बच्चे ही मोबाइल से शिक्षा ग्रहण की. इसमें 44.3 प्रतिशत बच्चे ही उपलब्ध कराई गई क्लास स्टडी का चुनाव कर पाते थे. 97.4 प्रतिशत अभिभावकों ने बताया कि बच्चों की शिक्षा में आई गिरावट को पूरा करने के लिए अलग व्यवस्था की आवश्यकता है.

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