रांची: कुख्यात गैंगस्टर अमन साव को रांची जेल से पाकुड़ जेल शिफ्ट कराने के बाद अब रांची पुलिस उसके गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई में लग गई है. एक्सटॉर्शन के जरिए करोड़ों की कमाई करने वाले इस गिरोह पर पुलिस की टेढ़ी नजर है.
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रांची पुलिस ने अमन साव गिरोह के 8 अपराधियों पर सीसीए लगाने का प्रस्ताव तैयार किया है. सभी 8 अपराधियों पर हत्या, लूट, डकैती, रंगदारी और सुपारी लेकर हत्या करने का आरोप है. इससे संबंधित प्रस्ताव जल्द ही वरीय पुलिस अधिकारियों को भेजा जाएगा. अमन साव गिरोह के जिन अपराधियों पर सीसीए का प्रस्ताव भेजा गया है, उनमें
प्रकाश उर्फ मोनू, कुंदन कुमार गिरी, इरफान अंसारी, राजू, अफरोज अंसारी, इकराम उल अंसारी, मैनुल अंसारी और जसीम खान के नाम शामिल है.
वहीं दूसरी ओर पुलिस मुख्यालय की तरफ से भी कोयला खनन वाले जिलों में अपराध रोकने की विशेष योजना तैयार की गई है. कोयला क्षेत्र में कारोबारियों, ट्रांसपोर्टरों और आउटसोर्सिंग कंपनियों से लगातार रंगदारी की मांग के बाद इस संबंध में नए तरीके से पुलिस ने योजना बनाई है. एटीएस को पूरे मामले से जोड़ा गया है, कोयला खनन वाले जिलों चतरा, लातेहार, रांची, धनबाद, हजारीबाग, रामगढ़ में सक्रिय आपराधिक गिरोहों और उनके मददगारों की सूची तैयार की जा रही है. उन कोयला कारोबारियों को भी चिन्हित किया जा रहा है जो कारोबार के लिए आपराधिक गिरोह का सहारा लेते हैं.
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गिरोह पर है नजर
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार झारखंड पुलिस ने संगठित आपराधिक गिरोहों को एक चुनौती के रूप में लिया है. अपराधी चाहे जेल के अंदर हो या फिर बाहर उन सब पर नजर रखी जा रही है. जमानत पर छूटने वाले अपराधियों पर भी पुलिस की पैनी नजर है. पुलिस के सभी इंटेलिजेंस विंग लगातार जेल से बाहर आने वाले अपराधियों पर नजर रखे हुए है. जिनमें से कई की गिरफ्तारी भी की गई है, क्योंकि वह दोबारा अपराध की गतिविधियों में शामिल थे. आईजी के अनुसार संगठित आपराधिक गिरोहों पर नकेल कसने के लिए पुलिस के साथ-साथ स्पेशल सेल और एटीएस भी काम कर रही है.
किस-किस की सक्रियता
कोयला खनन वाले जिलों में हाल के दिनों में अमन साव, अमन साव गैंग के अमन सिंह, धनबाद जेल में बंद उम्रकैद की सजा काट रहे सुजीत सिन्हा, मृत गैंगेस्टर सुशील श्रीवास्तव के बेटे अमन श्रीवास्तव की भूमिका लगातार सामने आई है. अमन साव और सुजीत खुद जेल में हैं. जबकि अमन श्रीवास्तव 2016 से ही फरार है. अमन श्रीवास्तव के कभी बेंगलुरू तो कभी बिहार में होने की बात सामने आती है. अमन श्रीवास्तव के गिरोह के द्वारा युवाओं और किशोरों को पगार पर रखने की बात भी पूर्व में सामने आती रही है. राज्य पुलिस मुख्यालय के एटीएस के द्वारा इन गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई की रणनीति बनाई गई है.
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मयंक का नाम हो रहा इस्तेमाल
रंगदारी मांगने के लिए बीते एक सालों से मयंक सिंह के नाम का इस्तेमाल लगातार हो रहा है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक मयंक सिंह नाम का कोई अपराधी वाकई में है या नहीं, इसे लेकर संशय की स्थिति है. मयंक सिंह नाम का इस्तेमाल व्यवसायियों, ट्रांसपोर्टरों, जमीन कारोबारियों से रंगदारी मांगने के लिए किया जा रहा है. रांची पुलिस ने हाल में एक युवक को गिरफ्तार किया था जो खुद को अमन साव का गुर्गा मयंक बताकर लोगों को धमकी भरे कॉल और मैसेज भेजा करता था. हालांकि युवक का कनेक्शन सुजीत सिन्हा गिरोह से था. राज्य पुलिस की अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि अलग-अलग जिलों में अलग-अलग लोग मयंक सिंह के नाम का उपयोग रंगदारी के लिए कर रहे हैं.