रांची: झारखंड के एडीजी रैंक के आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता को बड़ी राहत मिली है, केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण कोर्ट यानी कैट ने एडीजी अनुराग गुप्ता को निलंबन से मुक्त करने का आदेश जारी किया है. 14 फरवरी 2020 को राज्यसभा चुनाव 2016 को प्रभावित करने के मामले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी एडीजी अनुराग गुप्ता को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सस्पेंड कर दिया था. लगातार दो साल से ज्यादा दिनों तक निलंबित रहने के बाद अनुराग गुप्ता कैट की शरण में गए थे.
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14 फरवरी 2020 को किया था निलंबित: राज्य सरकार ने 14 फरवरी को अनुराग गुप्ता को जगन्नाथपुर थाने में दर्ज केस के आधार पर निलंबित कर दिया था. 26 मार्च 2016 को राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में तत्कालीन स्पेशल ब्रांच एडीजी अनुराग गुप्ता व तत्कालीन सीएम के सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। भारत निर्वाचन आयोग ने दोनों के खिलाफ चुनाव को प्रभावित करने से जुड़ी असंज्ञेय धाराओं में कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज की थी।
पहले ही मिल चुकी है क्लीन चिट: राज्यसभा चुनाव 2016 में हुए हॉर्स ट्रेडिंग के मामले में रांची के जग्गनाथपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. इसमें एडीजी अनुराग गुप्ता भी आरोपी थे. उस समय तत्कालीन प्रभारी डीजी एमबी राव विभागीय कार्रवाई संचालन अधिकारी थे. डीजी एमवी राव ने अपने रिटायरमेंट यानी 30 सितंबर से पूर्व ही सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी थी. इस रिपोर्ट में एडीजी अनुराग गुप्ता के विरुद्ध कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिलने के कारण उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी.
जानकारी के अनुसार हार्स ट्रेडिंग मामले में पुलिस को बातचीत के रिकार्डिंग की असली सीडी और जिस उपकरण से बातचीत रिकार्ड की गई (मूल यंत्र)वह डिवाइस उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण एडीजी अनुराग गुप्ता को क्लीन चिट दी गई है. विभागीय जांच रिपोर्ट में आरोप के समर्थन में ठोस व पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराए जाने की बात कही गई है.
क्या है मामला: 2016 में राज्यसभा चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी ने एक ऑडियो टेप जारी किया था. इस कथित टेप में एडीजी अनुराग गुप्ता, तत्कालीन विधायक निर्मला देवी, उनके पति योगेंद्र साव के बीच बातचीत की बात सामने आई थी. मामला सामने आने के बाद पूरे मामले की शिकायत चुनाव आयोग से की गई थी. प्रथम दृष्टया जांच के बाद आयोग ने एफआईआर का आदेश दिया था. गृह विभाग के अवर सचिव अवधेश ठाकुर के बयान पर सरकार ने तब मामला दर्ज करवाया था. इस मामले में फरवरी महीने में अनुराग गुप्ता के निलंबन के बाद राज्य सरकार ने विभागीय कार्रवाई शुरू की थी.