रांचीः आरयू राज्य का पहला विश्वविद्यालय है जहां बॉटनिकल गार्डन बनाया गया है और इस गार्डन में वनस्पति विज्ञान में शोध करने वाले विद्यार्थियों के लिए हर वह पौधे मौजूद है. जिससे कि उनके अध्ययन को लेकर सहायता मिलती है. सबसे खास बात यह है कि इस गार्डन के निर्माण में यूनिवर्सिटी को एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ा. कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडे की पहल पर सीएसआर के तहत सहयोग लेकर इसका निर्माण किया गया है.
वनस्पति विज्ञान में शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मोराबादी स्थित रांची यूनिवर्सिटी के कैंपस की डेढ़ एकड़ से अधिक भूमि पर बॉटनिकल गार्डन बनाया गया है. सबसे खास बात यह है कि इसके निर्माण में यूनिवर्सिटी को एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ा है. कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडे की पहल पर सीएसआर के तहत सहयोग लेकर इसका निर्माण करवाया गया है.
इस गार्डन में सैकड़ों किस्म के पौधे लगाए गए हैं. जिसमें औषधीय पौधे से लेकर बांस, पीपल, सिंदूर जैसे पेड़ शामिल है. रिसर्च को लेकर भी कई तरह के पौधे इस बॉटनिकल गार्डन में मौजूद हैं. वहीं इसकी पहचान को लेकर तमाम पेड़ पौधों पर टैग लगाया गया है. जिसके जरिए विद्यार्थी आसानी से उस पेड़ के संबंध में जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं. गार्डन में चारों ओर भ्रमण करने के लिए पाथ का निर्माण करवाया गया है. आरयू प्रशासन की सोच है कि भविष्य में महत्वपूर्ण रिसर्च सेंटर के रूप में इसकी पहचान बने और इसके लिए वीसी रमेश कुमार पांडेय प्रयासरत है.
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शैक्षणिक उद्यान बनाने को लेकर विशेष प्रयास
वीसी रमेश कुमार पांडे ने कहा कि साफ सफाई के दौरान मन में ख्याल आया था कि क्यों न इस बंजर पड़ी जमीन में एक बेहतरीन बॉटनिकल गार्डन बनाया जाए और उसी सोच के तहत आर्यभट्ट सभागार के पीछे इस बॉटनिकल गार्डन को विकसित किया गया है. जहां सैकड़ों औषधीय पौधों के अलावे कई दुर्लभ प्रजाति के पेड़ पौधे भी लगाए गए हैं और इसका फायदा वनस्पति विज्ञान की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स उठा रहे हैं.
सौंदर्यीकरण के बाद होगा उद्घाटन
हालांकि अब तक इस गार्डन का सौंदर्यीकरण का काम पूरा नहीं किया जा सका है .इसे लेकर प्रयास तेज किए गए है सौंदर्यीकरण करने के बाद गार्डन का उद्घाटन किया जाएगा. हालांकि यह गार्डन बन कर पूरी तरह तैयार हो चुका है. सिर्फ सौंदर्यीकरण न का कार्य शेष बचे हैं .इसके विभिन्न स्थानों पर चेयर बेंच लगाए जाएंगे और इसका विधिवत उद्घाटन किया जाएगा. इस बॉटनिकल गार्डन को बनाने को लेकर विश्वविद्यालय के पैसे खर्च नहीं हुए हैं.