रांची: प्रदेश में पहली बार बहुमत की सरकार चलाने का दावा करने वाली सत्तारूढ़ बीजेपी को 65 पार दावे के ओवर कॉन्फिडेंस के पीछे एक अनजाना डर सता रहा है. दरअसल एक व्हाट्सएप मैसेज से ही बीजेपी के इस अनजाने डर का खुलासा हो रहा है. इस डर की तस्वीर उस वक्त और भी साफ हो गई जब बीजेपी की ऑफिशियल व्हाट्सएप ग्रुप में एक ऐसा मैसेज पार्टी पदाधिकारियों की ओर से डाला गया जो किसी भी राष्ट्रीय राजनीतिक दल के इतिहास में पहली बार होगा.
निलंबन का मैसेज
बीजेपी के ऑफिशियल वाट्स एप ग्रुप में यह मैसेज पार्टी पदाधिकारी की ओर से 'कन्वे' किया गया है. विधानसभा चुनाव में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं या प्रत्याशी का सार्वजनिक विरोध कर रहे हैं और संगठन के निर्देश के विपरीत कार्य करते हुए पार्टी के अनुशासन को तोड़ रहे हैं. ऐसे लोग पार्टी से खुद निष्कासित माने जाएंगे. हालांकि बीजेपी के संविधान में भी यही बात कही गई है, लेकिन अब तक चले पॉलिटिकल ट्रेंड के अनुसार पार्टी के खिलाफ जाने वाले नेता कार्यकर्ताओं का निलंबन बकायदा प्रदेश के अध्यक्ष और संबंधित अधिकारी करते रहे हैं.
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पार्टी ने दिया समर्थन
हैरत की बात यह है कि इस निर्देश के लिए बकायदा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा का नाम तक लिखा गया है. इतना ही नहीं विश्व के सबसे बड़े राजनीतिके दल होने का दावा करने वाली बीजेपी को पलामू के हुसैनाबाद में एक निर्दलीय प्रत्याशी को अपना समर्थन देना भी पार्टी के अनजाने भय की पुष्टि करती है. दरअसल हुसैनाबाद में विनोद कुमार सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया और बाद में पार्टी ने उन्हें अपना समर्थन दिया है.
सभाओं में कम भीड़ को लेकर शाह तक कर चुके हैं इशारा
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आयोजित हो रही सभाओं में भीड़ को लेकर बड़े नेता इशारा कर चुके हैं. पहले चरण के चुनाव के दौरान गृह मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की चतरा में हुई सभा में भीड़ को लेकर उन्होंने कथित तौर पर नाराजगी व्यक्त भी की थी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों पर यकीन करें तो ऐसा दो-तीन बार हुआ कि पार्टी के शीर्ष नेताओं को रांची स्थित बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर इंतजार करना पड़ा, ताकि सभा स्थल पर भीड़ इकट्ठी हो.
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पार्टी के अंदर और बाहर अपने कर रहे हैं विरोध
वहीं, बीजेपी के अंदर और बाहर विरोध का दो स्वरूप देखने को मिल रहा है. एक स्वरूप सरयू राय जैसे नेताओं का है, जो खुलकर मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं दूसरा पार्टी में रहकर लोग 'साइलेंटली इनएक्टिव' हो रहे हैं. पिछले दिनों बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने भी बीजेपी छोड़कर दूसरे दल का दामन थाम लिया और नाला विधानसभा से चुनाव मैदान में उतर गए.
अब तक तीन बार बदल चुका बीजेपी का नारा
विधानसभा चुनाव की तैयारियों की शुरुआत में बीजेपी ने 'घर-घर रघुवर' का नारा दिया. इसको लेकर अंदर खाने काफी आलोचना भी हुई. बाद में यह नारा 'झारखंड पुकारा रघुवर दोबारा' के रूप में परिवर्तित हुआ. इसका इंपैक्ट नहीं पड़ता देख पार्टी ने इसे बदलकर 'झारखंड पुकारा, बीजेपी दोबारा' किया. इतना ही नहीं पहले सीएम के चेहरे पर बीजेपी का इलेक्शन कैंपेन पूरी तरह फोकस हुआ. बाद में सभाओं में नेताओं ने केंद्र सरकार के कार्यों की दुहाई देकर वोट मांगना शुरू कर दिया है.
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दल बदलुओं को मिला टिकट
इसके अलावे पार्टी ने 2014 से लेकर अब तक एक दर्जन दल बदलू विधायकों को अपने यहां एकोमोडेट किया. उनमें पांच विधायक ऐसे हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा की सदस्यता ग्रहण की. हैरत की बात यह है कि पार्टी ने उन पांचों को अपना टिकट दिया. वो सभी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार हैं. ऐसे में पहले से विधानसभा इलाकों में काम कर रहे बीजेपी कार्यकर्ता पशोपेश में हैं.
क्या है बीजेपी का दावा
हालांकि, इस बाबत पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन से पूछा गया तो उन्होंने दावा किया कि पार्टी पूरी तरह से कंफर्टेबल है. उन्होंने कहा कि पहले जितना कंफर्टेबल महसूस कर रही थी बीजेपी, विधानसभा चुनाव में उसी अवस्था में है. उन्होंने दावा किया कि लोग केंद्र और राज्य सरकार के कामों के बदले बीजेपी को झारखंड में दोबारा मौका देंगे.
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क्या है विपक्ष का दावा
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता आभा सिन्हा ने कहा कि इस बार झारखंड के मुख्यमंत्री और साथ ही साथ जितने भी नेता लोग हैं, जो अपने आप को स्टार प्रचारक मानते हैं, सारे घबराए हुए हैं. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में मोदी के नाम पर इन्होंने अपनी नाव पार कर ली. इस बार सीएम को यहां की जनता ने नकार दिया है. उनको भी डर है कि अपनी सीट पर वो जीतेंगे कि नहीं, इसलिए उन्होंने पीएम को यहां बुलाया है.