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BJP Foundation Day: 41 साल में शून्य से शिखर तक पहुंची बीजेपी, जानिए झारखंड में कैसा रहा सफर

भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. 6 अप्रैल 1980 को जिस पार्टी की शुरुआत हुई वह आज देश की सत्ता पर काबिज है. झारखंड में भी भाजपा का कमल खिलता रहा है. इसके पीछे कई वजह रही है. संघ की सक्रियता का लाभ भी भाजपा को यहां बढ़ाने में सहायक साबित हुई है.

BJP Foundation Day
बीजेपी स्थापना दिवस
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Published : Apr 6, 2022, 8:51 AM IST

Updated : Apr 6, 2022, 10:13 AM IST

रांची: भारतीय जनता पार्टी अपना 42वां स्थापना दिवस मना रही है. 6 अप्रैल 1980 को जिस पार्टी की स्थापना हुई थी उस पार्टी ने लंबा सफर तय कर लिया है. कभी दो सीटों पर सिमटने वाली पार्टी आज केंद्र के साथ कई राज्यों में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का वह कथन ‘अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा’, आज साकार हो चुका है.

ये भी पढ़ें: BJP Foundation Day: 15 दिन तक होंगे कार्यक्रम, समाज के हर वर्ग तक पहुंचने की रणनीति

झारखंड रहा है बीजेपी का गढ़: संयुक्त बिहार के समय से ही आज के झारखंड में बीजेपी का कमल खिलता रहा है. इसके पीछे कई वजह रही है. झारखंड में संघ की सक्रियता का लाभ भी बीजेपी को आगे बढ़ने में मिला. बाद में स्वतंत्र राज्य को लेकर जारी आंदोलन के बीच झारखंड को स्वतंत्र अस्तित्व में लाने का श्रेय भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है. बिहार से अलग होकर 15 नवंबर 2000 को बने इस नये प्रदेश की पहली बागडोर भी बीजेपी के ही हाथ में रही. बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी. बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने. वो 15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 तक इस पद पर रहे. हालांकि बाद में बीजेपी के ही अर्जुन मुंडा को यह कुर्सी मिली.

झारखंड में बीजेपी का शासन: 15 नंवबर 2000 को झारखंड का गठन होने के बाद 2022 तक लगभग 15 साल बीजेपी झारखंड में सत्ता में रही है. बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास बीजेपी के तीन मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने झारखंड की सत्ता में पार्टी का नेतृत्व किया. पहली बार बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी. बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने. वो 15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 तक इस पद पर रहे. उसके बाद अर्जुन मुंडा मख्यमंत्री बने. अर्जुन मुंडा ने 18 मार्च 2003 से 01 मार्च 2005 तक राज्य की कमान संभाली. दूसरी बार बीजेपी के अर्जुन मुंडा ने 12 मार्च 2005 से 14 सितंबर 2006 तक सत्ता चलाई. 11 सिंतबर 2010 को अर्जुन मुंडा तीसरी बार झारखंड के सीएम बने और 18 जनवरी 2013 तक राज्य का नेतृत्व किया. इसके बाद 28 दिसंबर 2014 को एक बार फिर बीजेपी के हाथ में सत्ता आई, इस बार रघुवर दास राज्य के मुखिया बने. रघुवर दास की सरकार झारखंड में पहली ऐसी सरकार साबित हुई जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया.

ये भी पढ़ें:- रामगढ़ में 6 से 14 अप्रैल तक बीजेपी मनाएगी सेवा पखवाड़ा सप्ताह, स्वास्थ्य शिविरों का होगा आयोजन

कई बार सत्ता से बाहर हुई बीजेपी: बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले झारखंड में बीजेपी को कई बार सत्ता से बाहर भी होना पड़ा. 2005 में झारखंड में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे. पांच सालों के इस टर्म में सूबे के अंदर 4 बार सीएम का चेहरा चेंज हुआ. मुख्यमंत्री की कुर्सी एक बार बीजेपी, दो बार जेएमएम और एक बार निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा ने कई विपक्षी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई. 2014 में झारखंड के अंदर तीसरी बार विधानसभा के चुनाव हुए. रघुवर दास राज्य के मुख्यमंत्री बने. झारखंड को पहली बार स्थिर सरकार मिली. इन सबके बावजूद बीजेपी संगठन और सरकार के बीच समन्वय बनाने में फिसल गई और 2019 के विधानसभा चुनाव में मत ज्यादा लाने के बाबजूद भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा.

संगठन में होता रहा है खींचतान: 22 वर्षों के इस झारखंड में बीजेपी के अंदर खींचतान होते रहे हैं. जिसका खामियाजा संगठन को समय समय पर उठाना पड़ा है. आदिवासी चेहरे को आगे रखकर प्रदेश संगठन का कामकाज चलाने की स्ट्रेटजी झारखंड बीजेपी की रही है. जिसके कारण अब तक तीन बार ही ऩॉन ट्राइबल प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये हैं. वर्तमान समय में पार्टी की बागडोर दीपक प्रकाश के जिम्मे है, इससे पहले नॉन ट्रायबल फेस में रवीन्द्र राय, रघुवर दास, दिनेशानंद गोस्वामी और यदुनाथ पांडेय का नाम शामिल है. अनुशासन की दुहाई देने वाली इस पार्टी में भी झारखंड प्रदेश के अंदर खींचतान शुरू से होती रही है. बाबूलाल,रवीन्द्र राय, दीपक प्रकाश, सरयू राय सहित कई बड़े चेहरे का बगावती तेवर इसका गवाह है. हालांकि सरयू राय को छोड़कर उपरोक्त सभी फिलहाल पार्टी की प्रमुख भूमिका में हैं. बहरहाल संगठन मजबूती और सबका साथ सबका विकास के संकल्प के साथ झारखंड में हमेशा कमल खिला रहे यह पार्टी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

रांची: भारतीय जनता पार्टी अपना 42वां स्थापना दिवस मना रही है. 6 अप्रैल 1980 को जिस पार्टी की स्थापना हुई थी उस पार्टी ने लंबा सफर तय कर लिया है. कभी दो सीटों पर सिमटने वाली पार्टी आज केंद्र के साथ कई राज्यों में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का वह कथन ‘अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा’, आज साकार हो चुका है.

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झारखंड रहा है बीजेपी का गढ़: संयुक्त बिहार के समय से ही आज के झारखंड में बीजेपी का कमल खिलता रहा है. इसके पीछे कई वजह रही है. झारखंड में संघ की सक्रियता का लाभ भी बीजेपी को आगे बढ़ने में मिला. बाद में स्वतंत्र राज्य को लेकर जारी आंदोलन के बीच झारखंड को स्वतंत्र अस्तित्व में लाने का श्रेय भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है. बिहार से अलग होकर 15 नवंबर 2000 को बने इस नये प्रदेश की पहली बागडोर भी बीजेपी के ही हाथ में रही. बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी. बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने. वो 15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 तक इस पद पर रहे. हालांकि बाद में बीजेपी के ही अर्जुन मुंडा को यह कुर्सी मिली.

झारखंड में बीजेपी का शासन: 15 नंवबर 2000 को झारखंड का गठन होने के बाद 2022 तक लगभग 15 साल बीजेपी झारखंड में सत्ता में रही है. बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास बीजेपी के तीन मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने झारखंड की सत्ता में पार्टी का नेतृत्व किया. पहली बार बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी. बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने. वो 15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 तक इस पद पर रहे. उसके बाद अर्जुन मुंडा मख्यमंत्री बने. अर्जुन मुंडा ने 18 मार्च 2003 से 01 मार्च 2005 तक राज्य की कमान संभाली. दूसरी बार बीजेपी के अर्जुन मुंडा ने 12 मार्च 2005 से 14 सितंबर 2006 तक सत्ता चलाई. 11 सिंतबर 2010 को अर्जुन मुंडा तीसरी बार झारखंड के सीएम बने और 18 जनवरी 2013 तक राज्य का नेतृत्व किया. इसके बाद 28 दिसंबर 2014 को एक बार फिर बीजेपी के हाथ में सत्ता आई, इस बार रघुवर दास राज्य के मुखिया बने. रघुवर दास की सरकार झारखंड में पहली ऐसी सरकार साबित हुई जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया.

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कई बार सत्ता से बाहर हुई बीजेपी: बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले झारखंड में बीजेपी को कई बार सत्ता से बाहर भी होना पड़ा. 2005 में झारखंड में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे. पांच सालों के इस टर्म में सूबे के अंदर 4 बार सीएम का चेहरा चेंज हुआ. मुख्यमंत्री की कुर्सी एक बार बीजेपी, दो बार जेएमएम और एक बार निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा ने कई विपक्षी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई. 2014 में झारखंड के अंदर तीसरी बार विधानसभा के चुनाव हुए. रघुवर दास राज्य के मुख्यमंत्री बने. झारखंड को पहली बार स्थिर सरकार मिली. इन सबके बावजूद बीजेपी संगठन और सरकार के बीच समन्वय बनाने में फिसल गई और 2019 के विधानसभा चुनाव में मत ज्यादा लाने के बाबजूद भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा.

संगठन में होता रहा है खींचतान: 22 वर्षों के इस झारखंड में बीजेपी के अंदर खींचतान होते रहे हैं. जिसका खामियाजा संगठन को समय समय पर उठाना पड़ा है. आदिवासी चेहरे को आगे रखकर प्रदेश संगठन का कामकाज चलाने की स्ट्रेटजी झारखंड बीजेपी की रही है. जिसके कारण अब तक तीन बार ही ऩॉन ट्राइबल प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये हैं. वर्तमान समय में पार्टी की बागडोर दीपक प्रकाश के जिम्मे है, इससे पहले नॉन ट्रायबल फेस में रवीन्द्र राय, रघुवर दास, दिनेशानंद गोस्वामी और यदुनाथ पांडेय का नाम शामिल है. अनुशासन की दुहाई देने वाली इस पार्टी में भी झारखंड प्रदेश के अंदर खींचतान शुरू से होती रही है. बाबूलाल,रवीन्द्र राय, दीपक प्रकाश, सरयू राय सहित कई बड़े चेहरे का बगावती तेवर इसका गवाह है. हालांकि सरयू राय को छोड़कर उपरोक्त सभी फिलहाल पार्टी की प्रमुख भूमिका में हैं. बहरहाल संगठन मजबूती और सबका साथ सबका विकास के संकल्प के साथ झारखंड में हमेशा कमल खिला रहे यह पार्टी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

Last Updated : Apr 6, 2022, 10:13 AM IST
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