रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के रांची पशुचिकित्सा महाविद्यालय और प्रसार शिक्षा निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु गांव में प्रशिक्षण और पशु चिकित्सा शिविर चलाया गया. किसान गोष्ठी में गांव के करीब 100 पुरूष और महिला सदस्यों को पशुपालन प्रबंधन के उन्नत तकनीकी के विषय में प्रशिक्षित किया गया.
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क्या बोले डॉ सुशील प्रसाद
मौके पर डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने कहा कि उलिहातु गांव का बहुतायत परिवार पशुपालन से जुड़ा हैं. परंपरागत तरीके से पशुपालन से गांव के लोगों को पशुधन से सही लाभ नहीं मिल रहा है. अधिक आय और रोजगार के लिए पशुधन को व्यवसाय के रूप में अपनाने की जरूरत है. राज्य सरकार ने भी इस दिशा में अनेकों नई योजनाएं लागु कि है. उन्नत पशु नस्लों के बेहतर प्रबंधन से पशुपालन को अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है. पशुओं की देखभाल में नियमित अंतराल पर टीकाकरण और प्रत्येक दो महीने में कृमिनाशक दवा से उपचार कर लागत और नुकसान में कमी के साथ अधिक लाभ लिया जा सकता है. पशु प्रसार शिक्षा विभाग के मुख्य वैज्ञानिक डॉ आलोक कुमार पांडे ने बकरी, सूकर, मुर्गी और गाय के उन्नत नस्लों से लाभ और पशुओं के विभिन्न रोग और उसके बचाव के बारे में ग्रामीणों को जागरूक किया.
पशुओं का किया गया टीकाकरण
गांव में राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत 15 सदस्यीय छात्रों के दल ने पशुओं की स्वास्थ्य जांच और पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन किया. इंटर्नशिप और पीजी शोध से जुड़े कॉलेज के छात्रों का मार्गदर्शन राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के प्रभारी डॉ प्रवीण कुमार और डॉ भूषण कुमार सिंह ने किया. शिविर में पशु शिक्षा नैदानिक संकुल प्रभारी डॉ अभिषेक कुमार के नेतृत्व में पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों के दल ने छात्रों के सहयोग से 450 से अधिक पशुओं की स्वास्थ्य जांच की. पशुओं की जांच के उपरांत करीब 250 भेड़ और बकरियों का पीपीआर टीकाकरण किया गया. करीब 220 गाय और भेंस का एफएमडी, गलघोंटू, लंगड़ा बुखार का टीकाकरण किया गया. साथ ही पशुओं के लिए दो महीने के अंतराल में उपयोग के लिए कृमि नाशक दवा का वितरण किया गया. पशुओं की जांच और चिकित्सा में पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों में डॉ बंधनु उरांव, डॉ पंकज सेठ, डॉ आनंद कुमार, डॉ विद्या भूषन, डॉ लवली केरकेट्टा और डॉ अलोक सिंह ने सहयोग प्रदान किया. मौके पर बिरसा मुंडा के पोते सुखराम मुंडा भी मौजूद थे.