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रांची: कांके विधानसभा क्षेत्र का सुदरवर्ती गांव बगदा आज भी बुनियादी सुविधाओं से है महरूम

कांके विधानसभा क्षेत्र के बगदा गांव का हाल बदहाल है. मूलभूत सुविधाओं से दूर इस गांव में चुनाव के समय नेताओं की नजर पड़ती तो है पर थमती नहीं. वोट मांगने के लिए नेता आते हैं, वादे करते हैं और चले जाते हैं. देखिए खास रिपोर्ट.

Bad condition Bagda village of Kanke assembly constituency
मूलभूत सुविधाओं से दूर बगदा गांव
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Published : Dec 1, 2019, 2:06 PM IST

Updated : Jan 2, 2020, 4:26 PM IST

कांकेः विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तमाम प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र का भ्रमण कर रहे हैं. इस दौरान लगातार ईटीवी भारत विभिन्न क्षेत्र का भी ग्राउंड जीरो हकीकत जानने की कोशिश कर रही है कि आखिर उस इलाके में कितना काम हुआ है. वहीं, मौजूदा विधायक ने इन 5 सालों में कितना काम किया है और जो कार्य होना था वह हुआ भी या फिर अब भी उसमें कार्य बाकी है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-गुजराती नेता और सूबे के मुख्यमंत्री को जेल जाने से भगवान भी नहीं रोक सकतेः हेमंत सोरेन

इसकी जांच-पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची. बता दें कि कांके विधानसभा क्षेत्र के बुढ़मू प्रखंड अंतर्गत एक सुदूरवर्ती गांव बगदा है, जहां दूर-दूर तक पक्की सड़क का नामोनिशान भी नहीं है. लोगों को अपने सामान को बाजार तक ले जाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ता है.

वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि अगर कोई मरीज बीमार हो जाता है उसे सदर अस्पताल तक पहुंचाने में भी दिक्कतें आती हैं और कभी-कभी तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है. लोगों का कहना है कि वोट मांगने के लिए नेता जनता के दरवाजे तक पहुंच जाते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद जनता अपने विधायक का चेहरा तक देखने को तरस जाते हैं. यहां तक कि लगातार रघुवर सरकार यह नारा लगाती है कि झारखंड में विकास तेजी से हो रहा है लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है.

ये भी पढ़ें-दुमका: निर्दलीय प्रत्याशी सीताराम पाठक ने किया जीत का दावा, कहा- जनता की राय से लड़ रहे हैं चुनाव

बगदा गांव की स्थिति देखकर तो यह सवाल उठता है कि क्या वाकई में विकास हुआ है. इस गांव के लोगों की जीविका उपार्जन का एकमात्र साधन है कृषि है. किसानों का कहना है कि कृषि उपज किए हुए सामान को बाजार में बेचकर ही वो अपना गुजर-बसर करते हैं. ग्रामीण कहते हैं कि उन्हें चुनाव के समय झूठे आश्वासन देकर बरगलाया जाता है लेकिन बाद में वह मूलभूत सुविधा से कोसों दूर रह जाते हैं.

वहीं, स्कूली बच्चों ने कहा कि गांव से स्कूल दूर पढ़ाई के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है. बच्चे ऐसे में साइकिल में या तो पैदल पढ़ाई करने के लिए जाते हैं. बच्चों ने कहा कि ज्यादा दिक्कत बरसात के दिनों में होती है क्योंकि यूनिफॉर्म पूरी तरह से कीचड़ से गंदा हो जाता है.

राज्य सरकार ने दावा करती है कि प्रतिदिन के हिसाब से दोगुनी रफ्तार में सड़क का निर्माण कराया जाता है, लेकिन शहरी क्षेत्र के अलावा सुदूरवर्ती इलाकों में देखा जाए तो विकास कोसों दूर नजर आता है. कांके विधानसभा में पिछले 30 वर्षों से लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है, लेकिन क्षेत्र में कुछ खासा बदलाव दिखाई नहीं देता. अब देखना है कि आने वाले सालों में इस क्षेत्र की तस्वीर बदलती है या फिर झुठे वादों का सिलसिला यूं ही जारी रहता है

कांकेः विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तमाम प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र का भ्रमण कर रहे हैं. इस दौरान लगातार ईटीवी भारत विभिन्न क्षेत्र का भी ग्राउंड जीरो हकीकत जानने की कोशिश कर रही है कि आखिर उस इलाके में कितना काम हुआ है. वहीं, मौजूदा विधायक ने इन 5 सालों में कितना काम किया है और जो कार्य होना था वह हुआ भी या फिर अब भी उसमें कार्य बाकी है.

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इसकी जांच-पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची. बता दें कि कांके विधानसभा क्षेत्र के बुढ़मू प्रखंड अंतर्गत एक सुदूरवर्ती गांव बगदा है, जहां दूर-दूर तक पक्की सड़क का नामोनिशान भी नहीं है. लोगों को अपने सामान को बाजार तक ले जाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ता है.

वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि अगर कोई मरीज बीमार हो जाता है उसे सदर अस्पताल तक पहुंचाने में भी दिक्कतें आती हैं और कभी-कभी तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है. लोगों का कहना है कि वोट मांगने के लिए नेता जनता के दरवाजे तक पहुंच जाते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद जनता अपने विधायक का चेहरा तक देखने को तरस जाते हैं. यहां तक कि लगातार रघुवर सरकार यह नारा लगाती है कि झारखंड में विकास तेजी से हो रहा है लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है.

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बगदा गांव की स्थिति देखकर तो यह सवाल उठता है कि क्या वाकई में विकास हुआ है. इस गांव के लोगों की जीविका उपार्जन का एकमात्र साधन है कृषि है. किसानों का कहना है कि कृषि उपज किए हुए सामान को बाजार में बेचकर ही वो अपना गुजर-बसर करते हैं. ग्रामीण कहते हैं कि उन्हें चुनाव के समय झूठे आश्वासन देकर बरगलाया जाता है लेकिन बाद में वह मूलभूत सुविधा से कोसों दूर रह जाते हैं.

वहीं, स्कूली बच्चों ने कहा कि गांव से स्कूल दूर पढ़ाई के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है. बच्चे ऐसे में साइकिल में या तो पैदल पढ़ाई करने के लिए जाते हैं. बच्चों ने कहा कि ज्यादा दिक्कत बरसात के दिनों में होती है क्योंकि यूनिफॉर्म पूरी तरह से कीचड़ से गंदा हो जाता है.

राज्य सरकार ने दावा करती है कि प्रतिदिन के हिसाब से दोगुनी रफ्तार में सड़क का निर्माण कराया जाता है, लेकिन शहरी क्षेत्र के अलावा सुदूरवर्ती इलाकों में देखा जाए तो विकास कोसों दूर नजर आता है. कांके विधानसभा में पिछले 30 वर्षों से लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है, लेकिन क्षेत्र में कुछ खासा बदलाव दिखाई नहीं देता. अब देखना है कि आने वाले सालों में इस क्षेत्र की तस्वीर बदलती है या फिर झुठे वादों का सिलसिला यूं ही जारी रहता है

Intro:

कांके विधानसभा क्षेत्र के सुदरवर्ती गांव बगद, आज भी बुनियादी सुविधा से महरूम

वक थ्रू....विजय कुमार गोप
बाइट---ग्रामीण
बाइट--- स्कूली बच्चे


विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तमाम प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र का भ्रमण कर रहे हैं इस दौरान लगातार ईटीवी भारत विभिन्न क्षेत्र का भी ग्राउंड जीरो हकीकत जानने की कोशिश कर रही है कि आखिर उस इलाके में कितना काम हुआ है मौजूदा विधायक के द्वारा इन 5 सालों में जो कार्य होना था वह हुआ या फिर अब भी उसमें कार्य बाकी है कांके विधानसभा क्षेत्र के बुढ़मू प्रखंड अंतर्गत सुदूरवर्ती गांव बगदा पहुंचे जहां दूर-दूर तक सड़क का नामोनिशान नहीं लोगों को अपने सामान को बाजार तक ले जाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ता है यहां तक कि लोगों का कहना है कि अगर कोई मरीज बीमार हो जाता है उसे सदर अस्पताल तक पहुंचा दे दो रास्ते में ही दम तोड़ देता है। वोट मांगने के लिए नेता जनता के दरवाजे तक पहुंच जाते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद जनता अपने विधायक का चेहरा देखने को तरस जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में ना तो सांसद का भी आते हैं ना ही विधायक यहां तक कि लगातार मुख्यमंत्री रघुवर दास के द्वारा नारा लगाया जाता है झारखंड में विकास तेजी से हो रहा है लेकिन यह गांव की स्थिति देखकर आपको लग रहा होगा कि क्या वाकई में विकास हुई है। इस गांव के लोगों का जीविका उपार्जन का एकमात्र साधन है कृषि, कृषि उपज किए हुए सामान को ही बाजार में बेचकर अपना जीविका उपार्जन किसी तरह से करते हैं। ऐसे में इन मासूमों को चुनाव के समय झूठे आश्वासन देकर बरगलाया जाता है लेकिन बाद में वह मूलभूत सुविधा से कोसों दूर रह जाते हैं

स्कूली बच्चों ने कहा कि गांव से स्कूल दूर पढ़ाई के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है ऐसे में साइकिल में या तो पैदल लोग पढ़ाई के लिए जाते हैं ज्यादा दिक्कत बरसात के दिनों में होता है क्योंकि यूनिफॉर्म पूरी तरह से कीचड़ से समझाता है

Body:
राज्य सरकार ने ने दावा है कि प्रतिदिन के हिसाब से दुगनी रफ़्तार में सड़क का निर्माण कराया गया है लेकिन शहरी क्षेत्र के अलावे सुदूरवर्ती इलाकों में अब देखेंगे तो विकास कोसों दूर नजर आती है। कांके विधानसभा ने पिछले 30 वर्षों से लगातार भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है और वही बात करें तो 5 वर्षों में लगातार राज्य में स्थिर सरकार रही सरकार ने दावा भी किया है कि हमारे इन 5 सालों की स्थित सरकार ने क्षेत्र का काफी विकास हुआ है



Conclusion:
Last Updated : Jan 2, 2020, 4:26 PM IST
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