कांकेः विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तमाम प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र का भ्रमण कर रहे हैं. इस दौरान लगातार ईटीवी भारत विभिन्न क्षेत्र का भी ग्राउंड जीरो हकीकत जानने की कोशिश कर रही है कि आखिर उस इलाके में कितना काम हुआ है. वहीं, मौजूदा विधायक ने इन 5 सालों में कितना काम किया है और जो कार्य होना था वह हुआ भी या फिर अब भी उसमें कार्य बाकी है.
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इसकी जांच-पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची. बता दें कि कांके विधानसभा क्षेत्र के बुढ़मू प्रखंड अंतर्गत एक सुदूरवर्ती गांव बगदा है, जहां दूर-दूर तक पक्की सड़क का नामोनिशान भी नहीं है. लोगों को अपने सामान को बाजार तक ले जाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ता है.
वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि अगर कोई मरीज बीमार हो जाता है उसे सदर अस्पताल तक पहुंचाने में भी दिक्कतें आती हैं और कभी-कभी तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है. लोगों का कहना है कि वोट मांगने के लिए नेता जनता के दरवाजे तक पहुंच जाते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद जनता अपने विधायक का चेहरा तक देखने को तरस जाते हैं. यहां तक कि लगातार रघुवर सरकार यह नारा लगाती है कि झारखंड में विकास तेजी से हो रहा है लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है.
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बगदा गांव की स्थिति देखकर तो यह सवाल उठता है कि क्या वाकई में विकास हुआ है. इस गांव के लोगों की जीविका उपार्जन का एकमात्र साधन है कृषि है. किसानों का कहना है कि कृषि उपज किए हुए सामान को बाजार में बेचकर ही वो अपना गुजर-बसर करते हैं. ग्रामीण कहते हैं कि उन्हें चुनाव के समय झूठे आश्वासन देकर बरगलाया जाता है लेकिन बाद में वह मूलभूत सुविधा से कोसों दूर रह जाते हैं.
वहीं, स्कूली बच्चों ने कहा कि गांव से स्कूल दूर पढ़ाई के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता है. बच्चे ऐसे में साइकिल में या तो पैदल पढ़ाई करने के लिए जाते हैं. बच्चों ने कहा कि ज्यादा दिक्कत बरसात के दिनों में होती है क्योंकि यूनिफॉर्म पूरी तरह से कीचड़ से गंदा हो जाता है.
राज्य सरकार ने दावा करती है कि प्रतिदिन के हिसाब से दोगुनी रफ्तार में सड़क का निर्माण कराया जाता है, लेकिन शहरी क्षेत्र के अलावा सुदूरवर्ती इलाकों में देखा जाए तो विकास कोसों दूर नजर आता है. कांके विधानसभा में पिछले 30 वर्षों से लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है, लेकिन क्षेत्र में कुछ खासा बदलाव दिखाई नहीं देता. अब देखना है कि आने वाले सालों में इस क्षेत्र की तस्वीर बदलती है या फिर झुठे वादों का सिलसिला यूं ही जारी रहता है