रांची: कोरोना महामारी को लेकर पूरे देश में सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर जागरूकता को लेकर ढेरों कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. उन सब प्रयासों से इतर झारखंड में कलाकारों ने एक अनूठी कोशिश की है. इसके तहत न केवल हिंदी, बल्कि प्रदेश की लगभग एक दर्जन स्थानीय भाषाओं में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. राज्य में कलाकारों की एक ऐसी टोली है जो सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म का उपयोग करते हुए ग्रामीण और शहरी इलाके में कोविड-19 के मद्देनजर लोगों को जागरूक कर रहे हैं. राजधानी रांची के चुटिया इलाके में भारतीय लोक कल्याण संस्थान नाम की संस्था गीत, संगीत, नाटक और पपेट शो के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहा है.
22 मार्च को लगे पहले जनता कर्फ्यू से सक्रिय हुई संस्था
भारत सरकार के गीत नाटक प्रभाग और झारखंड सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग से पंजीकृत संस्था के कलाकार अभी तक इस काम में जुटे हुए हैं. संस्था ने प्रवासी, कोरोना वध के नाम से शॉर्ट ड्रामा और रीजनल लैंग्वेज में गाना तैयार किया है. राज्य भर में संस्थान के 222 कलाकारों की टीम हर जिले में लॉकडाउन के दौरान 300 से अधिक छोटे-छोटे नाटक तैयार किए हैं.
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लॉकडाउन के हर फेज के अनुसार तैयार किया गया है नाटक
दरअसल, जैसे ही लॉकडाउन शुरू हुआ उसके बाद हर फेज से जोड़कर अलग-अलग नाटक तैयार किए गए. उन्हें इंटरेस्टिंग बनाने के मकसद से नाटकों के पात्र के नाम मुंहफट, कोरोना और ज्ञानू बाबा रखे गए हैं. संस्था के सचिव चंद्रदेव सिंह बताते हैं कि हर फेज के लिए अलग-अलग ड्रामा तैयार किया गया है, क्योंकि हर फेज की अपनी अलग-अलग कहानी रही है. उन्होंने कहा कि पहले फेज में लोगों को जागरूक करने की कोशिश की गई. वहीं दूसरे फेज में प्रवासी मजदूरों के लौटने का दर्द शेयर करने की कोशिश की गई है.
छऊ नृत्य कला का भी किया गया उपयोग
संस्था के सचिव चंद्रदेव सिंह ने बताया कि कोरोना वध जैसे नाटक का भी मंचन किया गया. इसके लिए बाकायदा छऊ नृत्य का उपयोग भी किया गया है. साथ ही इस पूरे कार्यक्रम को सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर भी दर्शाया गया है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से सोशल डिस्टेंस मेंटेन करना है. इसलिए जहां एक से दो पात्र वाले नाटक थे, उन्हें फिजिकली भी गांव में दिखाया गया. वहीं दूसरी तरफ छऊ नृत्य का भी प्रयोग किया गया है, जिसमें सिल्ली के कलाकार प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं. उन नाटकों को यूट्यूब और अन्य चैनलों पर भी डाला गया है.
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स्थानीय भाषा में तैयार किए गए हैं गीत
उन्होंने बताया लगभग एक दर्जन भाषा में 70 गीत तैयार किए गए हैं. झारखंड की संस्कृति को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग भाषा के कलाकारों की मदद ली गई है. बाकायदा हो, मुंडारी, खड़िया, संथाली, खोरठा, भोजपुरी, नागपुरी, कुरमाली, हिंदी समेत कुछ अन्य भाषाओं में भी गीत तैयार किए गए हैं.
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भोपाल और हिमाचल की संस्थाओं ने मांगी मदद
चंद्रदेव सिंह बताया कि उनके इस प्रयास को लेकर भोपाल और हिमाचल प्रदेश के सामाजिक संस्थाओं ने उनसे संपर्क किया है, ताकि उनके लिए भी इस तरह की कोशिश की जा सके. उन्होंने बताया कि भारतीय लोक कल्याण संस्थान के फेसबुक पेज समेत यूट्यूब चैनल पर ये सारी चीजें उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया कि 222 लोगों की टीम में लगभग 60 महिलाएं हैं, जिन्होंने अपनी भूमिका निभाई है. उनमें पूनम वर्मा ने बताया कि संस्था ने कई गाने बनाए हैं, जिनके मार्फत लोगों तक पूर्ण संक्रमण से बचाव के लिए जागरूक किया गया है. दूसरी अर्टिस्ट सोनी कुमारी ने बताया कि जब से यह महामारी शुरू हुआ है तब से संस्थान के बहुत सारे कलाकार इससे जुड़ी नाटक बना रहे हैं. साथ ही स्लोगन भी लिखते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सबका मकसद एक ही है कि जिस तरह कोरोना वध के नाटक में कोरोना को भारत से दूर भगाया गया, उसी तरह यह संक्रमण देश से समाप्त हो जाए.