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'राम मंदिर निर्माण में सरना स्थल की मिट्टी ले जाने से पहले देना होगा सरना धर्म कोड'

राम मंदिर निर्माण में सरना स्थल की मिट्टी ले जाने के विश्व हिन्दू परिषद मंत्री केशव राजू के बयान पर आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अगर विश्व हिन्दू परिषद आदिवासियों की सरना स्थल और नदी से पानी ले जाना चाहती है तो सबसे पहले आदिवासियों को सरना धर्म कोड देना होगा.

Sarna Dharma Code demand
आदिवासी जन परिषद अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा
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Published : Jul 23, 2020, 12:52 PM IST

रांची: राम मंदिर निर्माण में सरना स्थल की मिट्टी ले जाने की बात पर आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने बयान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि विश्व हिन्दू परिषद मंत्री केशव राजू का बयान राजनीतिक से प्रेरित है. राज्य में धर्म के नाम पर सिर्फ राजनीतिक षड्यंत्र चल रहा है. आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है. आदिवासियों की धार्मिक जमीन को बेचा जा रहा है.

ये भी पढ़ें-झारखंड प्रशासनिक सेवा के 20 अधिकारियों का हुआ तबादला, जारी हुई अधिसूचना

प्रेम शाही मुंडा का कहना है कि अगर विश्व हिन्दू परिषद आदिवासियों के सरना स्थल और नदी से पानी ले जाना चाहता है तो सबसे पहले आदिवासियों को पहचान दिलाना होगा. आदिवासियों को अलग सरना धर्म कोड देना होगा. उनका कहना है कि जिस तरह से सरना स्थल की मिट्टी ले जाने की बात कह जा रही है यह कहीं ना कहीं धर्मांतरण की ओर इशारा कर रही है. उन्होंने कहा कि धर्म कोड लागू किए बिना झारखंड में सरना स्थल की मिट्टी और नदी का पानी छूने का अधिकार किसी को भी नहीं है और कोशिश की तो विद्रोह होगा.

रांची: राम मंदिर निर्माण में सरना स्थल की मिट्टी ले जाने की बात पर आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने बयान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि विश्व हिन्दू परिषद मंत्री केशव राजू का बयान राजनीतिक से प्रेरित है. राज्य में धर्म के नाम पर सिर्फ राजनीतिक षड्यंत्र चल रहा है. आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है. आदिवासियों की धार्मिक जमीन को बेचा जा रहा है.

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प्रेम शाही मुंडा का कहना है कि अगर विश्व हिन्दू परिषद आदिवासियों के सरना स्थल और नदी से पानी ले जाना चाहता है तो सबसे पहले आदिवासियों को पहचान दिलाना होगा. आदिवासियों को अलग सरना धर्म कोड देना होगा. उनका कहना है कि जिस तरह से सरना स्थल की मिट्टी ले जाने की बात कह जा रही है यह कहीं ना कहीं धर्मांतरण की ओर इशारा कर रही है. उन्होंने कहा कि धर्म कोड लागू किए बिना झारखंड में सरना स्थल की मिट्टी और नदी का पानी छूने का अधिकार किसी को भी नहीं है और कोशिश की तो विद्रोह होगा.

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