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'नगर निगम में मेयर ही सर्पोपरि', एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया का मंतव्य

रांची मेयर आशा लकड़ा ने प्रेस वार्ता की. जिसमें उन्होंने बताया कि नगर निगम में मेयर ही सर्पोपरि है, ये एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया का मंतव्य है.

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मेयर आशा लकड़ा
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Published : Sep 27, 2021, 6:18 PM IST

रांचीः नगर पालिका अधिनियम (Municipality Act) और मेयर के पावर को लेकर रार जारी है. सरकार के फैसले को लेकर मेयर काफी मुखर है. इसको लेकर सोमवार को मेयर आशा लकड़ा ने प्रेस वार्ता कर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया के मंतव्य की जानकारी सभी को दी. उन्होंने बताया कि नगर निगम में मेयर ही सर्वोपरि है.

इसे भी पढ़ें- अधिकारों में कटौती से बिफरीं मेयरः कहा- मैं कोई शो-पीस नहीं हूं, कोर्ट जाने की तैयारी

रांची नगर निगम की परिषद की बैठक से पहले मेयर आशा लकड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (Additional Solicitor General of India) से लिए गए मंतव्य की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया के मंतव्य के अनुसार नगर निगम में मेयर सर्वोपरि होती है और वही परिषद की बैठक बुला सकते हैं और एजेंडा तय कर सकती है. लेकिन रांची नगर निगम (Ranchi Municipal Corporation) के नगर आयुक्त परिषद के सदस्यों को गुमराह कर रहे हैं.

जानकारी देतीं मेयर
आशा लकड़ा ने कहा कि नगर निगम के मेयर का पावर बरकरार रहे, इसलिए कुछ एजेंडे पर रोक लगाई गयी है, वह नियम संगत नहीं है. नगर आयुक्त से उनके बारे में पूरी जानकारी भी मांगी गई है, पर नगर आयुक्त ने कोई जानकारी नहीं ही है.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने महाधिवक्ता से जो मंतव्य लिए थे. उसी के अनुसार नगर पालिका अधिनियम (Municipality Act) और मेयर के पावर को लेकर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया से भी मंतव्य लिया है. इसे राज्य सरकार को भी प्रेषित किया है और नगर आयुक्त को भी दिया है. उन्होंने कहा कि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया ने कहा है कि नगर निगम में मेयर सर्वोपरि है और उनके माध्यम से ही बैठक की तिथि, समय और एजेंडा निर्धारण किया जाना है.

महाधिवक्ता के दिए गए मंतव्य इस प्रकार हैं...

  • नगरपालिका अधिनियम के मुताबिक नगर निकायों में आयोजित होने वाली पार्षदों की बैठक बुलाने का अधिकार केवल नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी और विशेष पदाधिकारी को है.
  • नगरपालिका अधिनियम के अनुसार पार्षदों के साथ बुलाई गई किसी भी बैठक के लिए एजेंडा तैयार करने का अधिकार भी नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी को ही है.
  • बैठक के एजेंडा और कार्रवाई में मेयर और अध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं है.
  • आपातकालीन कार्य को छोड़ किसी भी परीस्थिति में मेयर और अध्यक्ष को अधिकार नहीं है कि वो एजेंडा में कोई बदलाव लाएं.
  • बैठक के बाद अध्यक्ष और मेयर को स्वतंत्र निर्णय का कोई अधिकार नहीं है. बैठक की कार्रवाई बहुमत के आधार पर तय होगी.
  • मेयर और अध्यक्ष को ये अधिकार नहीं है कि वो किसी भी अधिकारी और कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी करें.
  • मेयर और अध्यक्ष को यह अधिकार नहीं है कि वो किसी भी विभाग या कोषांग के द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा करें.
  • किसी भी बैठक में अगर मेयर उपस्थित नहीं हैं तो डिप्टी मेयर कार्रवाई पर हस्ताक्षर करेंगे. अगर दोनों अनुपस्थित हैं तो पार्षदों द्वारा चयनित प्रोजाइडिंग ऑफिसर हस्ताक्षर करेंगे.

इसे भी पढ़ें- अब राज्य सरकार मेयर को कर सकती है पदमुक्त, बैठक बुलाने और एजेंडा तय करने का अधिकार भी खत्म


उन्होंने कहा कि विधानसभा और लोकसभा में लाइव प्रसारण होता है. इसलिए इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को आने दिया जाए. इसको लेकर पीठासीन पदाधिकारी होने के नाते रांची नगर निगम परिषद की बैठक में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Print and Electronic Media) के प्रतिनिधि को बैठक का प्रसारण करने के लिए उचित व्यवस्था करने के लिए नगर आयुक्त को निर्देश दिया है. जबकि मेयर के द्वारा ही जब मीडिया की एंट्री पर रोक लगाई गई थी, तब उन्होंने समर्थन दिया था हालांकि अब उन्होंने अपनी इस गलती को माना है.

रांचीः नगर पालिका अधिनियम (Municipality Act) और मेयर के पावर को लेकर रार जारी है. सरकार के फैसले को लेकर मेयर काफी मुखर है. इसको लेकर सोमवार को मेयर आशा लकड़ा ने प्रेस वार्ता कर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया के मंतव्य की जानकारी सभी को दी. उन्होंने बताया कि नगर निगम में मेयर ही सर्वोपरि है.

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रांची नगर निगम की परिषद की बैठक से पहले मेयर आशा लकड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (Additional Solicitor General of India) से लिए गए मंतव्य की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया के मंतव्य के अनुसार नगर निगम में मेयर सर्वोपरि होती है और वही परिषद की बैठक बुला सकते हैं और एजेंडा तय कर सकती है. लेकिन रांची नगर निगम (Ranchi Municipal Corporation) के नगर आयुक्त परिषद के सदस्यों को गुमराह कर रहे हैं.

जानकारी देतीं मेयर
आशा लकड़ा ने कहा कि नगर निगम के मेयर का पावर बरकरार रहे, इसलिए कुछ एजेंडे पर रोक लगाई गयी है, वह नियम संगत नहीं है. नगर आयुक्त से उनके बारे में पूरी जानकारी भी मांगी गई है, पर नगर आयुक्त ने कोई जानकारी नहीं ही है.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने महाधिवक्ता से जो मंतव्य लिए थे. उसी के अनुसार नगर पालिका अधिनियम (Municipality Act) और मेयर के पावर को लेकर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया से भी मंतव्य लिया है. इसे राज्य सरकार को भी प्रेषित किया है और नगर आयुक्त को भी दिया है. उन्होंने कहा कि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया ने कहा है कि नगर निगम में मेयर सर्वोपरि है और उनके माध्यम से ही बैठक की तिथि, समय और एजेंडा निर्धारण किया जाना है.

महाधिवक्ता के दिए गए मंतव्य इस प्रकार हैं...

  • नगरपालिका अधिनियम के मुताबिक नगर निकायों में आयोजित होने वाली पार्षदों की बैठक बुलाने का अधिकार केवल नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी और विशेष पदाधिकारी को है.
  • नगरपालिका अधिनियम के अनुसार पार्षदों के साथ बुलाई गई किसी भी बैठक के लिए एजेंडा तैयार करने का अधिकार भी नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी को ही है.
  • बैठक के एजेंडा और कार्रवाई में मेयर और अध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं है.
  • आपातकालीन कार्य को छोड़ किसी भी परीस्थिति में मेयर और अध्यक्ष को अधिकार नहीं है कि वो एजेंडा में कोई बदलाव लाएं.
  • बैठक के बाद अध्यक्ष और मेयर को स्वतंत्र निर्णय का कोई अधिकार नहीं है. बैठक की कार्रवाई बहुमत के आधार पर तय होगी.
  • मेयर और अध्यक्ष को ये अधिकार नहीं है कि वो किसी भी अधिकारी और कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी करें.
  • मेयर और अध्यक्ष को यह अधिकार नहीं है कि वो किसी भी विभाग या कोषांग के द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा करें.
  • किसी भी बैठक में अगर मेयर उपस्थित नहीं हैं तो डिप्टी मेयर कार्रवाई पर हस्ताक्षर करेंगे. अगर दोनों अनुपस्थित हैं तो पार्षदों द्वारा चयनित प्रोजाइडिंग ऑफिसर हस्ताक्षर करेंगे.

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उन्होंने कहा कि विधानसभा और लोकसभा में लाइव प्रसारण होता है. इसलिए इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को आने दिया जाए. इसको लेकर पीठासीन पदाधिकारी होने के नाते रांची नगर निगम परिषद की बैठक में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Print and Electronic Media) के प्रतिनिधि को बैठक का प्रसारण करने के लिए उचित व्यवस्था करने के लिए नगर आयुक्त को निर्देश दिया है. जबकि मेयर के द्वारा ही जब मीडिया की एंट्री पर रोक लगाई गई थी, तब उन्होंने समर्थन दिया था हालांकि अब उन्होंने अपनी इस गलती को माना है.

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