रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नव निर्मित झारखंड विधानसभा और झारखंड उच्च न्यायालय भवन के निर्माण कार्य में बरती गई वित्तीय अनियमितता की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से कराने का आदेश दिया है. दोनों भवनों को राम कृपाल कंस्ट्रक्शन ने बनाया है. उद्घाटन के बाद से ही विधानसभा का भवन कभी वाटर लॉगिंग तो कभी सीलिंग ढहनने को लेकर विवादों में रहा है. वहीं, अभी तक हाई कोर्ट का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है. दोनों भवन का शुरुआती एस्टीमेट कुछ और था जिसे बाद में एक्सटेंशन दिखाकर जोड़ा गया.
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झारखंड हाईकोर्ट का धुर्वा में बन रहा है नया भवन
झारखंड हाईकोर्ट भवन के निर्माण में अनियमितता को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर है. इसमें कहा गया है कि अधिकारी और संवेदक की मिलीभगत से अनियमितता बरती गई है. रघुवर दास के शासनकाल में हाईकोर्ट भवन के निर्माण के लिए 365 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी, लेकिन एक चहेते संवेदक को काम दिलाने के लिए 100 करोड़ की राशि घटाकर 265 करोड़ में टेंडर दे दिया गया था. फिर बाद में इस प्रोजेक्ट की राशि बढ़ाकर 697 करोड़ कर दी गई. याचिका में जिक्र है कि इसके लिए ना तो सरकार से अनुमति ली गई और ना ही नया टेंडर निकाला गया था.
12 सितम्बर 2019 को पीएम मोदी ने किया था उदघाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड विधानसभा के एक नव निर्मित भवन का उद्घाटन 12 सितंबर 2019 को किया था. 39 एकड़ में फैले तीन मंजिला इमारत का निर्माण 465 करोड़ रुपये की लागत से हुआ था. आनन फानन में प्रधानमंत्री के हाथों कराये गए उदघाटन के बाद से ही इसके गुणवत्ता पर सवाल उठने शुरू हो गये थे. विधानसभा के इस नवनिर्मित भवन में फायर फाइटिंग के अभाव के कारण आग लगने के अलावे दो दो बार फल्स सिलिंग टूटकर गिर चुका है. अब एसीबी इसपर हुए खर्च की पूरी जांच करेगी.