रांचीः 170 करोड़ों के अनियमितता के मामले में जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार से एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने सोमवार को 8 घंटे तक पूछताछ की. निरंजन कुमार को पूछताछ के लिए एसीबी ने नोटिस देकर बुलाया था.
सीएम के आदेश के बाद हो रही जांच
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम जरेडा में हुए घपले की जांच में जुट गई है. 3 दिन तक जरेडा ऑफिस के कागजात खंगालने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने सोमवार को पूर्व निदेशक निरंजन कुमार को नोटिस देकर एसीबी मुख्यालय बुलाया था. जहां अनुसंधान कर आरएन सिंह ने निरंजन कुमार से 8 घंटे तक पूछताछ की. एसीबी अधिकारियों के मुताबिक जरेडा और ऊर्जा निगम के टेंडर संबंधी पेपर और उनमें बरती गई अनियमितता को लेकर निरंजन कुमार से बिंदुवार पूछताछ की गई. पूछताछ के दौरान कई सवालों पर निरंजन कुमार खासा परेशान रहे. एसीबी अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक टेंडर की अनियमितता को लेकर कई सारे मामले सामने आए हैं. ऐसे में पूछताछ पूरी नहीं हो पाई है, मंगलवार को निरंजन कुमार से दोबारा पूछताछ की जाएगी.
ये भी पढ़ें- अनलॉक 1.0ः मिली ऑटो रिक्शा-मैनुअल रिक्शा चलाने की अनुमति, परिवहन विभाग ने दिए कई निर्देश
किस तरह की अनियमितता आई सामने
इंडियन पोस्ट एंड पीसी अकाउंट्स एंड फाइनेंस सर्विस के अधिकारी निरंजन कुमार के दफ्तर में शुक्रवार को छापेमारी की गई थी. निरंजन कुमार के खिलाफ अपने वेतन की निकासी अवैध रूप से करने, सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ रुपए का भुगतान करने, सपरिवार विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति के विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति का कोई विवरण नहीं देने, निविदा में मनमानी तरीके से किसी कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने के साथ-साथ विभिन्न निविदा में बगैर बोर्ड की सहमति के निविदा के शर्तो को बदलने का आरोप है. इन सभी बिंदुओं पर एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने निरंजन कुमार से पूछताछ की. मिली जानकारी के अनुसार पूछताछ के दौरान निरंजन कुमार असहज नजर आए और कई सवालों का भी जवाब नहीं दे पाए.
झारखंड सरकार के अधिकारी नहीं है निरंजन
बता दें कि निरंजन कुमार झारखंड सरकार के अधिकारी नहीं है बल्कि आईपीटीएएफएस के 1990 बैच के अधिकारी हैं भारत संचार निगम लिमिटेड उनका मूल विभाग है. निरंजन कुमार को 1 दिसंबर 2005 को झारखंड सरकार में प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था. तब वह वित्त विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी बनाए गए थे. निरंजन कुमार अपने पहुंच के बल पर जेयूएसएनएल और जरेडा के निदेशक बन गए, जबकि इन पदों के लिए उन्होंने कोई भी तकनीकी अहर्ताएं पूरी नहीं की. 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी निरंजन कुमार अपने पद पर बने रहें. जबकि निरंजन कुमार की प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र सरकार या डीओपीटी में अभी तक प्राप्त नहीं होने से संबंधित शिकायत एसीबी को मिली थी. एसीबी ने साल 2019 में भी निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर की अनुमति मांगी थी, लेकिन तब तत्कालीन सरकार ने जांच की अनुमति नहीं दी थी.