रांची: बहुचर्चित 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला के आरोपी मधुकांत पाठक को हाई कोर्ट ने किसी भी प्रकार की राहत देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. आरोपी की ओर से अदालत से गुहार लगाई गई थी कि उन्हें खेल में भाग लेने के लिए टीम के साथ जाना है इसलिए उन्हें पासपोर्ट रिलीज की जाए. प्रार्थी के अधिवक्ता के दलील का सीबीआई के अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने विरोध किया. अदालत ने सीबीआई के अधिवक्ता के दलील को सुनने के उपरांत आरोपी को किसी भी प्रकार की राहत देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.
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झारखंड हाई कोर्ट मैं 34 में राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले के आरोपी मधुकांत पाठक ने यूएस में 15 जुलाई से 24 जुलाई तक हो रहे एथलीट खेल में अपने दल के साथ भाग लेने जाने के लिए अपनी पासपोर्ट रिलीज करने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी. उसी मामले पर सुनवाई के दौरान मधुकांत पाठक के अधिवक्ता ने अदालत को जानकारी दी कि एथलीट में भाग लेने के लिए उनका जाना जरूरी है. इसलिए उन्हें जाने के लिए उनका पासपोर्ट रिलीज करने का आदेश दे दिया जाए.
सीबीआई के अधिवक्ता ने प्रार्थी के अधिवक्ता के दलील का विरोध किया. उन्होंने अदालत से गुहार लगाया कि यह गंभीर मामला है ऐसे में अगर आरोपी विदेश जाता है और वह वापस नहीं आता है तो क्या किया जाएगा. मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को मिला है ऐसे में उन्हें विदेश जाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत याचिका को खारिज कर दिया.
34 वें राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले में मधुकांत पाठक को आरोपी बनाया गया है. इस मामले की जांच पूर्व में एसीबी कर रही थी. मामले एसीबी ने उन्हें गिरफ्तार किया था. उसके बाद उन्होंने जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने उन्हें अपना पासपोर्ट अदालत में जमा करने और अन्य कई शर्तों पर जमानत दी थी. उसके बाद से उनकी पासपोर्ट अदालत में जमा है. बगैर पासपोर्ट के वे ओलंपिक में भाग नहीं ले सकते. इसलिए उन्होंने इस पासपोर्ट को रिलीज करने की मांग की. जिस पर अदालत ने उन्हें किसी भी प्रकार की राहत देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. वर्तमान में मामले की जांच सीबीआई कर रही है.