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अपराधियों को रोल मॉडल मान रहे युवा, हथियारों का शौक बना रहा अपराधी - गैंगस्टर को रोल मॉडल

आज युवा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. यहां वे अपनी हर पसंद को शेयर भी करते हैं और ज्यादा से ज्यादा मशहूर होना चाहते हैं. इनमें कुछ युवा ऐसे भी हैं जो मशहूर होने के लिए गलत रास्ता अपनाते हैं. इनके रोल मॉडल अपराधी होते हैं और ये भी उन्हीं की तरह गैंगस्टर बनना चाहते हैं (Youth considering criminals as role models). यही नहीं ऐसे युवा हथियार को अपना स्टेटस सिंबल मान रहे हैं.

Youth considering criminals as role models
Youth considering criminals as role models
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Published : Oct 19, 2022, 7:49 AM IST

Updated : Oct 19, 2022, 1:42 PM IST

पलामू: देसी कट्टा का शौक युवाओं को अपराध की दुनिया मे धकेल रहा है. युवा देसी कट्टा के साथ सोशल मीडिया में फोटो अपलोड कर रहे हैं और अपराध को ग्लैमर मान रहे हैं और उसकी तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. कई युवा ऐसे हैं जो अपराधियों को ही हीरो मान रहे हैं (Youth considering criminals as role models) और उनके सोशल मीडिया अकाउंट को फॉलो कर रहे हैं. हाल ही पलामू पुलिस ने मेदनीनगर टाउन थाना क्षेत्र से पुलिस ने तीन देसी कट्टा के साथ 6 नाबालिगों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार नाबालिगों ने पुलिस को बताया था कि अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के लिए उन्होंने ये हथियार खरीदा और उनके पास करीब डेढ़ दर्जन ऐसे हथियार हैं.

ये भी पढ़ें: पलामू में व्यवसायियों से फिर मांगी गई रंगदारी, विरोध में हैदरनगर बाजार अनिश्चतकाल के लिए बंद


पलामू प्रमंडल के तीनों जिले पलामू, गढ़वा और लातेहार पिछले एक साल के दौरान पुलिस ने अपराधियों के पास से 200 हथियारों को रिकवर किया है. जिसमें से अकेले 136 का आंकड़ा देसी कट्टा का है. 2022 में जनवरी से अब तक तीनों जिलों में 110 से अधिक लोगों की हत्या हुई हैं, जिसमें 30 प्रतिशत से भी अधिक हत्याओं में देसी कट्टे का इस्तेमाल होता है. तीनों जिलों में 70 प्रतिशत आपराधिक घटनाओं में देसी कट्टे का इस्तेमाल हो रहा है. पलामू के एसपी चंदन कुमार सिन्हा बताते हैं कि युवाओं को अपराध की दुनिया में जाने से रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसका दुखद पहलू है कि युवा अपराधियों को रोल मॉडल मान रहे हैं और इसमें सोशल मीडिया बड़ी भूमिका निभा रहा है. पुलिस पूरे मामले में सख्त है और नेटवर्क को तोड़ने के लिए कई कदम उठा रही है. हथियार के साथ पकड़े जाने वाले व्यक्ति को आर्म्स एक्ट की धाराओं में जेल भेजा जाता है.

देखें वीडियो



तीन से आठ हजार में मिलता है देसी कट्टा: पलामू में युवाओं के पास से आसानी से अवैध हथियार पंहुच रहे है. पुलिस ने 2020 से अब तक एक दर्जन के करीब हथियार तस्कर गिरोह को पकड़ा गया है. युवाओं को तस्करों की सहायता से सिर्फ तीन से आठ हजार रुपये में देसी कट्टा उपलब्ध हो जा रहा है. गढ़वा के कई इलाकों में अवैध हथियार फैक्ट्री भी पकड़े गए हैं. पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि देसी कट्टे के तार यूपी और बिहार से जुड़े हुए हैं. हथियार तस्करों का गिरोह युवाओं को देसी कट्टा उपलब्ध करवा रहा है. यह पूरा नेटवर्क सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को जोड़ रहा है. मनोचिकित्सक डॉक्टर सुनील कुमार बताते हैं कि कम उम्र में युवाओं को सही और गलत की जानकारी नहीं रहती है और वे एक दिखावे में हथियार खरीद लेते हैं. इस उम्र में ज्यादा से ज्यादा मशहूर होने की भी ललक होती है. इस कारण भी ये युवा आसानी से अपराध की दुनिया में फंस जाते हैं.

पलामू प्रमंडल में सक्रिय हैं कई आपराधिक गिरोह: पलामू प्रमंडल के इलाके में 2005-06 से कई अपराधी गिरोहों पनपना शुरू हुए. इन गिरोहों के पनपने के साथ गैंगवार की शुरुआत हुई. पलामू, गढ़वा और लातेहार के इलाके में आधा दर्जन से भी अधिक आपराधिक गिरोह सक्रिय हैं. अपराधिक गिरोह रंगदारी टेंडर मैनेज समेत कई घटनाओं में शामिल हो रहे हैं.

पलामू: देसी कट्टा का शौक युवाओं को अपराध की दुनिया मे धकेल रहा है. युवा देसी कट्टा के साथ सोशल मीडिया में फोटो अपलोड कर रहे हैं और अपराध को ग्लैमर मान रहे हैं और उसकी तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. कई युवा ऐसे हैं जो अपराधियों को ही हीरो मान रहे हैं (Youth considering criminals as role models) और उनके सोशल मीडिया अकाउंट को फॉलो कर रहे हैं. हाल ही पलामू पुलिस ने मेदनीनगर टाउन थाना क्षेत्र से पुलिस ने तीन देसी कट्टा के साथ 6 नाबालिगों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार नाबालिगों ने पुलिस को बताया था कि अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के लिए उन्होंने ये हथियार खरीदा और उनके पास करीब डेढ़ दर्जन ऐसे हथियार हैं.

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पलामू प्रमंडल के तीनों जिले पलामू, गढ़वा और लातेहार पिछले एक साल के दौरान पुलिस ने अपराधियों के पास से 200 हथियारों को रिकवर किया है. जिसमें से अकेले 136 का आंकड़ा देसी कट्टा का है. 2022 में जनवरी से अब तक तीनों जिलों में 110 से अधिक लोगों की हत्या हुई हैं, जिसमें 30 प्रतिशत से भी अधिक हत्याओं में देसी कट्टे का इस्तेमाल होता है. तीनों जिलों में 70 प्रतिशत आपराधिक घटनाओं में देसी कट्टे का इस्तेमाल हो रहा है. पलामू के एसपी चंदन कुमार सिन्हा बताते हैं कि युवाओं को अपराध की दुनिया में जाने से रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसका दुखद पहलू है कि युवा अपराधियों को रोल मॉडल मान रहे हैं और इसमें सोशल मीडिया बड़ी भूमिका निभा रहा है. पुलिस पूरे मामले में सख्त है और नेटवर्क को तोड़ने के लिए कई कदम उठा रही है. हथियार के साथ पकड़े जाने वाले व्यक्ति को आर्म्स एक्ट की धाराओं में जेल भेजा जाता है.

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तीन से आठ हजार में मिलता है देसी कट्टा: पलामू में युवाओं के पास से आसानी से अवैध हथियार पंहुच रहे है. पुलिस ने 2020 से अब तक एक दर्जन के करीब हथियार तस्कर गिरोह को पकड़ा गया है. युवाओं को तस्करों की सहायता से सिर्फ तीन से आठ हजार रुपये में देसी कट्टा उपलब्ध हो जा रहा है. गढ़वा के कई इलाकों में अवैध हथियार फैक्ट्री भी पकड़े गए हैं. पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि देसी कट्टे के तार यूपी और बिहार से जुड़े हुए हैं. हथियार तस्करों का गिरोह युवाओं को देसी कट्टा उपलब्ध करवा रहा है. यह पूरा नेटवर्क सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को जोड़ रहा है. मनोचिकित्सक डॉक्टर सुनील कुमार बताते हैं कि कम उम्र में युवाओं को सही और गलत की जानकारी नहीं रहती है और वे एक दिखावे में हथियार खरीद लेते हैं. इस उम्र में ज्यादा से ज्यादा मशहूर होने की भी ललक होती है. इस कारण भी ये युवा आसानी से अपराध की दुनिया में फंस जाते हैं.

पलामू प्रमंडल में सक्रिय हैं कई आपराधिक गिरोह: पलामू प्रमंडल के इलाके में 2005-06 से कई अपराधी गिरोहों पनपना शुरू हुए. इन गिरोहों के पनपने के साथ गैंगवार की शुरुआत हुई. पलामू, गढ़वा और लातेहार के इलाके में आधा दर्जन से भी अधिक आपराधिक गिरोह सक्रिय हैं. अपराधिक गिरोह रंगदारी टेंडर मैनेज समेत कई घटनाओं में शामिल हो रहे हैं.

Last Updated : Oct 19, 2022, 1:42 PM IST
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