पलामू: झारखंड में कृषि को लेकर काफी काम हो रहा है. यहां के कई किसान अब पारंपरिक खेती छोड़कर वैज्ञानिक तरीके से खेती कर रहे हैं. इस तरह की खेती किसानों के जीवन में भी कई बदलाव लाए हैं. पलामू के सुखाड़ और नक्सल हिट इलाके के किसान अब खेती में नए प्रयोग कर नए आयाम को हासिल कर रहे हैं. पलामू और गढ़वा के इलाके में बड़े पैमाने पर शुगर फ्री आलू की खेती हो रही है. शुगर फ्री आलू कुफरी चिप्सोना प्रजाति का है जिसकी मांग बड़े पैमाने पर है. यह आलू बाजार में 50 से 80 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहे हैं. पलामू के हुसैनाबाद जबकि गढ़वा के उचरी इलाके में बड़े पैमाने पर किसानों ने इस फसल को लगाया है.
शुगर फ्री आलू की फसल से किसानों की किस्मत बदल रही है. शुरुआत में पलामू के हुसैनाबाद के किसानों ने सामूहिक रूप से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित कृषि अनुदान केंद्र में आलू की खेती की जानकारी ली थी. इसके बाद किसानों ने शिमला स्थित सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट के कुफरी शाखा से चिप्सोना प्रजाति आलू मंगाया और खेती शुरू की. हुसैनाबाद के इलाके में करीब 5 एकड़ में इस फसल को लगाया गया है जबकि गढ़वा उचरी में भी कई एकड़ में इस फसल को लगाई गई है.
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जैविक तरीके से हो रही खेती: शुगर फ्री आलू की मांग काफी अधिक है. आलू की खेती पूरी तरीके से जैविक माध्यम से की जा रही है. किसान प्रियरंजन और अशोक मिस्त्री ने बताया कि शुरुआत में उन्होंने 2 क्विंटल बीज मंगाए थे, जिससे करीब 19 क्विंटल आलू का उत्पादन हुआ. किसानों ने बताया कि इस प्रजाति के आलू का वजन करीब 500 ग्राम का होता है खेती के लिए मात्र दो बार जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है. दोनों ने बताया कि इस आलू की मांग काफी अधिक है फसल लगाने के साथ ही व्यापारी, इसकी बुकिंग करवा लेते हैं.
शुगर फ्री आलू की खेती को दिया जा रहा बढ़ावा: पलामू और गढ़वा में प्रशासन शुगर फ्री आलू के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है. प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी बताते हैं कि इस तरह के प्रयोग से किसानों को काफी फायदा हो रहा है. उन्होंने बताया कि आलू के बारे में मान्यता है कि इससे शुगर की बीमारी बढ़ती है, लेकिन इस तरह के उत्पादन से शुगर के मरीजों को काफी फायदा होगा. पलामू डीसी शशि रंजन ने बताया कि आलू की खेती पूरी तरीके से जैविक माध्यम से हो रही है पारंपरिक खेती के तरीकों से हटकर वैज्ञानिक तरीके से खेती करना पलामू के किसानों के लिए फायदेमंद है. उन्होंने बताया कि ऐसे किसानों को पलामू जिला प्रशासन मदद करेगा.