रांची/हैदराबादः पलामू संसदीय सीट घोर नक्सल प्रभावित है. यह भी सच है कि राज्य पुलिस के पूर्व मुखिया से लेकर पूर्व नक्सली तक इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इसबार बीजेपी और आरजेडी के बीच मुख्य मुकाबला है.
पलामू संसदीय सीट
झारखंड में पलामू 24 जिलों में से एक अहम जिला है, जो 1892 में अस्तित्व में आया. पलामू लोकसभा सीट से अब-तक 18 सांसद रह चुके हैं. पलामू से कांग्रेस की कमला कुमारी सबसे अधिक 4 बार सांसद रह चुकी हैं. इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें हैं. इन विधानसभा सीटों के नाम हैं डाल्टनगंज, गढ़वा, भवनाथपुर, विश्रामपुर, छतरपुर और हुसैनाबाद.
2019 का रण
बीजेपी ने इस बार फिर से विष्णू दयाल राम को पलामू के रण में उतारा है. वहीं महागठबंधन के तहत यह सीट आरजेडी को मिली है. जिस पर उसने घुरन राम को उम्मीदवार बनाया है. वहीं सीपीआई एमएल ने सुषमा मेहता को अपना प्रत्याशी बनाया है.
बीजेपी प्रत्याशी हैं वीडी राम
वीडी राम पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद राजनीति में आये हैं. पुलिस अधिकारी से सांसद बने वीडी राम का जन्म 23 जुलाई 1961 को हुआ था. वो बिहार के बक्सर जिले नैनीजोर के रहने वाले हैं. उन्होंने स्कूली पढ़ाई नेतरहाट आवासीय स्कूल से की. पटना यूनिवर्सिटी से उन्होंने ग्रेजुएशन किया. 1973 में वो आईपीएस के लिए चयनित हुए.
अपने शुरुआती कार्यकाल में वो भागलपुर के एसपी बने. भागलपुर में प्रसिद्ध आंखफोड़वा कांड के दौरान वीडी राम वहां के एसपी थे. इस कांड के बाद वे मशहूर हुए थे. इसके बाद वो पटना के एसएसपी बने. अलग राज्य बनने के बाद वो झारखंड में आ गये. वो दो बार झारखंड के डीजीपी बने. पहली बार 2005 में डीजीपी बने. दूसरी बार वो 2007 से 2010 तक झारखंड के डीजीपी पद पर रहे.
पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद वो 2014 में राजनीति में आए. बीजेपी की उन्होंने सदस्यता ली. पार्टी ने उन्हें 2014 लोकसभा चुनाव में पलामू से टिकट दिया. वो पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे. 2014 के चुनाव में उन्होंने शानदार जीत दर्ज की.
आरजेडी प्रत्याशी हैं घुरन राम
घुरन राम राजद के वरिष्ठ नेता हैं. उनका जन्म जनवरी 1970 में गढ़वा के महुलिया में हुआ था. उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से स्नातक तक की पढ़ाई की है. 2006 में हुए उपचुनाव में वो आरजेडी की टिकट पर चुनाव लड़े. चुनाव जीतकर वो पहली बार संसद पहुंचे. 2009 में चुनाव हार गए. 2014 में वो एकबार फिर चुनाव लड़े, लेकिन इस बार वो जेवीएम की टिकट पर चुनावी मैदान में थे. 2014 में भी उन्हें हार मिली. 2018 में वो फिर से आरजेडी में शामिल हो गए. घुरन राम सोशल मीडिया पर नहीं हैं.