पलामूः साइबर अपराधी पलामू जिले के वरीय अधिकारियों के साथ साथ आम लोगों को निशाना बना रहे हैं. स्थिति यह है कि पिछले एक साल में साइबर ठगी से जुड़े 600 मामले दर्ज किये गये हैं. इसमें 100 मामलों में साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है और शेष 500 शिकायतें विभिन्न थानों में दर्ज की गई है. लेकिन पलामू पुलिस साइबर अपराधियों पर कार्रवाई करने के बदले साइबर सेल के नाम पर पीठ थपथपा रही है.
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जिले में साइबर अपराधियों का मनोबल काफी बढ़ गया है. इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते है कि हाल में साइबर अपराधियों ने पलामू कमिश्नर जटाशंकर चौधरी और डीसी शशि रंजन के फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाकर आमलोगों को शिकार बनाने लगे. लेकिन दोनों अधिकारियों के फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाने वाले अपराधी अब तक पुलिस गिरफ्त से बाहर है. पलामू, गढ़वा और लातेहार में पिछले एक वर्ष की आंकड़ों पर गौर करें तो 600 से अधिक साइबर अपराध से संबंधित शिकायतें पुलिस के पास पहुंची है.
पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा कहते हैं कि साइबर अपराध से संबंधित मामलों में तत्काल कार्रवाई हो. इसको लेकर स्पेशल टीम को लगाया गया है. उन्होंने बताया कि पलामू में साइबर थाना है. उन्होंने कहा कि आमलोग साइबर फ्रॉड के शिकार होते हैं तो तत्काल संबंधित जिले के एसपी को सूचित करें, ताकि त्वरित कार्रवाई की जा सके. पुलिस साइबर अपराध से जुड़े हुए ममलों को लेकर संवेदनशील है.
पलामू प्रमंडल की आबादी करीब 50 लाख है. इस आबादी के लिये सिर्फ एक साइबर थाना है. पलामू साइबर थाने में 100 से अधिक केस दर्ज हैं, जिसका अनुसंधान लंबित है. इसकी वजह है कि साइबर थाना संसाधनों की कमी से जूझ रही है. पुलिस अधिकारी सूत्रों ने बताया कि पलामू पुलिस ने साइबर अपराध के बढ़ते मामले को देखते हुए सर्किल इंस्पेक्टर को भी साइबर फ्रॉड से जुड़े मामलों के अनुसंधान की जिम्मेदारी दी गई है. बता दें कि पलामू प्रमंडल में बैंकिंग फ्रॉड और सोशल साइट से ठगी के अधिकतर मामले सामने आ रहे हैं.