रांची: ईडी की छापेमारी के बाद चौतरफा घिरी खान सचिव पूजा सिंघल की मुश्किलों में और इजाफा होने वाला है. 12 मई को सुप्रीम कोर्ट में पलामू के कठौतिया कोल माइंस की सुनवाई होगी. जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी के इस मामले में खान सचिव पूजा सिंघल, झारखंड की पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा समेत कई टॉप अधिकारी संदेह के घेरे में हैं. जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ी को लेकर राजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में 2017 में एसएलपी (Special Leave Petition) दायर किया था. जिसके बाद अंतिम बार 12 जुलाई 2019 में सुनवाई हुई थी.
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जांच रिपोर्ट में पकड़ी गई थी गड़बड़ी: बता दें कि पलामू के पड़वा स्थित कठौतिया कोल माइंस के लिए 165 एकड़ जमीन आवंटित किया गया था. माइनिंग के लिए आवंटित जमीन में वन भूमि और भूदान की जमीन शामिल थी. पूरे मामले को लेकर एटक के राजीव कुमार ने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए 2015 में राज्यपाल को पत्र लिखा था. राज्यपाल ने मामले की जांच की जिम्मेदारी राजस्व सचिव और कार्मिक सचिव को दिया था.दोनों अधिकारियों के निर्देश पर पलामू के तत्कालीन आयुक्त एनके मिश्रा ने आवंटित जमीन को लेकर कई गड़बड़ियां पकड़ी थी और मामले में राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी. आयुक्त की की जांच रिपोर्ट में पलामू की तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल, जिला भू अर्जन पदाधिकारी उदय कांत पाठक, पड़वा सीओ आलोक कुमार समेत कई कर्मियों को दोषी माना गया था. हालांकि सरकार ने इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं करते हुए सभी को क्लीन चिट दे दिया था.
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हाई कोर्ट गए थे राजीव कुमार: 2016 में पूरे मामले को लेकर राजीव कुमार झारखंड हाई कोर्ट गए थे. झारखंड हाई कोर्ट में राजीव कुमार के याचिका को रद्द करते हुए 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. बाद में पूरे मामले को लेकर राजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (Special Leave Petition) दायर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार के एसएलपी को स्वीकार करते हुए पूरे मामले की सुनवाई शुरू की थी. कठौतिया कोल माइंस के लिए 500 एकड़ जमीन से रैय्यतों से ली गई थी जबकि सरकार द्वारा 165 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी. 82 एकड़ जमीन में बंदोबस्ती हुए थे जबकि बाकी की जमीन को बंजर दिखाते हुए कंपनी को आवंटित कर दिया गया था.