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झारखंड में नक्सलियों का अर्थतंत्र हुआ कमजोर, बीड़ी पत्ता से मिलने वाली लेवी में आई भारी गिरावट - झारखंड समाचार

झारखंड में नक्सलियों का अर्थतंत्र कमजोर हुआ है. नक्सलियों को बीड़ी पत्ता से मिलने वाली लेवी हुई कम हुई है. ऐसे में माना जा रहा है कि नक्सली कमजोर हो रहे हैं.

Naxalites weakened in Jharkhand
Naxalites weakened in Jharkhand
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Published : Jun 25, 2022, 5:25 PM IST

Updated : Jun 25, 2022, 5:33 PM IST

पलामू: नक्सल संगठनों के अर्थ तंत्र पर बड़ी चोट लगी है. केंदु पता (बीड़ी पता) से मिलने वाली लेवी 60 प्रतिशत तक कम हो गई है. कोविड 19 काल के बाद धीरे धीरे नक्सलियो को केंदु पत्ता से लेवी मिलनी कम हो गई है. झारखंड में अप्रैल के पहले सप्ताह से केंदु पता कि तुड़ाई शुरू होती है जो मानसून के आगमन तक जारी रहती है. इन तीन महीनों में माओवादी, TSPC और JJMP जैसे नक्सल संगठन पलामू रेंज में करोड़ों की लेवी वसूल लेते थे.

ये भी पढ़ें: मानसून में होगा जंगलो में घमासान, नक्सलियों से ज्यादा सांप-बिच्छू और मच्छर होंगे खतरनाक

झारखंड बिहार सीमा पर तेंदु पत्ता से करीब तीन करोड़ की लेवी वसूली जाती थी और जबकि मनिका और लातेहार के इलाके में भी करोड़ों की लेवी वसूली जाती थी. पीटीआर के इलाके में माओवादी केंदु पता को खुद से तुड़वा कर छत्तीसगढ़ के इलाके में बेच देते थे. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि पुलिस ने रणनीति के तहत काम किया है. जिस कारण नक्सल संगठनों को केंदु पता से मिलने वाली कमाई भी कम हो गई. लेवी नहीं मिलने की बौखलाहट के कारण ही नक्सलियों ने नावाबाजार और महुआडांड के इलाके में आगजनी की घटना को अंजाम दिया था. पलामू रेंज में 60 से अधिक पुलिस सैम्प स्थापित है, जिस कारण नक्सल गतिविधि कमजोर हुई है.

देखें वीडियो
पलामू रेंज में केंदु पत्ता से लेवी मिलना 60 प्रतिशत तक कम हो गईं हैं. एक बीड़ी पता ठेकेदार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि तुड़ाई की अनुमति लेने के लिए उसे नक्सल संगठनों को 30 से 40 लाख रुपए देने पड़ते थे. बाद में पता तुड़ाई की अलग से रकम देनी पड़ती थी, जो काफी अधिक होती थी. माओवादी, टीएसपीसी और जेजेएमपी के प्रभाव के हिसाब से लेवी दी जाती थी. नक्सल संगठनों को मैनेज किए बिना केंदु पत्ता की तुड़ाई असंभव थी. उन्होंने बताया कि हालात थोड़ा बदले हैं, अब कई इलाकों में लेवी नहीं देना पड़ता है. लेकिन कुछ इलाकों में देनी पड़ती है.केंदु पत्ता से माओवादी टीएसपीसी और जेजेएमपी का लेवी वसूलने का अलग अलग रेट है. माओवादियों का प्रभाव झारखंड बिहार सीमा लातेहार मनिका के इलाके में सिमट कर रह गया है. इस इलाके में माओवादी प्रति बैग 70 रुपये तक वसूलते है. टीएसपीसी जैसे नक्सली संगठन का प्रभाव पलामू के पांकी, मनातू, नावाजयपुर, चैनपुर, लातेहार के हेरगंज, बालूमाथ, मनिका के इलाके में है. जहां से वे लेवी वसूलते हैं. जबकि जेजेएमपी का प्रभाव मनिका, रामगढ़, चैनपुर और पांकी के कुछ इलाको में है.

पलामू: नक्सल संगठनों के अर्थ तंत्र पर बड़ी चोट लगी है. केंदु पता (बीड़ी पता) से मिलने वाली लेवी 60 प्रतिशत तक कम हो गई है. कोविड 19 काल के बाद धीरे धीरे नक्सलियो को केंदु पत्ता से लेवी मिलनी कम हो गई है. झारखंड में अप्रैल के पहले सप्ताह से केंदु पता कि तुड़ाई शुरू होती है जो मानसून के आगमन तक जारी रहती है. इन तीन महीनों में माओवादी, TSPC और JJMP जैसे नक्सल संगठन पलामू रेंज में करोड़ों की लेवी वसूल लेते थे.

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झारखंड बिहार सीमा पर तेंदु पत्ता से करीब तीन करोड़ की लेवी वसूली जाती थी और जबकि मनिका और लातेहार के इलाके में भी करोड़ों की लेवी वसूली जाती थी. पीटीआर के इलाके में माओवादी केंदु पता को खुद से तुड़वा कर छत्तीसगढ़ के इलाके में बेच देते थे. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि पुलिस ने रणनीति के तहत काम किया है. जिस कारण नक्सल संगठनों को केंदु पता से मिलने वाली कमाई भी कम हो गई. लेवी नहीं मिलने की बौखलाहट के कारण ही नक्सलियों ने नावाबाजार और महुआडांड के इलाके में आगजनी की घटना को अंजाम दिया था. पलामू रेंज में 60 से अधिक पुलिस सैम्प स्थापित है, जिस कारण नक्सल गतिविधि कमजोर हुई है.

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पलामू रेंज में केंदु पत्ता से लेवी मिलना 60 प्रतिशत तक कम हो गईं हैं. एक बीड़ी पता ठेकेदार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि तुड़ाई की अनुमति लेने के लिए उसे नक्सल संगठनों को 30 से 40 लाख रुपए देने पड़ते थे. बाद में पता तुड़ाई की अलग से रकम देनी पड़ती थी, जो काफी अधिक होती थी. माओवादी, टीएसपीसी और जेजेएमपी के प्रभाव के हिसाब से लेवी दी जाती थी. नक्सल संगठनों को मैनेज किए बिना केंदु पत्ता की तुड़ाई असंभव थी. उन्होंने बताया कि हालात थोड़ा बदले हैं, अब कई इलाकों में लेवी नहीं देना पड़ता है. लेकिन कुछ इलाकों में देनी पड़ती है.केंदु पत्ता से माओवादी टीएसपीसी और जेजेएमपी का लेवी वसूलने का अलग अलग रेट है. माओवादियों का प्रभाव झारखंड बिहार सीमा लातेहार मनिका के इलाके में सिमट कर रह गया है. इस इलाके में माओवादी प्रति बैग 70 रुपये तक वसूलते है. टीएसपीसी जैसे नक्सली संगठन का प्रभाव पलामू के पांकी, मनातू, नावाजयपुर, चैनपुर, लातेहार के हेरगंज, बालूमाथ, मनिका के इलाके में है. जहां से वे लेवी वसूलते हैं. जबकि जेजेएमपी का प्रभाव मनिका, रामगढ़, चैनपुर और पांकी के कुछ इलाको में है.
Last Updated : Jun 25, 2022, 5:33 PM IST
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