पलामू: नक्सल संगठनों के अर्थ तंत्र पर बड़ी चोट लगी है. केंदु पता (बीड़ी पता) से मिलने वाली लेवी 60 प्रतिशत तक कम हो गई है. कोविड 19 काल के बाद धीरे धीरे नक्सलियो को केंदु पत्ता से लेवी मिलनी कम हो गई है. झारखंड में अप्रैल के पहले सप्ताह से केंदु पता कि तुड़ाई शुरू होती है जो मानसून के आगमन तक जारी रहती है. इन तीन महीनों में माओवादी, TSPC और JJMP जैसे नक्सल संगठन पलामू रेंज में करोड़ों की लेवी वसूल लेते थे.
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झारखंड बिहार सीमा पर तेंदु पत्ता से करीब तीन करोड़ की लेवी वसूली जाती थी और जबकि मनिका और लातेहार के इलाके में भी करोड़ों की लेवी वसूली जाती थी. पीटीआर के इलाके में माओवादी केंदु पता को खुद से तुड़वा कर छत्तीसगढ़ के इलाके में बेच देते थे. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि पुलिस ने रणनीति के तहत काम किया है. जिस कारण नक्सल संगठनों को केंदु पता से मिलने वाली कमाई भी कम हो गई. लेवी नहीं मिलने की बौखलाहट के कारण ही नक्सलियों ने नावाबाजार और महुआडांड के इलाके में आगजनी की घटना को अंजाम दिया था. पलामू रेंज में 60 से अधिक पुलिस सैम्प स्थापित है, जिस कारण नक्सल गतिविधि कमजोर हुई है.