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जिस सड़क निर्माण की सुरक्षा में लगाए गए थे 200 जवान, वह आज भी है अधूरी

पलामू के मनातू थाना क्षेत्र में मनातू चक मंसुरिया रोड एक ऐसी सड़क है जो बनना तो शुरू हुई लेकिन मुक्कमल नहीं हुई. नक्सलियों के खौफ के कारण इस सड़क को बनाने के लिए एक वक्त 200 सुरक्षाकर्मी भी लगाए गए, लेकिन उसके बाद भी लापरवाही का आलम ये है कि नक्सलियों के कमजोर होने और माहौल ठीक होने के बाद भी सड़क निर्माणकार्य अधूरा है.

construction of Manatu Chak Mansuriya Road in Palamu
construction of Manatu Chak Mansuriya Road in Palamu
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Published : Mar 15, 2022, 6:46 PM IST

Updated : Mar 16, 2022, 4:59 PM IST

पलामू: मई जून 2011 पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के हथिया चट्टान के पास विस्फोट हुआ था, इस विस्फोट में पलामू के तत्कलीन एसपी अनूप टी मैथ्यू बाल बाल बच गए थे. जबकि इस दुर्घटना से ठीक छह महीने पहले इसी जगह पर विस्फोट हुआ था जिसमें चार जवान शहीद हुए थे. ये दुर्घटनाएं उस सड़क की कहानी को बताती है जिस पर माओवादियो का खौफ था. मात्र 14 किलोमीटर के मनातू चक मंसुरिया रोड पर एक दर्जन से अधिक बार नक्सल हमले हुए हैं जिसमें कई जवान शहीद हो गए. इस सड़क निर्माण में लगे कर्मियों की सुरक्षा के लिए 200 जवान भी लगाए गए थे, लेकिन इसके बाद भी 2018-19 में इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया, जो आज भी अधूरा है.

मनातू प्रखंड से करीब 4 किलोमीटर दूर बिहार की सीमा शुरू होती है. माना जाता है कि ये इलाका नक्सलियों का सेफ जोन है. नक्सलियों के खौफ के कारण इस इलाके में कभी विकास की पहल ही नहीं हुई. यहां एक सड़क बननी थी लेकिन 6 साल बाद भी वह पूरी नहीं हो सकी. ये सड़क 2016-17 में बनना शुरू हुआ तब से कई बार इसपर नक्सलियों ने हमला किया. सड़क निर्माण में लगे कर्मियों और अधिकारियों के लिए करीब 200 जवानों की तैनाती भी की गई. इस सड़क को बनाने के लिए कंपनी को पूरे पैसे भी दे दिए गए, लेकिन इसके बाद भी इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ. इस इलाके में नक्सली कमजोर हो चुके हैं. सुरक्षा व्यवस्था भी पहले के मुकाबले अच्छी बावजूद इसके इस रोड का निर्माण कार्य 2018-19 में अधूरा छोड़ दिया गया, जो आज भी अधूरा है.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें: नक्सल प्रभावित इलाकों में फेल हुई बाइक एंबुलेस योजना ,दोबारा शुरुआत करने की कोशिश में विभाग


रोड और पुल बड़ी दुर्घटना को कर रहे आमंत्रित: मनातू चक मंसुरिया रोड मात्र 14 किलोमीटर की है. इस रोड पर चार जगह छोटे छोटे पुल हैं जबकि एक जगह बड़ा पुल है. ठेकेदार ने 14 किलोमीटर के पैच में कई जगह रोड को अधूरा छोड़ दिया है. इलाके के ग्रामीण सुरेश यादव ने बताया कि रोड अधूरा रहने के कारण दुर्घटना की आशंका बनी रही है. पुल काफी ऊंचाई पर है जबकि एप्रोच रोड भी खतरनाक है और कई बार दुर्घटना हुई है. ग्रामीणों ने बताया कि ठेकेदार ने रोड को अधूरा छोड़ दिया है.



जिला प्रशासन ने लिया संज्ञान: पलामू के उपविकास आयुक्त मेघा भारद्वाज ने बताया कि मनातू चक मंसुरिया रोड को बनाने की पहल की जाएगी. इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. ठेकेदार ने दो से ढाई किलोमीटर रोड अधूरा छोड़ दिया है. उपविकास आयुक्त ने बताया कि नक्सल प्रभावित इलाकों के रोड पर नजर रखे हुए हैं, प्रशासन सभी जगहों पर रोड बना रही है.


नक्सल अभियान के लिए महत्वपूर्ण है यह रोड: मनातू चक मंसुरिया रोड नक्सल अभियान के लिए काफा महत्वपूर्ण है. इस रोड पर आधा दर्जन से अधिक बार नक्सल हमले हुए हैं. यह रोड पलामू और बिहार के गया को जोड़ती है. 2018 तक रोड पर सुरक्षाबलों को भी चलने के लिए पुलिस मुख्यालय की अनुमति ली जाती थी. इलाके में तैनात जवानों को छुट्टी पर जाने के लिए भी एयर लिफ्ट करवाना पड़ता था.

पलामू: मई जून 2011 पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के हथिया चट्टान के पास विस्फोट हुआ था, इस विस्फोट में पलामू के तत्कलीन एसपी अनूप टी मैथ्यू बाल बाल बच गए थे. जबकि इस दुर्घटना से ठीक छह महीने पहले इसी जगह पर विस्फोट हुआ था जिसमें चार जवान शहीद हुए थे. ये दुर्घटनाएं उस सड़क की कहानी को बताती है जिस पर माओवादियो का खौफ था. मात्र 14 किलोमीटर के मनातू चक मंसुरिया रोड पर एक दर्जन से अधिक बार नक्सल हमले हुए हैं जिसमें कई जवान शहीद हो गए. इस सड़क निर्माण में लगे कर्मियों की सुरक्षा के लिए 200 जवान भी लगाए गए थे, लेकिन इसके बाद भी 2018-19 में इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया, जो आज भी अधूरा है.

मनातू प्रखंड से करीब 4 किलोमीटर दूर बिहार की सीमा शुरू होती है. माना जाता है कि ये इलाका नक्सलियों का सेफ जोन है. नक्सलियों के खौफ के कारण इस इलाके में कभी विकास की पहल ही नहीं हुई. यहां एक सड़क बननी थी लेकिन 6 साल बाद भी वह पूरी नहीं हो सकी. ये सड़क 2016-17 में बनना शुरू हुआ तब से कई बार इसपर नक्सलियों ने हमला किया. सड़क निर्माण में लगे कर्मियों और अधिकारियों के लिए करीब 200 जवानों की तैनाती भी की गई. इस सड़क को बनाने के लिए कंपनी को पूरे पैसे भी दे दिए गए, लेकिन इसके बाद भी इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ. इस इलाके में नक्सली कमजोर हो चुके हैं. सुरक्षा व्यवस्था भी पहले के मुकाबले अच्छी बावजूद इसके इस रोड का निर्माण कार्य 2018-19 में अधूरा छोड़ दिया गया, जो आज भी अधूरा है.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें: नक्सल प्रभावित इलाकों में फेल हुई बाइक एंबुलेस योजना ,दोबारा शुरुआत करने की कोशिश में विभाग


रोड और पुल बड़ी दुर्घटना को कर रहे आमंत्रित: मनातू चक मंसुरिया रोड मात्र 14 किलोमीटर की है. इस रोड पर चार जगह छोटे छोटे पुल हैं जबकि एक जगह बड़ा पुल है. ठेकेदार ने 14 किलोमीटर के पैच में कई जगह रोड को अधूरा छोड़ दिया है. इलाके के ग्रामीण सुरेश यादव ने बताया कि रोड अधूरा रहने के कारण दुर्घटना की आशंका बनी रही है. पुल काफी ऊंचाई पर है जबकि एप्रोच रोड भी खतरनाक है और कई बार दुर्घटना हुई है. ग्रामीणों ने बताया कि ठेकेदार ने रोड को अधूरा छोड़ दिया है.



जिला प्रशासन ने लिया संज्ञान: पलामू के उपविकास आयुक्त मेघा भारद्वाज ने बताया कि मनातू चक मंसुरिया रोड को बनाने की पहल की जाएगी. इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. ठेकेदार ने दो से ढाई किलोमीटर रोड अधूरा छोड़ दिया है. उपविकास आयुक्त ने बताया कि नक्सल प्रभावित इलाकों के रोड पर नजर रखे हुए हैं, प्रशासन सभी जगहों पर रोड बना रही है.


नक्सल अभियान के लिए महत्वपूर्ण है यह रोड: मनातू चक मंसुरिया रोड नक्सल अभियान के लिए काफा महत्वपूर्ण है. इस रोड पर आधा दर्जन से अधिक बार नक्सल हमले हुए हैं. यह रोड पलामू और बिहार के गया को जोड़ती है. 2018 तक रोड पर सुरक्षाबलों को भी चलने के लिए पुलिस मुख्यालय की अनुमति ली जाती थी. इलाके में तैनात जवानों को छुट्टी पर जाने के लिए भी एयर लिफ्ट करवाना पड़ता था.

Last Updated : Mar 16, 2022, 4:59 PM IST
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