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100 साल का हुआ जमशेदपुर, पूरा शहर सेलिब्रेशन के लिए सज धजकर तैयार

खरकई और स्वर्णरेखा नदी के किनारे बसा यह शहर अपना 100वां जन्मदिवस मना रहा है. इस शहर को लोग क्लीन सिटी और ग्रीन सिटी के नाम से भी जानते हैं.

100 साल का हुआ जमशेदपुर
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Published : Mar 2, 2019, 3:21 PM IST

जमशेदपुर: इस्पात उद्योगों में क्रांति लाने वाला शहर जमशेदपुर 100 साल का हो गया. कालीमाटी के नाम से जमशेदपुर बना यह शहर आज ना सिर्फ झारखंड में बल्कि देश के मानचित्र में अपनी खास पहचान रखता है.

100 साल का हुआ जमशेदपुर

जमशेदजी नसरवानजी टाटा ने 1907 में इस्पात उद्योग के क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति लाने के लिए नींव रखी थी. जमशेदपुर शहर का पुराना नाम साकची गांव था और जिसकी आबादी महज सैकड़ों में थी.

वायसराय चेम्सफोर्ड टाटा स्टील कंपनी से थे प्रभावित
टाटा स्टील कंपनी खुलने के बाद लोग देश और दुनियां में इसका नाम नहीं जानते थे, लेकिन 2 जनवरी 1919 में भारत के दूसरे वायसराय चेम्सफोर्ड अपनी टीम के साथ टाटा स्टील कारखाने को देखने साकची पहुंचे थे. जहां उन्होंने संबोधन में कहा कि मैं इस कंपनी से काफी प्रभावित हूं.
साकची गांव का नाम जमशेदपुर रखा गया
2 जनवरी 1919 में वायसराय चेम्सफोर्ड ने साकची गांव का नाम बदलकर जमशेदपुर रखने की घोषणा की.
कालीमाटी रेलवे स्टेशन का नाम बदला
जनवरी में ही कालीमाटी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टाटानगर रेलवे स्टेशन रखा गया.

जमशेदपुर में कब क्या आया

  • 1911 में बिष्टुपुर प्रधान डाकघर की शुरुआत की गई.
  • 1912 में फिल्म दिखाने की शुरुआत की गई.
  • 1913 में टाउन हॉल तैयार किया गया, जिसे आज यूनाइटेड क्लब के नाम से जानते हैं.
  • 1920 में टाटा वर्कर्स यूनियन की शुरुआत हुई
  • 1921 में भारत का पहला टेक्निकल इंस्टीट्यूट एसएनटीआई की शुरुआत हुई
  • 1932 में मुस्लिम लाइब्रेरी की स्थापना की गई
  • 1937 में जेएल कीनन जिनकी याद को जीवंत रखने के लिए कीनन स्टेडियम बनाया गया
  • 1942 में विश्व युद्ध के दौरान टाटा से निर्मित टैंक का निर्माण किया गया.
  • 1975 में कैंसर अस्पताल की नींव रखी गई.
  • जमशेदपुर का सबसे बड़े पार्क का उद्घाटन
  • 1958 में देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जुबली पार्क का उद्घाटन किया, जो मुगल गार्डन के तर्ज पर बना है.
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टाटा स्टील कॉरपोरेट सर्विसेज के उपाध्यक्ष चाणक्य चौधरी ने बताया कि हमलोग बहुत खुश किस्मत हैं कि हम जमशेदपुर जैसे शहर में रहते हैं
वहीं जुस्को के एमडी तरुण डागा ने शहर के 100 साल पूरे होने पर खुशियां जाहिर की.

जिस शहर की आबादी कभी सैकड़ों में थी, उसकी आबादी आज 20 लाख से ज्यादा है. खरकई और स्वर्णरेखा नदी के किनारे बसा यह शहर अपना 100वां जन्मदिवस मना रहा है. इस शहर को लोग क्लीन सिटी, ग्रीन सिटी के नाम से भी जानते हैं.

जमशेदपुर: इस्पात उद्योगों में क्रांति लाने वाला शहर जमशेदपुर 100 साल का हो गया. कालीमाटी के नाम से जमशेदपुर बना यह शहर आज ना सिर्फ झारखंड में बल्कि देश के मानचित्र में अपनी खास पहचान रखता है.

100 साल का हुआ जमशेदपुर

जमशेदजी नसरवानजी टाटा ने 1907 में इस्पात उद्योग के क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति लाने के लिए नींव रखी थी. जमशेदपुर शहर का पुराना नाम साकची गांव था और जिसकी आबादी महज सैकड़ों में थी.

वायसराय चेम्सफोर्ड टाटा स्टील कंपनी से थे प्रभावित
टाटा स्टील कंपनी खुलने के बाद लोग देश और दुनियां में इसका नाम नहीं जानते थे, लेकिन 2 जनवरी 1919 में भारत के दूसरे वायसराय चेम्सफोर्ड अपनी टीम के साथ टाटा स्टील कारखाने को देखने साकची पहुंचे थे. जहां उन्होंने संबोधन में कहा कि मैं इस कंपनी से काफी प्रभावित हूं.
साकची गांव का नाम जमशेदपुर रखा गया
2 जनवरी 1919 में वायसराय चेम्सफोर्ड ने साकची गांव का नाम बदलकर जमशेदपुर रखने की घोषणा की.
कालीमाटी रेलवे स्टेशन का नाम बदला
जनवरी में ही कालीमाटी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टाटानगर रेलवे स्टेशन रखा गया.

जमशेदपुर में कब क्या आया

  • 1911 में बिष्टुपुर प्रधान डाकघर की शुरुआत की गई.
  • 1912 में फिल्म दिखाने की शुरुआत की गई.
  • 1913 में टाउन हॉल तैयार किया गया, जिसे आज यूनाइटेड क्लब के नाम से जानते हैं.
  • 1920 में टाटा वर्कर्स यूनियन की शुरुआत हुई
  • 1921 में भारत का पहला टेक्निकल इंस्टीट्यूट एसएनटीआई की शुरुआत हुई
  • 1932 में मुस्लिम लाइब्रेरी की स्थापना की गई
  • 1937 में जेएल कीनन जिनकी याद को जीवंत रखने के लिए कीनन स्टेडियम बनाया गया
  • 1942 में विश्व युद्ध के दौरान टाटा से निर्मित टैंक का निर्माण किया गया.
  • 1975 में कैंसर अस्पताल की नींव रखी गई.
  • जमशेदपुर का सबसे बड़े पार्क का उद्घाटन
  • 1958 में देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जुबली पार्क का उद्घाटन किया, जो मुगल गार्डन के तर्ज पर बना है.
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टाटा स्टील कॉरपोरेट सर्विसेज के उपाध्यक्ष चाणक्य चौधरी ने बताया कि हमलोग बहुत खुश किस्मत हैं कि हम जमशेदपुर जैसे शहर में रहते हैं
वहीं जुस्को के एमडी तरुण डागा ने शहर के 100 साल पूरे होने पर खुशियां जाहिर की.

जिस शहर की आबादी कभी सैकड़ों में थी, उसकी आबादी आज 20 लाख से ज्यादा है. खरकई और स्वर्णरेखा नदी के किनारे बसा यह शहर अपना 100वां जन्मदिवस मना रहा है. इस शहर को लोग क्लीन सिटी, ग्रीन सिटी के नाम से भी जानते हैं.

Intro:jamshedpur
jitendra kumar
9431301511

जमशेदपुर।

इस्पात उद्योग में औद्योगिक क्रांति लाने वाला शहर जमशेदपुर ने 100 साल पूरे कर लिए हैं कालीमाटी के नाम से जमशेदपुर बना यह शहर आज ना सिर्फ झारखंड में बल्कि देश के मानचित्र में अपनी पहचान रखता है। अपने 100 साल के सफर में जमशेदपुर ने कई मिसाल कायम किए हैं ।



Body:स्टील से मजबूत इरादों वाले इंसान जमशेदजी नसरवानजी टाटा ने 1907 में इस्पात उद्योग के क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति की नीव रखी और एक छोटे से गांव में इसकी शुरुआत की ।साकची नाम का यह गांव जिसकी आबादी महज सैकड़ों में थी आज वह गांव जमशेदपुर के नाम से जाना जाता है ।
2 जनवरी 1919 में भारत के दूसरे वायसराय चेम्सफोर्ड अपनी टीम के साथ कालीमाटी स्टेशन उतर कर टाटा इस्पात कारखाना देखने साकची आए । आपको बता दें कि उस समय टाटा स्टील को टाटा कंपनी के नाम से लोग जानते थे । वायसराय चेम्सफोर्ड ने अपने संबोधन में कहा कि मैं इस कंपनी से प्रभावित हूं और आज से साकची की पहचान संस्थापक जमशेदजी टाटा के नाम से होगी और इस तरह 2 जनवरी 1919 को साकची का नाम बदलकर जमशेदपुर रखा गया और कालीमाटी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टाटानगर रेलवे स्टेशन रखा गया।
और धीरे धीरे इस शहर की आबादी बढ़ने लगी जो आज 20 लाख के लगभग है इस बढ़ती आबादी में सभी भाषा धर्म जाति समुदाय के लोग रहते हैं। इस शहर में सुबह जहां मंदिरों से घंटी की आवाज मस्जिद से अज़ान गुरुद्वारा से गुरबाणी और चर्च से प्रार्थना से दिन की शुरुआत होती है और यही वजह है कि अमन चैन और शांति का प्रतीक यह शहर लघु भारत के नाम से भी जाना जाता है।
आपको बताते हैं कि इस शहर कौन से साल में क्या हुआ 1911 में बिष्टुपुर प्रधान डाकघर की शुरुआत हुई 1912 में फिल्म दिखाने की शुरुआत की गई 1913 में टाउन हॉल जिसे आज यूनाइटेड क्लब के नाम से हम जानते हैं 1920 में टाटा वर्कर्स यूनियन की शुरुआत की गई 1921 में भारत का पहला टेक्निकल इंस्टीट्यूट एसएनटीआई की शुरुआत हुई
1932 में पहली बार संस्थापक दिवस मनाया गया और मुस्लिम लाइब्रेरी की स्थापना की गई 1935 में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन 1936 में डीएम लाइब्रेरी 1937 में जेएल कीनन जिनकी याद को जीवंत रखने के लिए कीनन स्टेडियम बनाया गया जिसमें 1939 में पहला क्रिकेट मैच खेला गया था आपको बता दें कि 1942 में विश्व युद्ध के दौरान टाटा से निर्मित टैंक का निर्माण किया गया था 1949 में उच्च शिक्षा के लिए कोऑपरेटिव कॉलेज की स्थापना की गई जबकि 1952 में विमेंस कॉलेज की शुरुआत की गई। 1953 में इंडियन ट्यूब कंपनी की स्थापना की गई वहीं 1968 में टायर कंपनी को स्थापित किया गया 1975 में कैंसर अस्पताल की नींव रखी गई वही 1987 में टाटा फुटबॉल अकैडमी की शुरुआत की गई।
1958 में देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जुबली पार्क का उद्घाटन किया जो मुगल गार्डन के तर्ज पर बना है । धीरे धीरे इस शहर में वह सारी सुविधाएं स्थापित होने लगी जो आम जनता के लिए कारगर साबित हो रहा था और आज इस शहर में आने वाले यही कहते हैं कि शहर हो तो जमशेदपुर जैसा जो ना सिर्फ स्टील उत्पादन करती है बल्कि क्लीन सिटी ग्रीन सिटी के नाम से भी अपनी पहचान बनाई हुई है।
टाटा स्टील कॉरपोरेट सर्विसेज के उपाध्यक्ष चाणक्य चौधरी ने बताया कि बहुत खुश किस्मत है हम कि जमशेदपुर जैसे शहर में रहते हैं यहां की हवा अन्य शहरों की अपेक्षा काफी ताजी है यही वजह है कि जो लोग बाहर से आते हैं यादगार लेकर जाते हैं।
बाईट चाणक्य चौधरी उवाध्यक्ष कारपोरेट सर्विसेस
वहीं टाटाजुस्को के एमडी तरुण डागा शहर के 100 साल पर काफी गदगद हैं उन्होंने कहा कि काफी चुनौतियों का सामना कर शहर आज 100 साल पूरा किया है अब कोशिश यह होनी चाहिए कि आने वाली पीढ़ी इस 100 साल को और बेहतर अंकों में देख सके
बाईट तरुण डागा एमडी जुस्को
बोई कॉरपोरेट कम्युनिकेशन के कुलविंद्र सूरी ने बताया कि मिश्रित लोगों का यह शहर अपने आप में एक मिसाल है जो पूरे देश में अपनी पहचान बनाए हुए हैं आज इस शहर को सलाम करने की जरूरत है।
बाईट कुलवीन सूरी कॉरपोरेट कम्युनिकेशन।
खरकई और स्वर्णरेखा नदी के किनारे बसा 20 लाख की आबादी वाला शहर में अलग अलग नाम के इलाके बसे हैं। आबादी के अनुरूप हरियाली हां बखूबी देखने को मिलती है चमचमाती सड़क के दोनों किनारे गगनचुंबी हरे वृक्ष एक दूसरे को स्पर्श करते हुए शहर की खूबसूरती बढ़ा रहे हैं वहीं दीवारों पर उकेरी गई कलाकृतियां कई कहानियां भी कहती है।



Conclusion:
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