जमशेदपुर: छठ महापर्व पर झारखंड सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन और घाटों पर व्रत करने की पाबंदियों से श्रद्धालुओं में नाराजगी है. सरकारी गाइडलाइन का चौतरफा विरोध हो रहा है. जमशेदपुर में सरकार के इस अविवेकपूर्ण और तुगलकी फरमान के विरोध में सत्याग्रह अभियान की शुरुआत हुई है. भोजपुरी नवचेतना मंच के आह्वान पर मंगलवार सुबह शहर के कई धार्मिक, सामाजिक संगठनों ने एकजुटता दिखाते हुए महापर्व छठ के लिए सत्याग्रह किया.
सत्याग्रहियों ने मानगो के स्वर्णरेखा नदी स्थित गांधी घाट पर सफाई अभियान चलाया ताकि व्रतियों को असुविधाएं न हो. भोजपुरी नवचेतना मंच समेत तमाम संगठनों ने घाट पर सत्याग्रह अभियान से झारखंड सरकार और जिला प्रशासन को साफ तौर पर यह संदेश दे दिया है कि वे लोकआस्था के महापर्व पर किसी भी तरह की सरकारी पाबंदी बर्दाश्त नहीं करेंगे. मंच के संस्थापक अप्पु तिवारी ने कहा कि झारखंड सरकार ने जाने-अनजाने में हिंदू आस्था को आहत करने का अपराध किया है. इससे व्रतियों और श्रद्धालुओं की बड़ी जनसंख्या में सरकार के विरुद्ध असंतोष और नाराजगी बढ़ी है.
पहचान फाउंडेशन के राज गुप्ता ने भी छठ पूजा पर सरकारी पाबंदी का विरोध करते हुए इसे हिंदू आस्था पर चोट बताया. भोजपुरी नवचेतना मंच ने कहा कि यदि झारखंड सरकार गाइडलाइन में संशोधन कर घाटों पर पर्व मनाने की छूट देगी तो उस निर्णय का स्वागत होगा. निर्णय नहीं बदलने की स्थिति में भी वे हर हाल में नदी घाट पर ही छठ महापर्व मनायेंगे. उन्होंने कहा कि संविधान ने धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी दी है. सरकार उस आजादी को समाप्त करने का अपराध न करें. इधर, सरकारी गाइडलाइन के विरोध में भोजपुरी नवचेतना मंच ने 'लाठी गोली खाएंगे, घाटहिं छठ मनाएंगे' का नारा देकर स्पष्ट कर दिया है कि हर हाल में छठ घाट पर ही पूजा होगी. मंच ने सरकार से जरूरी व्यवस्था करने का निवेदन किया है.
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इधर, श्रद्धालुओं की भावना और लोकआस्था को देखते हुए मंच के संस्थापक अप्पु तिवारी ने सोमवार को सोशल मीडिया पर अभियान की शुरुआत की थी. अभियान को 'छठ घाट पर ही मनायेंगे चैलेंज' का नाम देकर पिछले वर्षों के छठ के तस्वीरें शेयर किये गये हैं. इस अभियान को सोशल मीडिया पर जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. जमशेदपुर के लगभग 5 हजार से अधिक लोगों ने इस कंपैन का समर्थन करते हुए सरकार से अपनी भावना स्पष्ट कर दिया है. स्वर्णरेखा घाट पर चले सफाई अभियान में भोजपुरी नवचेतना मंच के अलावे पहचान फाउंडेशन, कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोग मौजूद थे.