जमशेदपुर: इन दिनों बाजार में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ रही है. वैसे तो मशरूम बाजारों में सालों भर मिलता है, लेकिन जुलाई-अगस्त में मिलने वाले मशरूम की अलग डिमांड होती है.
100-150 किलो तक बिकता है मशरूम
स्थानीय लोग इसे छत्तू कहते है. बाजारों में मिलने वाले ये मशरूम 100-150 प्रति किलो तक बिकता है. इसे लोग सावन में मटन का दर्जा देते है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसका स्वाद मटन से कम नहीं होता है. लोगों का मानना है कि इसमें प्रोटीन काफी रहता है.
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छत्तू कई प्रकार के होते हैं
छत्तू यानी मशरूम कई प्रकार के होते है. सभी का बाजार में अलग-अलग दाम निर्धारित है. जिस छत्तू की मांग ज्यादा रहेगी उसकी कीमत ज्यादा होती है.
रुगड़ा छत्तू- यह छत्तू पूरी तरह मिट्टी में पाया जाता है. यह सबसे ज्यादा भाव में बिकता है. मिट्टी लगा छत्तू की बाजार में कीमत 100-150 प्रति किलो होती है और यही बिना मिट्टी के लेने में इसकी कीमत 200- 250 प्रति तक होती है. पुआल छत्तू- यह छत्तू जो पुआल में सड़ जाता है, उसी में पाया जाता है और इसकी बाजार में काफी मांग है. इसकी कीमत 100 से 150 प्रति किलो तक होती है.
कोरहान छत्तू-यह छत्तू जमीन पर कहीं भी हो जाते है. इस छत्तू की कीमत 100 से 200 प्रति किलो रहती है. काठ छत्तू-यह छत्तू काठ या लकड़ी जो पुराने सड़ जाते है उस पर होते है. इस छत्तू की भी मांग बाजारों में खूब रहती है.
छत्तू लेते समय ग्राहक रहते है सावधान
छत्तू खरीदते समय ग्राहक काफी सावधान रहते है क्योंकि कई छत्तू जहरीले भी होते है. उसके बारे में कहा जाता है कि कोरहान छत्तू और पुआल छत्तू में सांप द्वारा छू लेने के कारण यह जहरीला हो जाता है क्योंकि बारिश में सांपों का निकलना ज्यादा होता है.
आसपास इलाकों से आते हैं छत्तू
इसका पैदावार पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम के अलावा जमशेदपुर से सटे सिन्नी, पटमदा, पोटका, घाटशिला सहित आसपास के इलाके के जंगलों से आते है. इसे बेचने वाले विक्रेता सुबह बस या ट्रेन से शहर के बाजार लेकर पहुंच जाते है. इसकी मांग इतनी है कि बाजार में दोपहर के बाद शायद ही यह छत्तू देखने को मिले.