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जमशेदपुर: तेजी से बढ़ रही मशरूम की डिमांड, प्रति किलो 100- 150 रुपए है कीमत - jharkhand news

जमशेदपुर के बाजार में मशरूम की मांग बढ़ती जा रही है. यह मशरूम बाजारों में 100-150 प्रति किलो तक बिकता है. लोगों का मानना है कि इसमें प्रोटीन काफी रहता है.

मशरूम की डिमांड
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Published : Jul 20, 2019, 12:47 PM IST

Updated : Jul 20, 2019, 3:13 PM IST

जमशेदपुर: इन दिनों बाजार में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ रही है. वैसे तो मशरूम बाजारों में सालों भर मिलता है, लेकिन जुलाई-अगस्त में मिलने वाले मशरूम की अलग डिमांड होती है.

देखें पूरी खबर

100-150 किलो तक बिकता है मशरूम
स्थानीय लोग इसे छत्तू कहते है. बाजारों में मिलने वाले ये मशरूम 100-150 प्रति किलो तक बिकता है. इसे लोग सावन में मटन का दर्जा देते है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसका स्वाद मटन से कम नहीं होता है. लोगों का मानना है कि इसमें प्रोटीन काफी रहता है.

ये भी पढ़ें-घर में घुसकर एक को उतारा मौत के घाट, परिजनों ने जतायी उग्रवादी घटना की आशंका

छत्तू कई प्रकार के होते हैं
छत्तू यानी मशरूम कई प्रकार के होते है. सभी का बाजार में अलग-अलग दाम निर्धारित है. जिस छत्तू की मांग ज्यादा रहेगी उसकी कीमत ज्यादा होती है.

रुगड़ा छत्तू- यह छत्तू पूरी तरह मिट्टी में पाया जाता है. यह सबसे ज्यादा भाव में बिकता है. मिट्टी लगा छत्तू की बाजार में कीमत 100-150 प्रति किलो होती है और यही बिना मिट्टी के लेने में इसकी कीमत 200- 250 प्रति तक होती है. पुआल छत्तू- यह छत्तू जो पुआल में सड़ जाता है, उसी में पाया जाता है और इसकी बाजार में काफी मांग है. इसकी कीमत 100 से 150 प्रति किलो तक होती है.

कोरहान छत्तू-यह छत्तू जमीन पर कहीं भी हो जाते है. इस छत्तू की कीमत 100 से 200 प्रति किलो रहती है. काठ छत्तू-यह छत्तू काठ या लकड़ी जो पुराने सड़ जाते है उस पर होते है. इस छत्तू की भी मांग बाजारों में खूब रहती है.

छत्तू लेते समय ग्राहक रहते है सावधान
छत्तू खरीदते समय ग्राहक काफी सावधान रहते है क्योंकि कई छत्तू जहरीले भी होते है. उसके बारे में कहा जाता है कि कोरहान छत्तू और पुआल छत्तू में सांप द्वारा छू लेने के कारण यह जहरीला हो जाता है क्योंकि बारिश में सांपों का निकलना ज्यादा होता है.

आसपास इलाकों से आते हैं छत्तू
इसका पैदावार पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम के अलावा जमशेदपुर से सटे सिन्नी, पटमदा, पोटका, घाटशिला सहित आसपास के इलाके के जंगलों से आते है. इसे बेचने वाले विक्रेता सुबह बस या ट्रेन से शहर के बाजार लेकर पहुंच जाते है. इसकी मांग इतनी है कि बाजार में दोपहर के बाद शायद ही यह छत्तू देखने को मिले.

जमशेदपुर: इन दिनों बाजार में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ रही है. वैसे तो मशरूम बाजारों में सालों भर मिलता है, लेकिन जुलाई-अगस्त में मिलने वाले मशरूम की अलग डिमांड होती है.

देखें पूरी खबर

100-150 किलो तक बिकता है मशरूम
स्थानीय लोग इसे छत्तू कहते है. बाजारों में मिलने वाले ये मशरूम 100-150 प्रति किलो तक बिकता है. इसे लोग सावन में मटन का दर्जा देते है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसका स्वाद मटन से कम नहीं होता है. लोगों का मानना है कि इसमें प्रोटीन काफी रहता है.

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छत्तू कई प्रकार के होते हैं
छत्तू यानी मशरूम कई प्रकार के होते है. सभी का बाजार में अलग-अलग दाम निर्धारित है. जिस छत्तू की मांग ज्यादा रहेगी उसकी कीमत ज्यादा होती है.

रुगड़ा छत्तू- यह छत्तू पूरी तरह मिट्टी में पाया जाता है. यह सबसे ज्यादा भाव में बिकता है. मिट्टी लगा छत्तू की बाजार में कीमत 100-150 प्रति किलो होती है और यही बिना मिट्टी के लेने में इसकी कीमत 200- 250 प्रति तक होती है. पुआल छत्तू- यह छत्तू जो पुआल में सड़ जाता है, उसी में पाया जाता है और इसकी बाजार में काफी मांग है. इसकी कीमत 100 से 150 प्रति किलो तक होती है.

कोरहान छत्तू-यह छत्तू जमीन पर कहीं भी हो जाते है. इस छत्तू की कीमत 100 से 200 प्रति किलो रहती है. काठ छत्तू-यह छत्तू काठ या लकड़ी जो पुराने सड़ जाते है उस पर होते है. इस छत्तू की भी मांग बाजारों में खूब रहती है.

छत्तू लेते समय ग्राहक रहते है सावधान
छत्तू खरीदते समय ग्राहक काफी सावधान रहते है क्योंकि कई छत्तू जहरीले भी होते है. उसके बारे में कहा जाता है कि कोरहान छत्तू और पुआल छत्तू में सांप द्वारा छू लेने के कारण यह जहरीला हो जाता है क्योंकि बारिश में सांपों का निकलना ज्यादा होता है.

आसपास इलाकों से आते हैं छत्तू
इसका पैदावार पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम के अलावा जमशेदपुर से सटे सिन्नी, पटमदा, पोटका, घाटशिला सहित आसपास के इलाके के जंगलों से आते है. इसे बेचने वाले विक्रेता सुबह बस या ट्रेन से शहर के बाजार लेकर पहुंच जाते है. इसकी मांग इतनी है कि बाजार में दोपहर के बाद शायद ही यह छत्तू देखने को मिले.

Intro:जमशेदपुर । प्रोटीन अधिक होने के कारण मशरूम की मांग बाजारों में काफी होती हैं ।वैसे मशरूम तो बाजारो मे सालो भर मिलता है ।लेकिन जुलाई अगस्त मे बाजारो मे मिलने वाले मशरूम की अलग डिमाण्ड होती है।वैसे स्थानिय लोग इसे मशरूम की जगह छाता नुमा होने के कारण छतू कहते हैं सावन में बारिश होने कारण सब्जियों बाजार मे उपलब्ध कम होती है ।
।जिसका असर बाजार में बिकने वाले हरी सब्जियों पर पड़ता है। सब्जियों की दामों में बेतहाशा वृद्धि हो जाती है ।लेकिन इन सब्जियों में एक और समान बाजार में बिकता नजर आता है मटमैला उजले रंग का छोटे छोटे छाता रूप में सब्जी बाजारों में बिकते देखी जाती है जिन्हें लोग छतू या आधुनिक भाषा में मशरूम कहते हैं। हालांकि बाजारों में छतू हर वक्त मिलता है लेकिन जुलाई और अगस्त (सावन और भादो) के समय मिलने वाला छाता नुमा मशरूम की काफी मांग रहती है। इसका बाजार में भाव 100 - ₹150 किलो तक बिकता है। इसे लोग सावन में मटन का दर्जा देते हैं इसका स्वाद मटन से कम नहीं होता है। बनाने वाले लोग भी इसे घर में मटन की तरह ही बनाते हैं।लोगों का मानना है कि इसमे प्रोटीन काफी रहता हैं ।


Body:छतू कई प्रकार के होते हैं
छतु यानी मशरूम कई प्रकार के होते हैं । सभी का बाजार में अलग-अलग दर निर्धारित है लेकिन बाजार में कुछ छतू ऐसे होते हैं जो लोग खाते हैं जिस छतु की मांग ज्यादा रहेगी उसकी कीमतें इतनी होती है ।
रुतका छतू- यह छतू पूरी तरह मिट्टी में पाए जाते हैं। यह सबसे ज्यादा भाव में बिकता है। वैसे यह तो पूरी तरह मिट्टी में लगा रहता है। अगर मिट्टी लगा छतु की बाजार में कीमत ₹100 -150 किलो होती है और यही बिना मिट्टी के लेने में इसकी कीमत ₹200 - ₹250 तक होती है।
2. पुआल छत्तू यह छतू जो पुआल में सड़ जाता है उसी में पाया जाता है और इसकी बाजार में काफी मांग है इसकी कीमत एक सौ से ₹150 तक होती है।
3.कोरहान छतू - यह छतु जमीन पर कहीं भी हो जाते हैं इसके भी मांग रहती है बाजार में इस छत्तू की कीमत एक सौ से ₹200 प्रति किलो रहती है।
4.काठ छतू - यह छत्तू काठ या लकड़ी जो पुराने सड़ जाते हैं उस पर होते हैं इस छत्तू की भी मांग बाजारों में खूब रहती है।
छतु लेते समय ग्राहक रहते हैं सावधान
छाती खरीदते समय लेने वाले ग्राहक काफी सावधान रहते हैं क्योंकि कई छत्तू जहरीले भी होते हैं उसके बारे में कहा जाता है की कोरहा छतु आर वास्तु में सांप के द्वारा छू लेने के कारण यह जहरीला हो जाता है क्योंकि बारिश में सांपों का निकलना ज्यादा होता है


Conclusion:आसपास इलाकों से आते हैं छत्तू
इसका पैदावार पश्चिम ब बंगाल के झाड़ग्राम के अलावे जमशेदपुर से सटे सिन्नी ,पटमदा ,पोटका ,घाटशिला सहित आसपास इलाके के जंगलों से आते हैं। इसे बेचने वाले विक्रेता सुबह बस या ट्रेन से शहर के बाजार लेकर पहुंच जाते हैं ।इसकी मांग इतनी है कि बाजार में दोपहर के बाद शायद ही यह छतू देखने को मिले।
Last Updated : Jul 20, 2019, 3:13 PM IST
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