जमशेदपुर: लौहनगरी में जाली-दस्तावेज के जरिए फर्जी घर दिखाकर लोन स्वीकृत कराकर पैसे हड़पने वाले गिरोह का पुलिस अबतक पर्दाफाश नहीं कर पाई है. ये ठग पुलिस के साथ आंख-मिचौली का खेल-खेल रहे हैं. बता दें कि दर्जनों साइबर ठग पुलिस की गिरफ्त से अब भी दूर.
दरसअल दो महीने पहले टाटा कैपिटल फाइनेंस ने साइबर थाना में अमित कुमार शर्मा नाम के युवक के नाम पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी. अमित ने बिस्टुपुर एचडीएफसी बैंक में बीस लाख के लोन के लिए लागजात सौंपे थे जो फर्जी निकले. अमित ने दो महीने पहले टाटा कैपिटल फाइनेंस से दस लाख रुपए लेकर फ़रार हो चुका है.
कैसे करता है ठगी
दरसअल अमित किराए पर घर लेकर फर्जी कागज़ात के सहारे बैंक में लोन के लिए आवेदन देता है, और बैंक से आवेदन स्वीकृत हो जाने के बाद रफू-चक्कर हो जाता है. शहर से संचालित साइबर ठगी के अन्तर्राजीय गिरोह के मुख्य सरगना योगेश शर्मा और राहुल केशरी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं.
नेटवर्क से गायब हो जाते हैं साइबर अपराधी
साइबर ठगी के अंतरराज्यीय गिरोह के खुलासा होने के बाद साइबर थाना प्रभारी उपेंद्र मंडल ने बताया कि मोबाइल नंबर के आधार पर सदस्य की गिरफ्तारी की जानकारी होने और खेल का भंडाफोड़ होने की जानकारी के बाद साइबर अपराधी अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर लेते हैं.
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पिछले कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए हैं. जिसमें एटीएम कार्डधारियों को फोन करके शातिर लोगों ने छल पूर्वक उनसे पासवर्ड हासिल किया और उनके बैंक खातों से पर हाथ साफ कर लिया. ऐसे में जानकारी के अभाव में लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं.
आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से लेकर दिसंबर 2019 तक लगभग 18 करोड़ रुपए साइबर अपराधियों ने उड़ा दिए. वहीं, 2020 के जनवरी माह के शुरुआती दिनों में 30 से अधिक मामले दर्ज हो चुकी हैं. बहरहाल अब देखना ये है कि पुलिस कब-तक अपराधियों को गिरफ्त में लेती है.