ETV Bharat / city

समय का सदुपयोगः हजारीबाग के दो युवकों ने बनाया Socialect App

author img

By

Published : May 6, 2021, 4:36 PM IST

Updated : May 6, 2021, 10:41 PM IST

आपदा को अवसर में कैसे बदला जाए, हजारीबाग के दो युवकों ने इसकी मिसाल पेश की है. लॉकडॉउन के समय का भरपूर सदुपयोग किया और एक सोशलएक्ट ऐप (Socialect App) बनाया है. ऐप बनाने के लिए पहले उन्होंने पढ़ाई किया और फिर भरपूर मेहनत कर ऐप बना डाला. आज ऐप को गूगल ने भी स्वीकार कर लिया है. प्ले स्टोर से इस ऐप को डाउनलोड भी किया जा सकता है. क्या है खासियत इस ऐप का, कैसे काम करता है देखते हैं इस खास रिपोर्ट के जरिए.

two-friends-of-hazaribag-created-socialact-app
Socialect App

हजारीबागः लॉकडाउन का सबसे बुरा प्रभाव छात्रों पर पड़ा है. लगभग डेढ़ साल से शिक्षा जगत कोरोना से प्रभावित रहा. ऐसे में कई युवक हैं, जो इस बुरे समय का भी सदुपयोग कर कुछ नया करने की कोशिश की है, इसमें उन्हें सफलता भी मिली है. हजारीबाग के दो युवकों ने लोक डॉउन के समय का भरपूर सदुपयोग किया और एक सोशलएक्ट ऐप बनाया है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- शर्मनाकः हजारीबाग में कोरोना के शक में बीमार महिला को बस से उतारा, बच्चों सहित लापता

कमाल का है सोशलएक्ट ऐप

हजारीबाग के दो दोस्तों ने मिलकर एक सोशलएक्ट (Socialect App) नामक ऐप बनाया है, इसकी स्वीकृति गूगल ने भी दे दी है. यह अन्य ऐप से अलग है. इस ऐप का उपयोग व्हाट्सएप में किया जा सकता है. सोशल साइट्स के इस दौर में व्हाट्सएप पर स्टोरी बनाने की एक लहर देखने को मिल रही है. लेकिन उस स्टोरी को कोई भी डाउनलोड नहीं कर सकता है. ऐसे में इस ऐप के जरिए आप किसी की भी स्टोरी को डाउनलोड कर सकते हैं. यह ही नहीं अगर किसी को एक शब्द जैसे सॉरी को 500, 1000, या 2 हजार बार लिखना हो तो इस ऐप के जरिए लिखा जा सकता है. साथ ही साथ बिना नंबर सेव किए किसी को व्हाट्सएप भी किया जा सकता है. ऐसे में इस ऐप की लोकप्रियता भी बढ़ रही है. ऐप प्ले स्टोर से डाउनलोड भी कर रहे हैं.

'हमने समय का सदुपयोग किया'

24 वर्षीय शिवम चौहान, जो मैथमेटिक्स का छात्र हैं, वो संत कोलंबस कॉलेज से पढ़ाई भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि उसे ऐप बनाने का शौक था. लेकिन कैसे बनाया जाता है, उसकी जानकारी नहीं थी. ऐसे में लॉकडाउन के समय हमने यूट्यूब और गूगल से कोडिंग बनाने की जानकारी हासिल की और इसके बाद ऐप बनाना शुरू किया. आज हमारा ऐप बनकर तैयार हो गया है.

हम दोनों दोस्तों ने उसे प्ले स्टोर के जरिए सोशल साइट्स में डाला है. उनका यह भी कहना है कि भैया पुरुषोत्तम जो हमारे दोस्त हैं, वह इंजीनियरिंग के छात्र हैं. लॉकडाउन के कारण घर पर ही हैं. प्लेसमेंट होने के बावजूद काम पर नहीं जा पाए. ऐसे में हम दोनों ने यह निश्चय किया कि हम कुछ ऐसा करें जो थोड़ा हटकर हो. आज हमें कामयाबी भी मिली है.

इसे भी पढ़ें- सरकारी उदासीनता की बानगीः इंस्टॉल्ड वेंटिलेटर्स का नहीं हो रहा इस्तेमाल

'परिवार का नाम किया रोशन'

भैया पुरुषोत्तम के पिता कहते हैं कि मेरा बेटा पिछले दो-तीन महीने से लैपटॉप के साथ लगा रहता था. क्या कर रहा था यह मुझे पता नहीं. जब पूछते थे तो कहता था कि कुछ नया कर रहा हूं. आज उसने ऐप बनाया है और इसकी जानकारी मुझे उसने ही दी. काफी खुशी हो रही है कि इस बुरे समय का भी उसने सदुपयोग किया और कुछ ऐसा किया है जिससे परिवार का नाम भी रोशन हो रहा है.

दोनों छात्र हम लोगों को सीख दे रहे हैं कि समय का सदुपयोग हमें कैसे करना चाहिए क्योंकि समय कभी लौट कर भी नहीं आता है. आज के समय में कई ऐसे युवक हैं, जो लॉकडाउन और कोरोना का नाम लेकर अपने भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं. जरूरत है छात्रों को कुछ ऐसा करने की जो देश समाज और परिवार के लिए फायदेमंद हो.

हजारीबागः लॉकडाउन का सबसे बुरा प्रभाव छात्रों पर पड़ा है. लगभग डेढ़ साल से शिक्षा जगत कोरोना से प्रभावित रहा. ऐसे में कई युवक हैं, जो इस बुरे समय का भी सदुपयोग कर कुछ नया करने की कोशिश की है, इसमें उन्हें सफलता भी मिली है. हजारीबाग के दो युवकों ने लोक डॉउन के समय का भरपूर सदुपयोग किया और एक सोशलएक्ट ऐप बनाया है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- शर्मनाकः हजारीबाग में कोरोना के शक में बीमार महिला को बस से उतारा, बच्चों सहित लापता

कमाल का है सोशलएक्ट ऐप

हजारीबाग के दो दोस्तों ने मिलकर एक सोशलएक्ट (Socialect App) नामक ऐप बनाया है, इसकी स्वीकृति गूगल ने भी दे दी है. यह अन्य ऐप से अलग है. इस ऐप का उपयोग व्हाट्सएप में किया जा सकता है. सोशल साइट्स के इस दौर में व्हाट्सएप पर स्टोरी बनाने की एक लहर देखने को मिल रही है. लेकिन उस स्टोरी को कोई भी डाउनलोड नहीं कर सकता है. ऐसे में इस ऐप के जरिए आप किसी की भी स्टोरी को डाउनलोड कर सकते हैं. यह ही नहीं अगर किसी को एक शब्द जैसे सॉरी को 500, 1000, या 2 हजार बार लिखना हो तो इस ऐप के जरिए लिखा जा सकता है. साथ ही साथ बिना नंबर सेव किए किसी को व्हाट्सएप भी किया जा सकता है. ऐसे में इस ऐप की लोकप्रियता भी बढ़ रही है. ऐप प्ले स्टोर से डाउनलोड भी कर रहे हैं.

'हमने समय का सदुपयोग किया'

24 वर्षीय शिवम चौहान, जो मैथमेटिक्स का छात्र हैं, वो संत कोलंबस कॉलेज से पढ़ाई भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि उसे ऐप बनाने का शौक था. लेकिन कैसे बनाया जाता है, उसकी जानकारी नहीं थी. ऐसे में लॉकडाउन के समय हमने यूट्यूब और गूगल से कोडिंग बनाने की जानकारी हासिल की और इसके बाद ऐप बनाना शुरू किया. आज हमारा ऐप बनकर तैयार हो गया है.

हम दोनों दोस्तों ने उसे प्ले स्टोर के जरिए सोशल साइट्स में डाला है. उनका यह भी कहना है कि भैया पुरुषोत्तम जो हमारे दोस्त हैं, वह इंजीनियरिंग के छात्र हैं. लॉकडाउन के कारण घर पर ही हैं. प्लेसमेंट होने के बावजूद काम पर नहीं जा पाए. ऐसे में हम दोनों ने यह निश्चय किया कि हम कुछ ऐसा करें जो थोड़ा हटकर हो. आज हमें कामयाबी भी मिली है.

इसे भी पढ़ें- सरकारी उदासीनता की बानगीः इंस्टॉल्ड वेंटिलेटर्स का नहीं हो रहा इस्तेमाल

'परिवार का नाम किया रोशन'

भैया पुरुषोत्तम के पिता कहते हैं कि मेरा बेटा पिछले दो-तीन महीने से लैपटॉप के साथ लगा रहता था. क्या कर रहा था यह मुझे पता नहीं. जब पूछते थे तो कहता था कि कुछ नया कर रहा हूं. आज उसने ऐप बनाया है और इसकी जानकारी मुझे उसने ही दी. काफी खुशी हो रही है कि इस बुरे समय का भी उसने सदुपयोग किया और कुछ ऐसा किया है जिससे परिवार का नाम भी रोशन हो रहा है.

दोनों छात्र हम लोगों को सीख दे रहे हैं कि समय का सदुपयोग हमें कैसे करना चाहिए क्योंकि समय कभी लौट कर भी नहीं आता है. आज के समय में कई ऐसे युवक हैं, जो लॉकडाउन और कोरोना का नाम लेकर अपने भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं. जरूरत है छात्रों को कुछ ऐसा करने की जो देश समाज और परिवार के लिए फायदेमंद हो.

Last Updated : May 6, 2021, 10:41 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.