हजारीबागः पेड़ों में भी जान है, वो बोल नहीं सकते पर उनको दर्द होता है. लेकिन इस मतलबी दुनिया में इंसान को इससे फर्क नहीं पड़ता. वह अपने लाभ के लिए पेड़ों पर भी कील ठोक देते हैं. इतना ही नहीं कभी-कभी तो कटीले तारों से भी उन्हें बांध दिया जाता है. इसके अलावा विभिन्न कंपनियां उस पर अपना बैनर-पोस्टर लगाकर प्रचार करती हैं. जिससे पेड़ों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. यही नहीं ऐसे पेड़ों की मौत भी हो सकती है.
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हजारीबाग में पेड़ों को नुकसान रहा है. इसकी बड़ी वजह है कि पेड़ों पर विज्ञापन के लिए लोहे की कील और तार बांध (Iron Wires Planted for Advertising) दिए जाते हैं. जिससे पेड़ क्षतिग्रस्त हो रहे हैं. कीलें ठोकने से पेड़ों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. अगर कम उम्र के पेड़ों पर कील ठोकी जाए तो पेड़ सूख भी सकता है. लोहे की कीलों से सीधा पेड़ को नुकसान है. जायलम और फ्लोएम टीश्यू को कील नष्ट कर देते है. हमारे चारों तरफ पेड़ पौधे देखने को मिलते हैं. लेकिन आप गौर करें तो हर दूसरे पेड़ पर आपको कील या फिर लोहे का तार बंधा हुआ मिलेगा. जो पेड़ों की सेहत के लिए बेहद बुरा है.
लेकिन इंसान कभी कील ठोकने के समय यह सोचता भी नहीं कि एक सजीव पर कील मारने पर उसे कितना कष्ट होता होगा. अगर किसी इंसान के बदन पर एक सुई भी लग जाती है तो वह कराह उठता है, उसे दवा की जरूरत पड़ जाती है. पेड़ जो बोल नहीं सकते इस कारण इंसान भी यह सोचता नहीं. कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहे शहर को हरा-भरा करने के लिए सरकारी विभाग से लेकर सामाजिक संगठन एवं आम जनता इन दिनों काफी मेहनत कर रहा है. पौधे लगाए जा रहे हैं और उन्हें संरक्षित भी किया जा रहा है.
लेकिन स्वार्थ में कुछ अंधे लोग ऐसा कर जा रहे हैं जो उनके भविष्य के लिए खतरनाक है. सीआरपीएफ कमांडेंट के पद पर सेवा दे रहे मुन्ना सिंह एक प्रकृति प्रेमी (Nature Lover) भी हैं. उन्होंने कहा कि एक मुहिम के जरिए अब हम लोगों को पेड़ों से कील निकालने की जरूरत है. साथ ही साथ लोगों को जागरूक करने की कि वह पेड़ नहीं काटे और ना ही उसमें कील ठोके.
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कारोबार के प्रचार के लिए निशुल्क माध्यम आज के समय में पेड़ बन गए हैं. अगर विज्ञापन किसी एजेंसी या फिर नगर निगम के माध्यम से किया जाए तो बड़ी रकम देनी होती है. ऐसे में सड़क के दोनों ओर रिहायशी इलाकों में चौराहों पर पेड़ों को विज्ञापन से पाट दिया गया है. लोहे की कील या तार लगाकर भी होर्डिंग्स और बैनर लगा दिया जा रहा है. हजारीबाग में हजारों पेड़ लगाने और उन्हें संरक्षित करने वाले मुरारी सिंह भी कहते हैं कि यह एक ज्वलंत मुद्दा है. लोगों को जागरूक करने की भी जरूरत है कि वह पेड़ को नुकसान ना पहुंचाएं. उनमें कीलें ना ठोके क्योंकि वो भी सजीव हैं. अगर हम पेड़ के तने में कील ठोकते हैं तो वह कमजोर हो जाते हैं. जिससे उनका सेल टूट जाता है और उनमें कीड़ा लग जाता है और अंत में उनकी जान भी जा सकती है.
क्या होता है नुकसान
कीलें ठोकने और तार बांधने से पेड़ों को जबरदस्त नुकसान पहुंचता है. पेड़ पर जिस जगह कील लगायी जाती है वहां जायलम को नुकसान पहुंचता है. गहरी कील ठोकने पर फ्लोयम पर भी असर होता है. छोटे पेड़ों की नेचुरल ग्रोथ रुक प्रभावित होती है और वो सूख जाते हैं. कीलों के कारण पेड़ों में फंगस का खतरा रहता है. तार उन्हें जगह-जगह से चोटिल करते हैं. लोहे की तार और कीलों की वजह से सही पोषण नहीं मिल पाता और पेड़ वक्त से पहले मर जाते हैं.