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देश को अखंड रखना है तो जनता को जागृत करना होगा, सरकारें कर रहीं भविष्य के साथ खिलवाड़: पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ

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Published : Nov 16, 2021, 7:23 AM IST

Updated : Nov 16, 2021, 7:50 AM IST

मशहूर राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ (Pushpendra Kulshrestha) ने हजारीबाग में एक कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने लोगों से कहा कि देश में आंतरिक चुनौतियां भी बहुत हैं. उन्होंने कहा कि सरकारें सिर्फ वोट बैंक के चक्कर में देश को कब्जाने देने की साजिशें रच रही हैं और हम गैरजरूरी मुद्दों में उलझे हुए हैं.

Pushpendra Kulshrestha
Pushpendra Kulshrestha

हजारीबाग: देश के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ (Pushpendra Kulshrestha) का एक दिवसीय कार्यक्रम हजारीबाग (Hazaribagh) में हुआ. यहां उन्होंने अपनी बात रखते हुए राष्ट्र एकता और राष्ट्र उत्थान पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि चुनौतियों को समझने के साथ-साथ उसके समाधान भी हमें खोजने की आवश्यकता है. सरकार के साथ-साथ यह हम सब की जिम्मेवारी है कि आने वाले वक्त की आहट को पहचानते हुए उसके अनुसार कदम उठाएं.

विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ (Pushpendra Kulshrestha) ने अपनी बात रखते हुए कहा कि देश को अखंड (United) रखना है तो राष्ट्र को जागृत करना होगा उसके बगैर यह संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि चुनौतियों को समझने के साथ ही उसके समाधान भी हमें ही खोजने होंगे. विजय शंखनाद संस्था की तरफ से मुंद्रिका कुंज, नूरा में ‘राष्ट्रवाद-एक चिंतन’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया. उन्होंने सभागार में बैठे लोगों से कहा कि सरकार के साथ ही यह हम सबकी भी जिम्मेदारी है. आनेवाले वक्त की आहट को पहचानने की जरूरत है. उन्होंने देश के समक्ष आंतरिक चुनौतियों की जानकारी देने के साथ ही उसके समाधान भी बताए. वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट 2013 (waqf property act 2013), सच्चर कमेटी (Sachar Committee), अल्पसंख्यक आयोग(Minorities Commission) समेत तमाम मुददों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्थितियां अराजगता (anarchy) की तरफ बढ़ रही हैं. लोगों को पता ही नहीं कि सरकारें किस तरह से उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहीं हैं.

ये भी पढ़ें: मुसलमानों पर हमले हो रहे, मस्जिदें नष्ट की जा रहीं : फारूक अब्दुल्ला

पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि लोगों को संसद के कामकाज पर बारीक नजर रखने की जरूरत है. सरकारें वोट बैंक (Vote bank) बनाने के फेर में देश को कब्जाने देने की साजिशें रच रही हैं और हम गैरजरूरी मुद्दों में उलझे हुए हैं. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 35ए (Article 35A) के बाद अब लोगों को वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट 2013 पर जागरूक होने की जरूरत है. वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट 2013 का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसका एक प्रावधान आर्टिकल 40 (Article 40) बेहद खतरनाक है. यह बोर्ड को यह अधिकार देता है कि बोर्ड के दो सदस्यों को देश में कहीं भी यह लगे कि कोई संपत्ति पहले वक्फ की थी, वह उसे अपने कब्जे में ले सकता है. बीते एक दशक में देश में इस कानून के माध्यम से सरकारी जमीनों को कब्जाने का काम हो रहा है.


आंध्रप्रदेश के एक जज के हवाले से उन्होंने कहा कि जज के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा जमीन रेलवे के पास है. उसके बाद डिफेंस और फिर वक्फ बोर्ड के पास है जमीन का कब्जा. आए दिन मामले सामने आते हैं, जब अचानक मजारें अस्तित्व में आ रही हैं. दिल्ली के संजय गांधी उद्यान में भी मजार का मामला सामने आया है. उन्होंने कहा कि इस एक्ट के बाद से सरकारी जमीन घेरने का सिलसिला देशभर में चल रहा है.

2005 में बनी सच्चर कमेटी के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कमेटी संवैधानिक नहीं है. इस पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर ही नहीं किए हैं और 2006 से इसके बहाने हजारों करोड़ रुपए मुसलमानों के अपलिफ्टमेंट के नाम पर खर्च हो रहे हैं. उन्होंने अल्पसंख्यक आयोग पर भी सवाल उठाते हुए उसके दुरुपयोग की बात कही. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के साथ ही राज्यों में भी अल्पसंख्यक आयोग बने हैं. अल्पसंख्यकों को दोनों आयोगों से आर्थिक सहायता दी जा रही है. अल्पसंख्यक होने के क्राइटेरिया को लेकर सरकार के पास कोई नीति नहीं है. यह बात सरकार ने एक आरटीआई में मानी है. संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अल्पसंख्यक की जो परिभाषा तय की है, उसके मुताबिक कुल आबादी का 1.5 फीसदी आबादी वाले लोगों को ही अल्पसंख्यक माना जा सकता है.

हजारीबाग: देश के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ (Pushpendra Kulshrestha) का एक दिवसीय कार्यक्रम हजारीबाग (Hazaribagh) में हुआ. यहां उन्होंने अपनी बात रखते हुए राष्ट्र एकता और राष्ट्र उत्थान पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि चुनौतियों को समझने के साथ-साथ उसके समाधान भी हमें खोजने की आवश्यकता है. सरकार के साथ-साथ यह हम सब की जिम्मेवारी है कि आने वाले वक्त की आहट को पहचानते हुए उसके अनुसार कदम उठाएं.

विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ (Pushpendra Kulshrestha) ने अपनी बात रखते हुए कहा कि देश को अखंड (United) रखना है तो राष्ट्र को जागृत करना होगा उसके बगैर यह संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि चुनौतियों को समझने के साथ ही उसके समाधान भी हमें ही खोजने होंगे. विजय शंखनाद संस्था की तरफ से मुंद्रिका कुंज, नूरा में ‘राष्ट्रवाद-एक चिंतन’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया. उन्होंने सभागार में बैठे लोगों से कहा कि सरकार के साथ ही यह हम सबकी भी जिम्मेदारी है. आनेवाले वक्त की आहट को पहचानने की जरूरत है. उन्होंने देश के समक्ष आंतरिक चुनौतियों की जानकारी देने के साथ ही उसके समाधान भी बताए. वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट 2013 (waqf property act 2013), सच्चर कमेटी (Sachar Committee), अल्पसंख्यक आयोग(Minorities Commission) समेत तमाम मुददों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्थितियां अराजगता (anarchy) की तरफ बढ़ रही हैं. लोगों को पता ही नहीं कि सरकारें किस तरह से उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहीं हैं.

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पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि लोगों को संसद के कामकाज पर बारीक नजर रखने की जरूरत है. सरकारें वोट बैंक (Vote bank) बनाने के फेर में देश को कब्जाने देने की साजिशें रच रही हैं और हम गैरजरूरी मुद्दों में उलझे हुए हैं. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 35ए (Article 35A) के बाद अब लोगों को वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट 2013 पर जागरूक होने की जरूरत है. वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट 2013 का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसका एक प्रावधान आर्टिकल 40 (Article 40) बेहद खतरनाक है. यह बोर्ड को यह अधिकार देता है कि बोर्ड के दो सदस्यों को देश में कहीं भी यह लगे कि कोई संपत्ति पहले वक्फ की थी, वह उसे अपने कब्जे में ले सकता है. बीते एक दशक में देश में इस कानून के माध्यम से सरकारी जमीनों को कब्जाने का काम हो रहा है.


आंध्रप्रदेश के एक जज के हवाले से उन्होंने कहा कि जज के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा जमीन रेलवे के पास है. उसके बाद डिफेंस और फिर वक्फ बोर्ड के पास है जमीन का कब्जा. आए दिन मामले सामने आते हैं, जब अचानक मजारें अस्तित्व में आ रही हैं. दिल्ली के संजय गांधी उद्यान में भी मजार का मामला सामने आया है. उन्होंने कहा कि इस एक्ट के बाद से सरकारी जमीन घेरने का सिलसिला देशभर में चल रहा है.

2005 में बनी सच्चर कमेटी के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कमेटी संवैधानिक नहीं है. इस पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर ही नहीं किए हैं और 2006 से इसके बहाने हजारों करोड़ रुपए मुसलमानों के अपलिफ्टमेंट के नाम पर खर्च हो रहे हैं. उन्होंने अल्पसंख्यक आयोग पर भी सवाल उठाते हुए उसके दुरुपयोग की बात कही. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के साथ ही राज्यों में भी अल्पसंख्यक आयोग बने हैं. अल्पसंख्यकों को दोनों आयोगों से आर्थिक सहायता दी जा रही है. अल्पसंख्यक होने के क्राइटेरिया को लेकर सरकार के पास कोई नीति नहीं है. यह बात सरकार ने एक आरटीआई में मानी है. संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अल्पसंख्यक की जो परिभाषा तय की है, उसके मुताबिक कुल आबादी का 1.5 फीसदी आबादी वाले लोगों को ही अल्पसंख्यक माना जा सकता है.

Last Updated : Nov 16, 2021, 7:50 AM IST
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