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एक दिन की नवजात को जंगल में फेंक गई मां, शरीर को नोंच रहे थे कीड़े, ऐसे बची जान

हजारीबाग में एक दिन की नवजात को लोगों ने जंगल में फेंका हुआ पाया. जिसके बाद ग्रामीणों ने उसे तुरंत सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां बच्ची का इलाज किया जा रहा है.

नवजात को जंगल में फेंका
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Published : Jul 21, 2019, 12:34 PM IST

हजारीबाग: जिले एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां केरेडारी प्रखंड के जंगल में 1 दिन की नवजात बच्ची लावारिस हालत में मिली है. ग्रामीणों ने जैसे ही बच्चो को देखा, इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दी गई. प्रशासन ने 108 एंबुलेंस के जरिए उसे हजारीबाग सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका इलाज चल रहा है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-झारखंड के लोग समस्याओं से परेशान तो यूपी में जंगलराज: सरफराज अहमद

लोगों के अनुसार, उन्हें जंगल में बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी. जिसके बाद वहां से गुजर रहे लोगों ने बच्ची को उठाया. बच्ची के शरीर पर कई जगह कीड़े के काटे जाने के निशान दिखे. फिलहाल बच्ची को गंभीर अवस्था में सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची अब खतरे से बाहर है.

हजारीबाग: जिले एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां केरेडारी प्रखंड के जंगल में 1 दिन की नवजात बच्ची लावारिस हालत में मिली है. ग्रामीणों ने जैसे ही बच्चो को देखा, इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दी गई. प्रशासन ने 108 एंबुलेंस के जरिए उसे हजारीबाग सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका इलाज चल रहा है.

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लोगों के अनुसार, उन्हें जंगल में बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी. जिसके बाद वहां से गुजर रहे लोगों ने बच्ची को उठाया. बच्ची के शरीर पर कई जगह कीड़े के काटे जाने के निशान दिखे. फिलहाल बच्ची को गंभीर अवस्था में सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची अब खतरे से बाहर है.

Intro:एक तरफ जहां सरकार बेटियों को लेकर जागरूक करने का काम कर रही है ।लेकिन हमारा समाज आज भी बेटियों को स्वीकार नहीं कर रही है। जिसका जीता जागता उदाहरण हजारीबाग में देखने को मिला। जहां ममता शर्मसार हो गई। 1 दिन की जन्मी बच्ची को उसके परिजनों ने झाड़ी में फेंक दिया। यह क्रूर चेहरा उस समाज का है जो बेटियों को अपनाना नहीं चाहती है।


Body:हजारीबाग के केरेडारी प्रखंड के जंगल में नवजात बच्ची को फेका हुआ ग्रामीणों ने पाया। जिसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दी गई और स्थानीय प्रशासन के द्वारा 108 एंबुलेंस के जरिए उसे हजारीबाग सदर अस्पताल लाया गया। जहां उसका इलाज चल रहा है। इस बच्ची के बारे में लोगों को ने जानकारी दिया है कि जंगल में बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। वहां से गुजर रहे लोगों ने उठाया। जब उसे देखा गया तो उसके बदन में कई जगह चुटी और किडे काटे जाने की भी निशान देखें ।गंभीर अवस्था में उसे सदर अस्पताल लाया गया। जहां उसका इलाज चल रहा है और डॉक्टरों का कहना है कि अब बच्ची खतरे से बाहर है ।लेकिन जिस तरह से बच्ची अस्पताल में पहुंची है यह कहीं न कहीं मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। घटना ने सोचने को विवश कर दिया है कि आज भी हमारा समाज बेटियों को लेकर संवेदनहीन है, जरूरत है समाज को बदलने की ।

byte.... डॉ विनय भूषण बच्ची का इलाज करने वाले डॉक्टर
byte.... रंजन चौधरी समाज सेवी


Conclusion:कर सकते हैं कि जाको राखे साइयां मार सके ना कोई यह कहावत हजारीबाग में चरितार्थ हुई। अगर समय से गांव के लोग बच्ची को नहीं उठाते तो परिणाम और भी बुरा हो सकता था।
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