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दृष्टिहीनों के लिए वरदान साबित होगा 11वीं के छात्र शहनवाज का ब्लाइंड स्टिक, जानिए क्या है खूबियां - Hazaribagh student Shahnawaz

हजारीबाग का छात्र शाहनवाज ने दृष्टिहीन दिव्यांगों के लिए ब्लाइंड स्टिक का अविष्कार किया है. इस स्टिक को दृष्टिहीनों के लिए वरदान माना जा रहा है. इस छड़ी से सहारे दृष्टिहीनों को अपने दैनिक कार्यों के लिए किसी सहारे की आवश्यकता नहीं होगी.

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ब्लाइंड स्टिक
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Published : Mar 5, 2022, 10:19 AM IST

Updated : Mar 5, 2022, 10:42 AM IST

हजारीबाग: देश में दृष्टिहीन दिव्यांग अब सड़क पर बेधड़क होकर चल सकेंगे. उन्हें न तो किसी का सहारा लेना पड़ेगा और न ही उनके परिवार को अब उनके लिए चिंतिंत होने की आवश्यकता होगी. दृष्टिहीन दिव्यांगों की जिंदगी में उजाला लाने के लिए हजारीबाग के 11वीं के छात्र शहनवाज ने जो ब्लाइंड स्टिक का अविष्कार किया है वो बेहद कमाल है.

ये भी पढ़ें- डिजिटल ट्रांजेक्शन में हजारीबाग बाजार समिति का रिकॉर्ड, 3 करोड़ पेमेंट के बाद 6 करोड़ का रखा लक्ष्य

ब्लाइंड स्टिक से बदलेगी नेत्रहीनों की जिंदगी: दरअसल हजारीबाग के 11वीं कक्षा के बाल वैज्ञानिक शहनवाज ने ऐसा उपकरण बनाया है. जिससे दृष्टिहीन व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आ जाएगा और वह खुद पर आत्मनिर्भर हो जाएंगे. नेत्रहीनों को इलेक्ट्रॉनिक ब्लाइंड स्टिक हरेक काम में मदद करेगा. फिर चाहे अकेले घर से निकलना हो या फिर सड़क पार करना. सब आसान हो जाएगा.

देखें वीडियो

कैसे काम करता है ब्लाइंड स्टिक: दरअसल इस स्टिक में एक सेंसर लगाया गया है जो नेत्रहीनों को हरेक तरह की जानकारी उपलब्ध कराता है. अगर उन्हें एक छोर से दूसरे छोर जाना है और बीच में गाड़ी आ जाए तो वह गाड़ी वालों को संदेश भी ब्लाइंड स्टिक के जरिए दे सकते हैं. इस छड़ी में एक बल्ब लगा हुआ है जो आने वाले व्यक्ति को यह बताएगा कि सड़क पर चलने वाला इंसान दृष्टिहीन है. ब्लाइंड स्टिक के सेंसर को जीपीआरएस से भी जोड़ा गया है जिससे घर वालों को ब्लाइंड व्यक्ति के लोकेशन के बारे में जानकारी मिलती रहती है. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस स्टिक को बनाने में महज 8 हजार रुपये ही खर्च हुए हैं. जिसके बड़े पैमाने पर उत्पादन के बाद कीमत दो से ढाई हजार के बीच रहने की संभावना है.

ये भी पढे़ं- अटल टिंकरिंग लैब से आत्मनिर्भर होगा भारत, बच्चे सीखेंगे नई तकनीक

इंस्पायर अवार्ड में मिली है जगह: छात्र ने अपनी सोच को धरातल पर उतारा है. ऐसे में इंस्पायर अवार्ड में भी उसे जगह मिली है. जिला स्तर से वह राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा है. अब उसका प्रोजेक्ट नीति आयोग के पास विचाराधीन है. इनोवेशन सेल इस अविष्कार पर सोच रहा है कि कैसे आविष्कार को धरातल पर उतारा जाए. जिससे दृष्टिहीन दिव्यांगों को मदद मिल सके. छात्र यह भी बताता है कि दृष्टिहीन व्यक्ति हमेशा घर पर रहते हैं और परिवार वालों की उन्हें जरूरत होती है. दृष्टिहीन व्यक्ति घर से बाहर भी नहीं निकल सकते. ऐसे में उनका जीवन उबाऊ हो जाता है और वे दूसरे पर निर्भर रहने लिते हैं. इस समस्या को देखते हुए हमने दृष्टिहीन व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उपकरण बनाया है.

शिक्षक भी हैं काफी उत्साहित: शिक्षक भी अविष्कार को लेकर उत्साहित हैं. उनका कहना है कि यह उपकरण व्यक्ति या गाड़ी को डिटेक्ट नहीं करता. बल्कि सड़क पर अगर कीचड़ भी है तो वह इसकी जानकारी दृष्टिहीन व्यक्ति को देता है. कैमरा, जीपीआरएस ,लाइट ,सेंसर से ब्लाइंड स्टिक लैस है. शिक्षक के मुताबिक छात्रों को थोड़ा मदद और प्रोत्साहित करने पर वह अच्छा कर सकते हैं. शाहनवाज ने दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए उपयोगी उपकरण बनाया है. उपकरण बनाने से दूसरे छात्र भी प्रोत्साहित होंगे.

हजारीबाग: देश में दृष्टिहीन दिव्यांग अब सड़क पर बेधड़क होकर चल सकेंगे. उन्हें न तो किसी का सहारा लेना पड़ेगा और न ही उनके परिवार को अब उनके लिए चिंतिंत होने की आवश्यकता होगी. दृष्टिहीन दिव्यांगों की जिंदगी में उजाला लाने के लिए हजारीबाग के 11वीं के छात्र शहनवाज ने जो ब्लाइंड स्टिक का अविष्कार किया है वो बेहद कमाल है.

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ब्लाइंड स्टिक से बदलेगी नेत्रहीनों की जिंदगी: दरअसल हजारीबाग के 11वीं कक्षा के बाल वैज्ञानिक शहनवाज ने ऐसा उपकरण बनाया है. जिससे दृष्टिहीन व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आ जाएगा और वह खुद पर आत्मनिर्भर हो जाएंगे. नेत्रहीनों को इलेक्ट्रॉनिक ब्लाइंड स्टिक हरेक काम में मदद करेगा. फिर चाहे अकेले घर से निकलना हो या फिर सड़क पार करना. सब आसान हो जाएगा.

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कैसे काम करता है ब्लाइंड स्टिक: दरअसल इस स्टिक में एक सेंसर लगाया गया है जो नेत्रहीनों को हरेक तरह की जानकारी उपलब्ध कराता है. अगर उन्हें एक छोर से दूसरे छोर जाना है और बीच में गाड़ी आ जाए तो वह गाड़ी वालों को संदेश भी ब्लाइंड स्टिक के जरिए दे सकते हैं. इस छड़ी में एक बल्ब लगा हुआ है जो आने वाले व्यक्ति को यह बताएगा कि सड़क पर चलने वाला इंसान दृष्टिहीन है. ब्लाइंड स्टिक के सेंसर को जीपीआरएस से भी जोड़ा गया है जिससे घर वालों को ब्लाइंड व्यक्ति के लोकेशन के बारे में जानकारी मिलती रहती है. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस स्टिक को बनाने में महज 8 हजार रुपये ही खर्च हुए हैं. जिसके बड़े पैमाने पर उत्पादन के बाद कीमत दो से ढाई हजार के बीच रहने की संभावना है.

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इंस्पायर अवार्ड में मिली है जगह: छात्र ने अपनी सोच को धरातल पर उतारा है. ऐसे में इंस्पायर अवार्ड में भी उसे जगह मिली है. जिला स्तर से वह राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा है. अब उसका प्रोजेक्ट नीति आयोग के पास विचाराधीन है. इनोवेशन सेल इस अविष्कार पर सोच रहा है कि कैसे आविष्कार को धरातल पर उतारा जाए. जिससे दृष्टिहीन दिव्यांगों को मदद मिल सके. छात्र यह भी बताता है कि दृष्टिहीन व्यक्ति हमेशा घर पर रहते हैं और परिवार वालों की उन्हें जरूरत होती है. दृष्टिहीन व्यक्ति घर से बाहर भी नहीं निकल सकते. ऐसे में उनका जीवन उबाऊ हो जाता है और वे दूसरे पर निर्भर रहने लिते हैं. इस समस्या को देखते हुए हमने दृष्टिहीन व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उपकरण बनाया है.

शिक्षक भी हैं काफी उत्साहित: शिक्षक भी अविष्कार को लेकर उत्साहित हैं. उनका कहना है कि यह उपकरण व्यक्ति या गाड़ी को डिटेक्ट नहीं करता. बल्कि सड़क पर अगर कीचड़ भी है तो वह इसकी जानकारी दृष्टिहीन व्यक्ति को देता है. कैमरा, जीपीआरएस ,लाइट ,सेंसर से ब्लाइंड स्टिक लैस है. शिक्षक के मुताबिक छात्रों को थोड़ा मदद और प्रोत्साहित करने पर वह अच्छा कर सकते हैं. शाहनवाज ने दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए उपयोगी उपकरण बनाया है. उपकरण बनाने से दूसरे छात्र भी प्रोत्साहित होंगे.

Last Updated : Mar 5, 2022, 10:42 AM IST
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