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खतरे में है बिरहोर का यह गांव, घर के आगे अवैध तरीके से डंप किया जा रहा है कोयला, प्रशासन को भी जानकारी

झारखंड में कुछ भी संभव है. यहां नियम को ताक पर रख कर काम किया जाना कोई बड़ी बात नहीं है. ऐसा ही कुछ नजारा इन दिनों हजारीबाग के कटकमसांडी कोल डंप में देखा जा रहा है. जहां नियम का उल्लंघन कर सालों साल से कोल डंप किया जा रहा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी
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Published : Feb 2, 2019, 6:59 PM IST

Updated : Feb 9, 2019, 4:09 AM IST

हजारीबाग: झारखंड में कुछ भी संभव है. यहां नियम को ताक पर रख कर काम किया जाना कोई बड़ी बात नहीं है. ऐसा ही कुछ नजारा इन दिनों हजारीबाग के कटकमसांडी कोल डंप में देखा जा रहा है. जहां नियम का उल्लंघन कर सालों साल से कोल डंप किया जा रहा है.

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हजारीबाग के कटकमसांडी स्टेशन पर संचालित कोल डम्प नियमों का उल्लंघन कर चलाया जा रहा है. यह कोल माइनिंग खनन विभाग के बिना स्वीकृति के ही चल रही है. इतना ही नहीं इसके लिए झारखंड राज्य प्रदूषण बोर्ड से स्वीकृति भी नहीं ली गई है. कोल स्टोरेज के लिए उपायुक्त कार्यालय से स्वीकृति लेने का प्रावधान है. इसका भी उल्लंघन किया जा रहा है. सूचना है कि कोयले की ढुलाई के लिए चालान की जरूरत पड़ती है, लेकिन इस नियम का भी उल्लंघन कोल माफिया कर रहे हैं.


पैसे की लालच में भूल गए इंसानियत
आदिम जनजाति के स्वास्थ्य को दरकिनार कर अवैध रूप से यहां कोयला का अवैध खेल चल रहा है. जिसे देखने वाला वाला कोई नहीं है. कुछ महीने पहले घोषित करते हुए प्रदूषण बोर्ड द्वारा प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी. कुछ दिनों के लिए ये कारोबार बंद रहा, लेकिन बाद में पुन: कोयला का गोरखधंधा वहां से शुरू हो गया. ये मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुंचा है, जहां सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा यह कहा गया है कि लुप्त प्राय होने वाली जनजाति बिरहोर को वहां स्थाई रूप से रहने की व्यवस्था की गई है, लेकिन उनके दरवाजे के ठीक सामने लाखों लाख टन कोयला हर रोज जमा होता है.

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इसके पीछे का खेल काफी बड़ा है
बताया जाता है कि चतरा स्थित आम्रपाली के कोल खदान से कोयला कटकमसांडी रेलवे रैक पहुंचता है. कोयला ट्रांसपोर्टिंग का माध्यम से रेलवे स्टेशन पहुंचता है और इस ट्रांसपोर्टिंग के लिए एजेंसी को काम दिया जाता है. कोयला डंप करने के लिए अब तक किसी को भी इजाजत नहीं दी गई है. ऐसा कहा जाता है कि इसे चलाने के लिए कई लोगों की मदद ली जाती है, जिसमें कई सफेदपोश नेता है तो कई वर्दी के पीछे छुपे चेहरे. यही नहीं कई असामाजिक तत्व को भी मिला कर इस कारोबार को अंजाम दिया जाता है. मामला मानवाधिकार आयोग से लेकर प्रदूषण बोर्ड तक पहुंच चुकी है, लेकिन इसे रोकने की ताकत किसी में भी नहीं है.


जिला प्रशासन ने की कार्रवाई
इस पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई भी की है, जहां से एक लाख टन अवैध कोयला बरामद किया गया है. वहीं कई गाड़ियां भी जब्त की गई हैं. एसडीओ मेघा भारद्वाज ने कहा कि अवैध रूप से कोयला रैक चल रहा था. इस पर कार्रवाई की गई है. मेघा भारद्वाज ने यह भी कहा कि किसी को भी कोल स्टोर करने की इजाजत या लाइसेंस निर्गत नहीं किया गया है.

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कठघरे में जिला प्रशासन
एसडीओ मेघा भारद्वाज ने पूरे जिला प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है. उनका कहना है कि इसकी जानकारी जिला प्रशासन को पहले से है और यह धंधा कई महीनों से खुलेआम चल रहा है. पहले भी एसडीओ मेघा भरद्वाज के कार्यालय से यह नोटिस दिया गया था कि कोयला हटा लिया जाए, लेकिन आदेश निर्गत होने के बाद भी अब तक कोयला हटाया नहीं गया.

हजारीबाग: झारखंड में कुछ भी संभव है. यहां नियम को ताक पर रख कर काम किया जाना कोई बड़ी बात नहीं है. ऐसा ही कुछ नजारा इन दिनों हजारीबाग के कटकमसांडी कोल डंप में देखा जा रहा है. जहां नियम का उल्लंघन कर सालों साल से कोल डंप किया जा रहा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी
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हजारीबाग के कटकमसांडी स्टेशन पर संचालित कोल डम्प नियमों का उल्लंघन कर चलाया जा रहा है. यह कोल माइनिंग खनन विभाग के बिना स्वीकृति के ही चल रही है. इतना ही नहीं इसके लिए झारखंड राज्य प्रदूषण बोर्ड से स्वीकृति भी नहीं ली गई है. कोल स्टोरेज के लिए उपायुक्त कार्यालय से स्वीकृति लेने का प्रावधान है. इसका भी उल्लंघन किया जा रहा है. सूचना है कि कोयले की ढुलाई के लिए चालान की जरूरत पड़ती है, लेकिन इस नियम का भी उल्लंघन कोल माफिया कर रहे हैं.


पैसे की लालच में भूल गए इंसानियत
आदिम जनजाति के स्वास्थ्य को दरकिनार कर अवैध रूप से यहां कोयला का अवैध खेल चल रहा है. जिसे देखने वाला वाला कोई नहीं है. कुछ महीने पहले घोषित करते हुए प्रदूषण बोर्ड द्वारा प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी. कुछ दिनों के लिए ये कारोबार बंद रहा, लेकिन बाद में पुन: कोयला का गोरखधंधा वहां से शुरू हो गया. ये मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुंचा है, जहां सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा यह कहा गया है कि लुप्त प्राय होने वाली जनजाति बिरहोर को वहां स्थाई रूप से रहने की व्यवस्था की गई है, लेकिन उनके दरवाजे के ठीक सामने लाखों लाख टन कोयला हर रोज जमा होता है.

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इसके पीछे का खेल काफी बड़ा है
बताया जाता है कि चतरा स्थित आम्रपाली के कोल खदान से कोयला कटकमसांडी रेलवे रैक पहुंचता है. कोयला ट्रांसपोर्टिंग का माध्यम से रेलवे स्टेशन पहुंचता है और इस ट्रांसपोर्टिंग के लिए एजेंसी को काम दिया जाता है. कोयला डंप करने के लिए अब तक किसी को भी इजाजत नहीं दी गई है. ऐसा कहा जाता है कि इसे चलाने के लिए कई लोगों की मदद ली जाती है, जिसमें कई सफेदपोश नेता है तो कई वर्दी के पीछे छुपे चेहरे. यही नहीं कई असामाजिक तत्व को भी मिला कर इस कारोबार को अंजाम दिया जाता है. मामला मानवाधिकार आयोग से लेकर प्रदूषण बोर्ड तक पहुंच चुकी है, लेकिन इसे रोकने की ताकत किसी में भी नहीं है.


जिला प्रशासन ने की कार्रवाई
इस पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई भी की है, जहां से एक लाख टन अवैध कोयला बरामद किया गया है. वहीं कई गाड़ियां भी जब्त की गई हैं. एसडीओ मेघा भारद्वाज ने कहा कि अवैध रूप से कोयला रैक चल रहा था. इस पर कार्रवाई की गई है. मेघा भारद्वाज ने यह भी कहा कि किसी को भी कोल स्टोर करने की इजाजत या लाइसेंस निर्गत नहीं किया गया है.

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कठघरे में जिला प्रशासन
एसडीओ मेघा भारद्वाज ने पूरे जिला प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है. उनका कहना है कि इसकी जानकारी जिला प्रशासन को पहले से है और यह धंधा कई महीनों से खुलेआम चल रहा है. पहले भी एसडीओ मेघा भरद्वाज के कार्यालय से यह नोटिस दिया गया था कि कोयला हटा लिया जाए, लेकिन आदेश निर्गत होने के बाद भी अब तक कोयला हटाया नहीं गया.

Intro:Note..... विजुअल एफटीपी पर कोल हजारीबाग वन, दो और कोल हजारीबाग बाइट के नाम पर है ।राजीव सर से बात हुई थी। उन्होंने कहा था कि इसी फॉर्मेट में खबर भेजने के लिए। कृपया देख लिया जाए खबर बड़ी है और सपोर्ट पर जाकर विजुअल करना खतरे से खाली नहीं है। इस कारण लोकल लड़के से विजुअल और बाइट करवाना पड़ा......

झारखंड में कुछ भी संभव है। जहां नियम को ताक पर रख कर काम किया जाना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसा ही कुछ नजारा इन दिनों हजारीबाग के कटकमसांडी कोल डम्प में देखा जा रहा है। जहां नियम का उल्लंघन कर सालों साल से कोल डंप किया जा रहा है। और सरकार को करोडो रुपया का चंपक कोल माफिया लगा रहे हैं। क्या है माजरा देखते हैं ईटीवी भारत के विशेष खबर पर....


Body:vo....1.....हजारीबाग जिला के कटकमसांडी स्टेशन पर संचालित कोल डम्प नियमों का उल्लंघन कर चलाया जा रहा है। यह कोल्ड माइनिंग खनन विभाग के बिना स्वीकृति के ही चल रही है। इतना ही नहीं इसके लिए झारखंड राज्य प्रदूषण बोर्ड से स्वीकृति भी नहीं ली गई है।कोल के लिए जमीन उपयोग हेतु उपायुक्त कार्यालय से स्वीकृति लेने का प्रावधान है ।इसका उल्लंघन किया जा रहा है। सूचना है कि कोयले की ढुलाई के लिए चालान की जरूरत पड़ती है लेकिन इस नियम का भी उल्लंघन कर कोल डम्प से रैक द्वारा कोयले की ढुलाई कर सरकार को करोड़ों रुपया का चंपत कोल माफिया लगा रहे हैं और तो और आदिम जनजाति के स्वास्थ्य को दरकिनार कर अवैध रूप से यहां कोयला का अवैध खेल चल रहा है । जिसे देखने वाला वाला कोई नहीं है। कुछ महीने पहले घोषित करते हुए प्रदूषण बोर्ड द्वारा प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी कुछ दिनों तक गोल्डन बंद रहा बाद में पुणे कोयला का गोरखधंधा वहां से शुरू हो गया यहां तक कि मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुंचा है जहां सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा यह कहा गया है कि लुप्त प्राय होने वाली जनजाति बिरहोर को वहां स्थाई रूप से रहने की व्यवस्था की गई है लेकिन उनके दरवाजे के ठीक सामने लाखों लाख टन कोयला हर रोज एक होता है और फिर रख लगाकर बाहर भेज दिया जाता है जिससे या विलुप्त होती हुई जनजाति खतरे पर आ गई है वहीं ढोला की रहने वाली महिला ने कहा कि अब यहां रहना दुर्लभ हो गया है

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vo...2.. इसके पीछे का खेल काफी बड़ा है। बताया जाता है चतरा स्थित आम्रपाली के कोल खदान से कोयला कटकमसांडी रेलवे रैक पहुंचता है। कोयला ट्रांसपोर्टिंग का माध्यम से रेलवे स्टेशन पहुंचता है और ट्रांसपोर्टिंग के लिए एजेंसी को काम दिया जाता है ।कोयला डम्प करने के लिए अब तक किसी को भी इजाजत नहीं दी गई है।विलुप्त होती प्रजाति बिरहोर टोला के पास कोयला डम्प कर दिया जाता है। जहां से रेलवे ए जरिए एनटीपीसी के कई पावर प्लांटों में कोयला भेजा जाता है। जहां कैलास लोडिंग वैद्य रूप से चलाया जा रहा है तो दूसरी ओर कटकमसांडी रेलवे स्लाइडिंग अवैध रूप से चल रहा है। ऐसा कहा जाता है कि इसे चलाने के लिए कई लोगों की मदद ली जाती है ।जिसमें कई सफेदपोश नेता है तो कई वर्दी के पीछे छुपे चेहरे, यही नहीं कई असामाजिक तत्व को भी मिला कर यह काम लिया जाता है। अब यह मानवाधिकार आयोग से लेकर प्रदूषण बोर्ड तक पहुंच चुकी है। लेकिन इसे रोकने की ताकत किसे भी नहीं है। इस पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई भी की है जहां 100000 टन अवैध कोयला बरामद किया गया है। वहीं कई गाड़ियां भी जबकि गई है। एसडीओ मेघा भरद्वाज ने कहा कि अवैध रूप से कोयला रैक चल रहा था। इस पर कार्रवाई की गई है। मेघा भरद्वाज ने यह भी कहा कि किसी को भी कोल स्टोर करने की इजाजत या कहा जा लाइसेंस निर्गत नहीं किया गया है। एसडीओ मेघा भरद्वाज ने पुरे जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है ।उनका कहना है कि इसकी जानकारी जिला प्रशासन को पहले से है। और यह धंधा कई महीनों से खुलेआम चल रहा है। पहले भी एसडीओ मेघा भरद्वाज के कार्यालय से यह नोटिस दिया गया था कि कोयला हटा लिया जाए ।लेकिन आदेश निर्गत होने के बाद भी अब तक कोयला हटाया नहीं गया। यह मामला नेशनल ह्यूमन राइट्स के अदालत में भी चल रहा है। एसडीओ मेघा भारद्वाज ने बताया कि एसडीओ कोर्ट में भी यह मामला चल रहा है और उन्होंने कार्रवाई की है और जो भी व्यक्ति है उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।

byte.... मेघा भारद्वाज एसडीओ हजारीबाग







Conclusion:लेकिन जहां एक और कार्रवाई की गई है तो दूसरी ओर कुछ दिनों के बाद फिर से यहां गोरख धंधा शुरू हो जाता है यह नया खेल नहीं है। अब यह देखने वाली बात होगी कि जिला प्रशासन कोयला कई अवैध खेल कब रुकता है।

अगर सही मायने में कहा जाए तो 1 किलोमीटर पहले कोला स्लाइडिंग बनना चाहिए था, लेकिन कोयले के अवैध कारोबारियों ने रेलवे ट्रैक को पंचर कर के रेलवे स्लाइडिंग पहले बनवा लिया ताकि परिवहन में दिक्कत ना हो।

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग
Last Updated : Feb 9, 2019, 4:09 AM IST
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