हजारीबाग: महात्मा गांधी की धर्मपत्नी कस्तूरबा गांधी के नाम पर कस्तूरबा आवासीय विद्यालय की परिकल्पना की गई है. इस विद्यालय का मुख्य उद्देश्य विषम परिस्थितियों में जीवन यापन करने वाली वंचित वर्ग की बालिकाओं के लिए आवासीय विद्यालय के माध्यम से गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है. माता-पिता अभिभावकों को उत्प्रेरित करना. जिससे बालिकाओं को कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में भेजा जा सके.
ऐसी बालिकाओं पर ध्यान देना जो विद्यालय से बाहर हैं जिनकी उम्र 10 वर्ष के ऊपर है. विशेषकर एक स्थान से दूसरे स्थान घूमने वाली जाति समुदाय की बालिकाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित करना है. अनुसूचित जाति, जनजाति अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं और 25% गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को गांधी आवासीय विद्यालय में नामांकन कराना है.
हजारीबाग में कस्तूरबा विद्यालय स्तर को ऊंचा करने के लिए प्रयास किया जा रहा है. जिसके तहत कुल 33 शिक्षक और गैस शिक्षक पदों का सृजन किया गया है. जिस की बहाली की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. दरअसल कस्तूरबा आवासीय विद्यालय शिक्षकों की कमी का दंश पिछले कई सालों से झेल रहा था. इस कमी को दूर करने के लिए हजारीबाग जिला प्रशासन के द्वारा कोशिश की जा रही है. हजारीबाग जिला शिक्षा पदाधिकारी भी बताते हैं कि वे लोग आने वाले समय में कस्तूरबा स्कूल के स्तर को और ऊंचा करने के लिए प्रयास करेंगे.
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कस्तूरबा स्कूल में विषय वार शिक्षकों की बहाली के लिए रोस्टर बनाया गया है. उस रोस्टर के अनुसार आने वाले दिनों में शिक्षक भी नजर आएंगे. दरअसल केंद्र सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना के चलते देश के पिछड़े वर्ग और गांव में निवास करने वाली अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लड़कियों को मुफ्त में शिक्षा दी जाती है. छात्राएं यहां छठी क्लास से ऊपर शिक्षा यहां पाती हैं. जिन्हें निशुल्क सभी सुविधाएं दी जाती हैं. हजारीबाग में कुल 11 कस्तूरबा आवासीय विद्यालय हैं. प्रखंड मुख्यालय में विद्यालय है यहां छात्राओं को स्कूल में नामांकन कराने की प्राथमिकता दी जाती है.
हजारीबाग के सुदूरवर्ती विष्णुगढ़ प्रखंड के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में छात्रों की संख्या काफी अच्छी है. यहां छात्राओं के उज्जवल भविष्य के लिए दिन रात मेहनत किया जाता है. यहां की वार्डन सह शिक्षिका भी बताती हैं कि शिक्षा के अलावा कई अन्य तरह की ट्रेनिंग और जानकारी छात्राओं को दी जाती है.
सुदूरवर्ती और अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाने वाला विष्णुगढ़ में अब शिक्षा का अलग जग रहा है और इसके सुखद परिणाम भी सामने आ रहे हैं. विष्णुगढ़ में ही रानी नाम की एक पुलिसकर्मी की बहाली हुई है जो कस्तूरबा की छात्रा थी. अब वह वायरलेस में अपनी सेवा दे रही हैं. वहीं दो अन्य छात्राएं इंजीनियर बनी है, तो कई छात्राएं खेल के जगत में परचम लहरा लहरा रही हैं. ऐसे में वार्डन सह शिक्षिका नूतन सिन्हा भी बताती है कि विषम परिस्थिति मे हम लोग अपना शत प्रतिशत योगदान छात्राओं को दे रहे हैं. जिससे उनका भविष्य बन सके. 2004 में शुरू हुआ कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में आने वाले दिनों में शिक्षकों की संख्या बढ़ेगी और इसका लाभ यहां की छात्राओं को मिलेगा.