ETV Bharat / city

मां दोनों आंखों से तो पिता दोनों पैरों से है दिव्यांग, प्रसव के दौरान बच्चे का टूट गया हाथ

हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Hazaribagh Medical College Hospital) में डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगा है. मरीज के परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर की लापरवाही की वजह से प्रसव के दौरान नवजात बच्चे का हाथ टूट गया. बच्चे के माता-पिता दोनों ही दिव्यांग है ऐसे में अब उन्हें डर सता रहा है कि कहीं उसके बच्चे के साथ भी कुछ गलत ना हो जाए.

negligence in Hazaribagh Medical College Hospital
negligence in Hazaribagh Medical College Hospital
author img

By

Published : Aug 5, 2021, 4:01 PM IST

Updated : Aug 5, 2021, 4:21 PM IST

हजारीबाग: हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Hazaribagh Medical College Hospital) में डॉक्टर पर इलाज के दौरान लापरवाही का आरोप लगा है. दरअसल, गौरी कुमारी 35 वर्षीय दोनों आंखों से दिव्यांग (Handicapped) हैं. वहीं उनके पति अशोक राम भी दोनों पैरों से दिव्यांग हैं. गौरी कुमारी मां बनने वाली थी ऐसे में उनके परिजनों ने उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रसव के लिए भेजा. जहां प्रसव भी हुआ. लेकिन प्रसव के दौरान बच्चे का हाथ टूट गया. ऐसे में बच्चे के मां-पिता बेहद परेशान हैं. उन लोगों को डर है कि जिस तरह वे दिव्यांग हैं वैसे ही उनके बच्चे के साथ कुछ गलत ना हो जाए.

ये भी पढ़ें: हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नहीं बन रहा जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र, लोग हो रहे परेशान

कानूनी कार्रवाई की मांग

जानकारी के अनुसार, मां-पिता दिव्यांग होने के कारण नवजात की नानी उसकी देखभाल कर रही है. पीड़ित परिवार सदर प्रखंड के ही सरौनी खुर्द का रहने वाला है. पिता ने तो तंग आकर कानूनी कार्रवाई करने की तक की मांग प्रशासन से की है. वहीं, दूसरी ओर समाजसेवी गणेश कुमार ने घटना को लेकर चिंता जाहिर की है और कहा है कि दिव्यांग महिला के साथ अन्याय हुआ है. उनका कहना है कि बच्चे का जन्म ऑपरेशन से हुआ है और अगर उसका हाथ टूट गया है तो इसमें डॉक्टर की लापरवाही है. उन्होंने कहा कि ये दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 का उल्लंघन है. गणेश कुमार ने स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि बच्ची का उचित इलाज किया जाए.

देखें वीडियो

नहीं है गंभीर मामला
इस मामले को लेकर मेडिकल कॉलेज (Medical College ) के डीएस डॉ एके सिंह का कहना है कि बच्चे के इलाज में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जा रही है. शिशु रोग विशेषज्ञ (pediatrician) एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ (Orthopedic Surgeon) बच्चे के इलाज में लगे हुए हैं. यह गंभीर मामला नहीं है. प्रसव के दौरान कभी-कभी बच्चे को निकालने के दौरान ऐसी घटना होती है. इसमें किसी भी तरह का प्लास्टर का जरूरत नहीं होती है. 20 दिनों तक पट्टी बंधी रहने पर हड्डी सेट हो जाता है और भविष्य में भी कोई समस्या नहीं रहती है. डॉक्टर ने आश्वस्त किया है कि आने वाले दिनों में बच्चे को किसी भी तरह की समस्या नहीं होगी.

हजारीबाग: हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Hazaribagh Medical College Hospital) में डॉक्टर पर इलाज के दौरान लापरवाही का आरोप लगा है. दरअसल, गौरी कुमारी 35 वर्षीय दोनों आंखों से दिव्यांग (Handicapped) हैं. वहीं उनके पति अशोक राम भी दोनों पैरों से दिव्यांग हैं. गौरी कुमारी मां बनने वाली थी ऐसे में उनके परिजनों ने उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रसव के लिए भेजा. जहां प्रसव भी हुआ. लेकिन प्रसव के दौरान बच्चे का हाथ टूट गया. ऐसे में बच्चे के मां-पिता बेहद परेशान हैं. उन लोगों को डर है कि जिस तरह वे दिव्यांग हैं वैसे ही उनके बच्चे के साथ कुछ गलत ना हो जाए.

ये भी पढ़ें: हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नहीं बन रहा जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र, लोग हो रहे परेशान

कानूनी कार्रवाई की मांग

जानकारी के अनुसार, मां-पिता दिव्यांग होने के कारण नवजात की नानी उसकी देखभाल कर रही है. पीड़ित परिवार सदर प्रखंड के ही सरौनी खुर्द का रहने वाला है. पिता ने तो तंग आकर कानूनी कार्रवाई करने की तक की मांग प्रशासन से की है. वहीं, दूसरी ओर समाजसेवी गणेश कुमार ने घटना को लेकर चिंता जाहिर की है और कहा है कि दिव्यांग महिला के साथ अन्याय हुआ है. उनका कहना है कि बच्चे का जन्म ऑपरेशन से हुआ है और अगर उसका हाथ टूट गया है तो इसमें डॉक्टर की लापरवाही है. उन्होंने कहा कि ये दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 का उल्लंघन है. गणेश कुमार ने स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि बच्ची का उचित इलाज किया जाए.

देखें वीडियो

नहीं है गंभीर मामला
इस मामले को लेकर मेडिकल कॉलेज (Medical College ) के डीएस डॉ एके सिंह का कहना है कि बच्चे के इलाज में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जा रही है. शिशु रोग विशेषज्ञ (pediatrician) एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ (Orthopedic Surgeon) बच्चे के इलाज में लगे हुए हैं. यह गंभीर मामला नहीं है. प्रसव के दौरान कभी-कभी बच्चे को निकालने के दौरान ऐसी घटना होती है. इसमें किसी भी तरह का प्लास्टर का जरूरत नहीं होती है. 20 दिनों तक पट्टी बंधी रहने पर हड्डी सेट हो जाता है और भविष्य में भी कोई समस्या नहीं रहती है. डॉक्टर ने आश्वस्त किया है कि आने वाले दिनों में बच्चे को किसी भी तरह की समस्या नहीं होगी.

Last Updated : Aug 5, 2021, 4:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.