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हजारीबाग: रैयत विस्थापित मोर्चा का धरना-प्रदर्शन, सैकड़ों विस्थापितों ने रखी अपनी मांग

हजारीबाग के फुसरी गांव में आदिवासी ग्रामीण अपने अधिकार के लिए दर-दर भटक रहे हैं. सीसीएल के चरही कार्यालय में दूरदराज से आए पुरुष-महिलाओं ने अपने हक के लिए आवाज बुलंद की है और भूमि अधिग्रहण के मामले में आवाज उठाई.

आदिवासी महिलाओं ने की आवाज बुलंद
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Published : Sep 20, 2019, 10:52 AM IST

हजारीबाग: जिले के चरही स्थित फुसरी के ग्रामीण पिछले कई वर्षों से विस्थापन का दंश झेल रहे हैं. इन ग्रामीणों की जमीन सीसीएल ने अधिग्रहित कर लिया है. जिस पर कोयला निकालने का काम हो रहा है, लेकिन यहां से विस्थापित होने के बाद आज तक न उनका पुनर्वास किया गया और न ही समुचित मुआवजा दिया गया. लिहाजा ग्रामीणों ने आक्रोशित होकर सीसीएल के जीएम कार्यालय के समक्ष धरना दिया और धरना के माध्यम से अपनी मांगों को मजबूती से रखा. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण पहुंचे.

देखें पूरी खबर


इस मुद्दे पर सीसीएल के वरीय अधिकारी का कहना है कि जो उनकी उचित मांग है उसे पूरा किया जाएगा. सीसीएल में जमीन के बदले उचित मुआवजा और नौकरी देने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि अगर ग्रामीणों का फाइल आता है तो उन्हें मुआवजा दिया जाएगा और साथ ही साथ नौकरी भी दी जाएगी.

ये भी देखें- हजारीबाग: सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए करना होगा इंतजार, निगम बेपरवाह

वहीं दूसरी ओर विस्थापित प्रभावित मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष फागु बेसरा का कहना है कि पिछले कई सालों से हम अपनी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. बताया गया कि 1983 में जमीन का अधिग्रहण किया गया. जहां 1983 में 11 लोगों को,1987 में 24 लोगों को और 2014 में दो लोगों को नौकरी दी गयी है. अब तक मात्र 37 लोगों को इस तरह से नौकरी मिली है. मुआवजा के रूप में 8 से 10 रूपया प्रति डिसमिल भुगतान किया गया है. वहीं वह सरकार और सीसीएल से मांग करते हैं कि उचित मुआवजा दिया जाए नहीं तो एक इंच जमीन भी अधिग्रहित नहीं होने देंगे और न एक टुकड़ा कोयला क्षेत्र से बाहर जाने देंगे.


विस्थापितों का कहना है कि आज तक तक उनकी समस्या को लेकर सरकार सजग नहीं दिखी है और न ही कोई ऐसी पहल की गई है कि विस्थापितों को न्याय मिले. विस्थापितों ने कहा कि अपने हक के लिए वो आंदोलनरत रहेंगे.

हजारीबाग: जिले के चरही स्थित फुसरी के ग्रामीण पिछले कई वर्षों से विस्थापन का दंश झेल रहे हैं. इन ग्रामीणों की जमीन सीसीएल ने अधिग्रहित कर लिया है. जिस पर कोयला निकालने का काम हो रहा है, लेकिन यहां से विस्थापित होने के बाद आज तक न उनका पुनर्वास किया गया और न ही समुचित मुआवजा दिया गया. लिहाजा ग्रामीणों ने आक्रोशित होकर सीसीएल के जीएम कार्यालय के समक्ष धरना दिया और धरना के माध्यम से अपनी मांगों को मजबूती से रखा. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण पहुंचे.

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इस मुद्दे पर सीसीएल के वरीय अधिकारी का कहना है कि जो उनकी उचित मांग है उसे पूरा किया जाएगा. सीसीएल में जमीन के बदले उचित मुआवजा और नौकरी देने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि अगर ग्रामीणों का फाइल आता है तो उन्हें मुआवजा दिया जाएगा और साथ ही साथ नौकरी भी दी जाएगी.

ये भी देखें- हजारीबाग: सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए करना होगा इंतजार, निगम बेपरवाह

वहीं दूसरी ओर विस्थापित प्रभावित मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष फागु बेसरा का कहना है कि पिछले कई सालों से हम अपनी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. बताया गया कि 1983 में जमीन का अधिग्रहण किया गया. जहां 1983 में 11 लोगों को,1987 में 24 लोगों को और 2014 में दो लोगों को नौकरी दी गयी है. अब तक मात्र 37 लोगों को इस तरह से नौकरी मिली है. मुआवजा के रूप में 8 से 10 रूपया प्रति डिसमिल भुगतान किया गया है. वहीं वह सरकार और सीसीएल से मांग करते हैं कि उचित मुआवजा दिया जाए नहीं तो एक इंच जमीन भी अधिग्रहित नहीं होने देंगे और न एक टुकड़ा कोयला क्षेत्र से बाहर जाने देंगे.


विस्थापितों का कहना है कि आज तक तक उनकी समस्या को लेकर सरकार सजग नहीं दिखी है और न ही कोई ऐसी पहल की गई है कि विस्थापितों को न्याय मिले. विस्थापितों ने कहा कि अपने हक के लिए वो आंदोलनरत रहेंगे.

Intro:राज्य की स्थाई सरकार भले ही पिछले 5 वर्षों में हर क्षेत्र में विकास की लंबी लकीर खींचने का दावा कर रही है। लेकिन आज भी दूरदराज के आदिवासी ग्रामीण अपने अधिकार के लिए दर-दर भटक रहे हैं ।ऐसा ही कुछ नजारा हजारीबाग से दूर सीसीएल के चरही कार्यालय में देखने को मिला। जहां दूरदराज से आए पुरुष महिलाओं ने अपने हक के लिए आवाज बुलंद की। मामला भूमि अधिग्रहण से जुड़ा है


Body:हजारीबाग के चहरी स्थित फुसरी के ग्रामीण पिछले कई वर्षों से विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। इन ग्रामीणों के जमीन सीसीएल ने अधिग्रहित कर कोयला निकालने का काम कर रही है। लेकिन इनके विस्थापित होने के बाद आज तक ना उनका पुनर्वास की गई और ना ही समुचित मुआवजा दिया गया। लिहाजा ग्रामीण आक्रोशित होकर सीसीएल के जीएम कार्यालय के समक्ष धरना दिया और धरना के माध्यम से अपनी मांगों को मजबूती से रखा। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण पहुंचे।

हालांकि इस मुद्दे पर सीसीएल के वरीय अधिकारी का कहना है कि जो उनकी उचित मांग है उसे पूरा किया जाएगा। सीसीएल में जमीन के बदले उचित मुआवजा और नौकरी देने का प्रावधान है। फुसरी के ग्रामीणों का अगर फाइल आता है तो उन्हें मुआवजा दिया जाएगा और साथ ही साथ नौकरी भी।

लेकिन दूसरी ओर विस्थापित प्रभावित मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष फागु बेसरा का कहना है कि पिछले कई साल से हम अपनी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। 1983 में जमीन का अधिग्रहण किया गया। तो 1983 में 11 लोगों को ,1987 में 24 लोगों को और 2014 में 2 लोगों को नौकरी दिया गया। अब तक कुल मात्र 37 लोगों को इस तरह से नौकरी दिया गया । मुआवजा के रूप में 8 से ₹10 रूपया प्रति डिसमिल भुगतान किया गया। जो दुर्भाग्यपूर्ण है ।अब हम सरकार और सीसीएल से मांग करते हैं कि हमें उचित मुआवजा दिया जाए ।नहीं तो हम 1 इंच जमीन भी अधिग्रहित नही होने देंगे और ना एक टुकड़ा कोयला क्षेत्र से बाहर जाने देंगे।

byte.... फागु बेसरा अध्यक्ष विस्थापित प्रभावित मोर्चा
byte.... मन्नू टूडू विस्थापित...... पीला शर्ट पहने हुए
byte....एमपी सिंह सीसीएल पदाधिकारी..... कुर्सी में बैठ कर बाइट दे रहे हैं


Conclusion:अब यह देखने वाली बात होगी सीसीएल इस आंदोलन को किस रूप में लेती। और कब आदिवासी ग्रामीण महिलाओं पुरुषों को उनका हक मिलता है

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग
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