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हजारीबाग में डायन बिसाही का 406 मामला, प्रशासन कर रही लोगों को जागरूक - हजारीबाग में डायन बिसाही का मामला

हजारीबाग में डायन बिसाही के कई मामले देखने को मिलते हैं. इसे लेकर हजारीबाग जिला प्रशासन लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहा है.

administration is making people aware about witchcraft in hazaribag
डायन बिसाही
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Published : Feb 26, 2021, 4:13 PM IST

हजारीबाग: जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में डायन बिसाही के मामले में कई महिलाओं पर प्रताड़ना के मामले सामने आए हैं. हजारीबाग जिला प्रशासन डायन कुप्रथा को जड़ से मिटाने के लिए लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहा है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़े- हजारीबाग में गरीबों का दिखा राम मंदिर प्रेम, भीख मांगने वाले भी दिल खोलकर कर रहे दान

2015 से अक्टूबर 2020 तक अगर डायन बिसाही हत्या की बात की जाए तो झारखंड में 211 महिलाओं की हत्या कर दी गई. सबसे अधिक चाईबासा की घटना है. अगर झारखंड पुलिस की रिकॉर्ड में वर्ष 2015 से अक्टूबर 2020 तक देखा जाए तो 4,658 डायन अधिनियम से जुड़े मामले विभिन्न जिलों के थानों में दर्ज है. जिसमें हजारीबाग जिला में भी 406 मामले आए हैं. ऐसे में हजारीबाग जिला प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रयास कर रहा है.

लोगों को जागरूक करने का प्रयास

समाज कल्याण पदाधिकारी शिप्रा सिन्हा ने जानकारी दी कि लोग गांव में जाकर लोगों को यह बताने की कोशिश करते हैं कि ऐसी कोई प्रथा नहीं है. यह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं पर अत्याचार करने का तरीका है. अगर कोई व्यक्ति किसी पर डायन कह कर टिप्पणी भी करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का भी प्रावधान है. उनका यह भी कहना है कि लोगों के पास कई ऐसे मामले आए हैं. जिससे पता चलता है कि महिलाओं की संपत्ति हड़पने के लिए इस तरह का आरोप लगाया जाता है. जिसमें खासकर विधवा और निसंतान महिलाएं रहती हैं.

अधिनियम का किया जाता है दुरुपयोग

एसडीपीओ नवल किशोर ने कहा कि लोगों के पास इस तरह के कई मामले आते हैं और जब तहकीकात किया जाता है तो कुछ और बात सामने आती है. आलम यह है कि इस अधिनियम का दुरुपयोग भी किया जा रहा है. किसी पर भी आरोप लगा दिया जाता है. जब केस का जांच किया जाता है तो पता चलता है कि वह सारा आरोप गलत है. उनका यह भी कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के लालच में परिवार के लोग ही अपने सगे संबंधी महिलाओं के संपत्ति को हड़पने के लिए उसे डायन कह देते हैं और फिर उसकी हत्या कर दी जाती है. उनका कहना है हम लोग जब भी ग्रामीण क्षेत्र जाते हैं और कैंप लगाते हैं तो लोगों को जागरूक भी करते हैं कि ऐसा कोई भी प्रथा नहीं है. यह सिर्फ और सिर्फ अंधविश्वास है. ऐसे में गांव के चौकीदार और प्रबुद्ध लोगों से हम लोग मदद भी लेते है. ऐसे में जरूरत है आम जनता को जागरूक होने की तभी हमारे समाज से यह कुप्रथा समाप्त हो सकती है.

हजारीबाग: जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में डायन बिसाही के मामले में कई महिलाओं पर प्रताड़ना के मामले सामने आए हैं. हजारीबाग जिला प्रशासन डायन कुप्रथा को जड़ से मिटाने के लिए लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहा है.

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2015 से अक्टूबर 2020 तक अगर डायन बिसाही हत्या की बात की जाए तो झारखंड में 211 महिलाओं की हत्या कर दी गई. सबसे अधिक चाईबासा की घटना है. अगर झारखंड पुलिस की रिकॉर्ड में वर्ष 2015 से अक्टूबर 2020 तक देखा जाए तो 4,658 डायन अधिनियम से जुड़े मामले विभिन्न जिलों के थानों में दर्ज है. जिसमें हजारीबाग जिला में भी 406 मामले आए हैं. ऐसे में हजारीबाग जिला प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रयास कर रहा है.

लोगों को जागरूक करने का प्रयास

समाज कल्याण पदाधिकारी शिप्रा सिन्हा ने जानकारी दी कि लोग गांव में जाकर लोगों को यह बताने की कोशिश करते हैं कि ऐसी कोई प्रथा नहीं है. यह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं पर अत्याचार करने का तरीका है. अगर कोई व्यक्ति किसी पर डायन कह कर टिप्पणी भी करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का भी प्रावधान है. उनका यह भी कहना है कि लोगों के पास कई ऐसे मामले आए हैं. जिससे पता चलता है कि महिलाओं की संपत्ति हड़पने के लिए इस तरह का आरोप लगाया जाता है. जिसमें खासकर विधवा और निसंतान महिलाएं रहती हैं.

अधिनियम का किया जाता है दुरुपयोग

एसडीपीओ नवल किशोर ने कहा कि लोगों के पास इस तरह के कई मामले आते हैं और जब तहकीकात किया जाता है तो कुछ और बात सामने आती है. आलम यह है कि इस अधिनियम का दुरुपयोग भी किया जा रहा है. किसी पर भी आरोप लगा दिया जाता है. जब केस का जांच किया जाता है तो पता चलता है कि वह सारा आरोप गलत है. उनका यह भी कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के लालच में परिवार के लोग ही अपने सगे संबंधी महिलाओं के संपत्ति को हड़पने के लिए उसे डायन कह देते हैं और फिर उसकी हत्या कर दी जाती है. उनका कहना है हम लोग जब भी ग्रामीण क्षेत्र जाते हैं और कैंप लगाते हैं तो लोगों को जागरूक भी करते हैं कि ऐसा कोई भी प्रथा नहीं है. यह सिर्फ और सिर्फ अंधविश्वास है. ऐसे में गांव के चौकीदार और प्रबुद्ध लोगों से हम लोग मदद भी लेते है. ऐसे में जरूरत है आम जनता को जागरूक होने की तभी हमारे समाज से यह कुप्रथा समाप्त हो सकती है.

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