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अब भागेगा कोरोना! ग्रामीणों ने कोरोना को भगाने का निकाला अचूक उपाय, इससे बगीचे भी होगें हरे-भरे - कोरोना से बचाव के उपाय

बगोदर प्रखंड के आदिवासी बहुल अड़वारा पंचायत के ग्रामीणों ने कोरोना और कुपोषण से बचाव के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल का किया जा रहा है. यहां के 60 परिवार हैंडवॉश का नए तरीके से इस्तेमाल कर रहे है. इसके साथ ही ये परिवार कुपोषण से बचाव के लिए पोषण बगीचा और खाद गड्ढा का भी प्रयोग कर रहे हैं.

corona and malnutrition in giridh
कुपोषण से बचाव
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Published : Mar 19, 2020, 2:13 PM IST

बगोदर, गिरिडीहः बगोदर प्रखंड के आदिवासी बहुल अड़वारा पंचायत के ग्रामीण कोरोना और कुपोषण से बचाव के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है. दरअसल कोरोना सहित अन्य बीमारियों से बचाव के लिए पंचायत के 60 परिवारों में फिलहाल हैंडवास और कुपोषण से बचाव के लिए इतने ही परिवारों में पोषण बगीचा और खाद गड्ढा बनाया गया है. कम लागत से और नई तकनीक से घरों में लगाए गए हैंडवॉश सेट का इस्तेमाल खाना खाने के पहले परिवार के सभी सदस्यों कर कर रहे है.

देखें पूरी खबर
ऐसा बनाया गया है हैंडवॉश
आंगन के सुरक्षित जगह पर जहां से पानी का समुचित निकासी हो वहां 5 लीटर के गैलन में पानी भर कर रखा जाता है और बगल में ही साबुन को लटका कर रखा जाता है और गैलन से कुछ इस कदर पतली रस्सी निकाल कर एक लकड़ी के सहारे नीचे रखा होता है कि लकड़ी को जैसे हीं दबाया जाता है गैलन झुक जाता है और फिर गैलन में बने छोटे से होल से पानी गिरता है इसके साथ ही साबुन से हाथ धोया जाता है.

ये भी पढ़ें- माओवादियों ने रोहित उर्फ अभिषेक को सौंपी 'बूढ़ा पहाड़' की कमान, दिवंगत माओवादी अरविंद का करीबी रहा है रोहित

पोषण बगीचा और खाद गड्ढा

दूसरी और कुपोषण से बचाव के लिए ग्रामीणों ने पोषण बगीचा और खाद गड्ढा को अपना रहे है. ग्रामीणों ने अपने खेतों में जैविक विधि से खेती कर रहे. जिस खेत में इस तरह की खेती की जा रही है उसे पोषण बगीचा नाम दिया गया है. यहां उपजाए जाने वाले फसलों में जैविक खाद और कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है. ग्रामीणों ने जैविक खाद और कीटनाशक भी खुद से तैयार किया है. ग्रामीणों के अनुसार गोबर को गड्ढे में डालकर उसे मिट्टी से लिप दिया जाता है. इसके बाद 2 महीने में इससे खाद तैयार हो जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह से तैयार खाद और कीटनाशक बाजारों में बिकने वाले रासायनिक खादों की अपेक्षा फसलों के लिए अधिक फायदेमंद होता है और अधिक उत्पादन भी होता है.

बनवासी विकास आश्रम और सीडब्ल्यूएस ने की पहल

अड़वारा पंचायत में कोरोन और कुपोषण से बचाव के लिए ग्रामीणों की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली नई तकनीक का ईजाद वनवासी विकास आश्रम और सीडब्ल्यूएस ने किया है. बनवासी विकास आश्रम के सचिव सुरेश शक्ति बताते हैं कि कोरोना और कुपोषण सहित अन्य बीमारियों से बचाव के लिए ग्रामीणों ने पंचायत के 60 परिवारों को इस तकनीक से जोड़ा गया है. बताया कि बीमारियों से बचाव के लिए हैंड वॉश का इस्तेमाल करने की आदत ग्रामीणों में डाली जा रही है. साथ ही कुपोषण से बचाव के लिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.

बगोदर, गिरिडीहः बगोदर प्रखंड के आदिवासी बहुल अड़वारा पंचायत के ग्रामीण कोरोना और कुपोषण से बचाव के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है. दरअसल कोरोना सहित अन्य बीमारियों से बचाव के लिए पंचायत के 60 परिवारों में फिलहाल हैंडवास और कुपोषण से बचाव के लिए इतने ही परिवारों में पोषण बगीचा और खाद गड्ढा बनाया गया है. कम लागत से और नई तकनीक से घरों में लगाए गए हैंडवॉश सेट का इस्तेमाल खाना खाने के पहले परिवार के सभी सदस्यों कर कर रहे है.

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ऐसा बनाया गया है हैंडवॉश
आंगन के सुरक्षित जगह पर जहां से पानी का समुचित निकासी हो वहां 5 लीटर के गैलन में पानी भर कर रखा जाता है और बगल में ही साबुन को लटका कर रखा जाता है और गैलन से कुछ इस कदर पतली रस्सी निकाल कर एक लकड़ी के सहारे नीचे रखा होता है कि लकड़ी को जैसे हीं दबाया जाता है गैलन झुक जाता है और फिर गैलन में बने छोटे से होल से पानी गिरता है इसके साथ ही साबुन से हाथ धोया जाता है.

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पोषण बगीचा और खाद गड्ढा

दूसरी और कुपोषण से बचाव के लिए ग्रामीणों ने पोषण बगीचा और खाद गड्ढा को अपना रहे है. ग्रामीणों ने अपने खेतों में जैविक विधि से खेती कर रहे. जिस खेत में इस तरह की खेती की जा रही है उसे पोषण बगीचा नाम दिया गया है. यहां उपजाए जाने वाले फसलों में जैविक खाद और कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है. ग्रामीणों ने जैविक खाद और कीटनाशक भी खुद से तैयार किया है. ग्रामीणों के अनुसार गोबर को गड्ढे में डालकर उसे मिट्टी से लिप दिया जाता है. इसके बाद 2 महीने में इससे खाद तैयार हो जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह से तैयार खाद और कीटनाशक बाजारों में बिकने वाले रासायनिक खादों की अपेक्षा फसलों के लिए अधिक फायदेमंद होता है और अधिक उत्पादन भी होता है.

बनवासी विकास आश्रम और सीडब्ल्यूएस ने की पहल

अड़वारा पंचायत में कोरोन और कुपोषण से बचाव के लिए ग्रामीणों की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली नई तकनीक का ईजाद वनवासी विकास आश्रम और सीडब्ल्यूएस ने किया है. बनवासी विकास आश्रम के सचिव सुरेश शक्ति बताते हैं कि कोरोना और कुपोषण सहित अन्य बीमारियों से बचाव के लिए ग्रामीणों ने पंचायत के 60 परिवारों को इस तकनीक से जोड़ा गया है. बताया कि बीमारियों से बचाव के लिए हैंड वॉश का इस्तेमाल करने की आदत ग्रामीणों में डाली जा रही है. साथ ही कुपोषण से बचाव के लिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.

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