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लॉकडाउन में टीचर से बने किसान, आधुनिक तरीके से खेती कर पेश की मिसाल

गिरिडीह के बगोदर प्रखंड के अटका के एक प्राइवेट स्कूल के संचालक पिता-पुत्र ने लॉकडाउन में मिशाल पेश की है. लॉकडाउन में स्कूल बंद रहने पर दोनों ने अपने तीन एकड़ जमीन में आधुनिक तरीके से गन्ने और मकई की फसलें लगाई गई है. जो आज खेत में लहलहाता नजर आ रहा.

teacher set an example in modern farming
लॉकडाउन में टीचर से बने किसान
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Published : Jun 16, 2020, 6:05 PM IST

बगोदर, गिरिडीह: बगोदर प्रखंड के अटका अंतर्गत जमुनानगर के एक प्राइवेट स्कूल के संचालक पिता-पुत्र ने लॉकडाउन के दौरान मिसाल पेश की है. लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद होने पर पिता कृष्ण लाल मेहता और पुत्र अलौकिक सागर ने खेती-बाड़ी करने का निर्णय लिया और आज दोनों के प्रयास से 3 एकड़ भू-भाग में गन्ने और मकई की खेती लहलहा रही है. पिता पुत्र के द्वारा आधुनिक तरीके से और यूपी के ट्रेंच सिस्टम को अपना कर दो एकड़ भू-भाग में गन्ने की खेती और 1 एकड़ भू-भाग में मकई की फसल लगाई गई है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढे़ं- अंधविश्वास की बलि चढ़ा मासूम, सांप के काटने के बाद झाड़-फूंक कराते रहे परिजन

बता दें कि कोरोना वायरस ने न सिर्फ लोगों का रहन- सहन बल्कि काम-धंधे भी बदल दिया है. महामारी पर नियंत्रण के लिए देशभर में जब लॉकडाउन लगाया गया, तब विभिन्न प्रकार के काम धंधे को चलाने के लिए कुछ लोगों ने अपने कार्यों को भी बदल लिया है. ऐसे ही लोगों में प्राइवेट स्कूल के संचालक पिता और पुत्र शामिल हैं. पिता पुत्र के द्वारा आधुनिक तरीके से कृषि कार्य किया जा रहा है. इन्होंने जमीन की जुताई पावर टिलर मशीन की, उन्होंने बताया कि यह मशीन हाथ से चलाई जाती है और 1 लीटर पेट्रोल में लगभग डेढ़ से 2 घंटे तक जमीन की जुताई कर सकते हैं. इन्होंने बताया कि 2 एकड़ में गन्ना एवं 1एकड़ में मकई लगाई गई हैं. उनका कहना है कि स्कूल का संचालन शुरू किए तब से वे अपने खेतों को बटाइदार को दे दी थे. बटाइदार के द्वारा खेती बाड़ी करने के बाद उन्हें उपज की आधी फसलें मिलती थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद दोनों ने खेती करने का निर्णय लिया और फसल लगाई और अब इनकी मेहनत रंग ला रही है.

बगोदर, गिरिडीह: बगोदर प्रखंड के अटका अंतर्गत जमुनानगर के एक प्राइवेट स्कूल के संचालक पिता-पुत्र ने लॉकडाउन के दौरान मिसाल पेश की है. लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद होने पर पिता कृष्ण लाल मेहता और पुत्र अलौकिक सागर ने खेती-बाड़ी करने का निर्णय लिया और आज दोनों के प्रयास से 3 एकड़ भू-भाग में गन्ने और मकई की खेती लहलहा रही है. पिता पुत्र के द्वारा आधुनिक तरीके से और यूपी के ट्रेंच सिस्टम को अपना कर दो एकड़ भू-भाग में गन्ने की खेती और 1 एकड़ भू-भाग में मकई की फसल लगाई गई है.

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