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Illegal Mining: सफेद पत्थर का काला कारोबार, एक खदान से चल रही 22 फैक्ट्रियां

अभी तक अपने सुना होगा कोयला और लोहे का काला कारोबार होता है. लेकिन गिरिडीह में सफेद पत्थर का काला कारोबार (Illegal Mining of Quartz) चल रहा है. ईटीवी भारत यह रिपोर्ट बताएगी कि यह सादा खनिज का यह काला खेल किस तरह चल रहा है.

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सफेद पत्थर का काला कारोबार
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Published : Jul 20, 2021, 10:49 PM IST

गिरिडीहः कुदरत ने झारखंड को बहुत सारी नेमतें दी हैं, यहां खनिज संपदा भरा पड़ा है. गिरिडीह जिला भी खनिजों से भरा है. यहां कोयला, अभ्रख के साथ साथ कीमती पत्थर भी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है. इन्हीं कीमती पत्थरों में से एक है सफेद पत्थर यानी क्वार्टज (Quartz). यह पत्थर काफी कीमती है और देश विदेश में इसकी काफी डिमांड है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में बालू माफिया से लाचार बनी सरकार, चौतरफा हो रही 'पीले सोने' की लूट

गिरिडीह में इसी सफेद पत्थर का काला कारोबार चल रहा है. इस पत्थर का अवैध उत्खनन (Illegal Mining) ज्यादातर वन भूमि से किया जा रहा है. दिन-दहाड़े पत्थरों को तोड़ा जा रहा है, जिसे ट्रैक्टर या हाइवा पर लादकर कुछेक फैक्ट्रियों में सप्लाई किया जा रहा है. सफेद पत्थर का अवैध खनन का काम सदर प्रखंड के उदनाबाद और उससे सटे इलाकों के अलावा देवरी, बेंगाबाद, जमुआ, पीरटांड़, गावां, डुमरी, देवरी, तिसरी प्रखंड से हो रहा है.

देखें पूरी खबर
फैक्ट्रियों से 60 किमी दूर खदानगिरिडीह में एक ही खदान है. इसके बावजूद सफेद पत्थर धड़ल्ले से वाहनों से लोड होकर गुजरते देखा जा सकता है. डीएमओ सतीश नायक (DMO Satish Nayak) भी बताते हैं कि जिला में एक ही खदान है, जो जमुआ विधानसभा क्षेत्र में अवस्थित है. डीएमओ यह भी बताते हैं कि जिला में सफेद पत्थर का पावडर बनाने वाली 20-22 फैक्ट्रियां संचालित हैं. अब यहां सवाल यह उठता है कि जब लीगल खदान (Legal Mine) एक है तो वह इतनी फैक्ट्रियों तक पत्थर की आपूर्ति कैसे करता है वह भी ट्रैक्टरों से. खदान में रोजाना कितना प्रोडक्शन हो रहा है और जंगलों में खोद कर रखे गए पत्थरों को ट्रैक्टर पर लादकर कहां भेजा जाता है. वन विभाग ने बनाया क्यूआरटीडीएफओ प्रवेश अग्रवाल (DFO Pravesh Agarwal) कहते हैं कि उन्हें भी यह सूचना मिल रही है कि जंगल क्षेत्र से लगातार सफेद पत्थर का अवैध खनन किया जा रहा है. इस मामले में कार्रवाई भी हो रही है. अब विभाग के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देने के साथ-साथ क्विक रिस्पॉन्स टीम (Quick Response Team) का गठन किया गया है. यह टीम सफेद पत्थर के अवैध कारोबार पर रोक लगाएगा.

इसे भी पढ़ें- जामताड़ा: सफेद पत्थर का हो रहा काला कारोबार, जिला खनन विभाग बेखबर


700-900 रुपया में बिकता है पत्थर
जंगलों में खोद कर रखे गए पत्थर के बदले प्रति ट्रैक्टर मजदूरों को मात्र 700 से 900 रुपया मिलता है. बाकी पैसा रंगबाज कमा रहे हैं, जिनकी सेटिंग उन फैक्ट्रियों के मालिकों से हैं, जो इस अवैध पत्थर की खरीदारी कर करोड़ों कमा रहे हैं. पत्थर के इस काले कारोबार में कई माफिया शामिल हैं. इन माफियाओं पर लगाम लगाने की दरकार है ताकि सरकार को राजस्व का नुकसान ना हो और साथ ही साथ पर्यावरण भी सुरक्षित रहे.

गिरिडीहः कुदरत ने झारखंड को बहुत सारी नेमतें दी हैं, यहां खनिज संपदा भरा पड़ा है. गिरिडीह जिला भी खनिजों से भरा है. यहां कोयला, अभ्रख के साथ साथ कीमती पत्थर भी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है. इन्हीं कीमती पत्थरों में से एक है सफेद पत्थर यानी क्वार्टज (Quartz). यह पत्थर काफी कीमती है और देश विदेश में इसकी काफी डिमांड है.

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गिरिडीह में इसी सफेद पत्थर का काला कारोबार चल रहा है. इस पत्थर का अवैध उत्खनन (Illegal Mining) ज्यादातर वन भूमि से किया जा रहा है. दिन-दहाड़े पत्थरों को तोड़ा जा रहा है, जिसे ट्रैक्टर या हाइवा पर लादकर कुछेक फैक्ट्रियों में सप्लाई किया जा रहा है. सफेद पत्थर का अवैध खनन का काम सदर प्रखंड के उदनाबाद और उससे सटे इलाकों के अलावा देवरी, बेंगाबाद, जमुआ, पीरटांड़, गावां, डुमरी, देवरी, तिसरी प्रखंड से हो रहा है.

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फैक्ट्रियों से 60 किमी दूर खदानगिरिडीह में एक ही खदान है. इसके बावजूद सफेद पत्थर धड़ल्ले से वाहनों से लोड होकर गुजरते देखा जा सकता है. डीएमओ सतीश नायक (DMO Satish Nayak) भी बताते हैं कि जिला में एक ही खदान है, जो जमुआ विधानसभा क्षेत्र में अवस्थित है. डीएमओ यह भी बताते हैं कि जिला में सफेद पत्थर का पावडर बनाने वाली 20-22 फैक्ट्रियां संचालित हैं. अब यहां सवाल यह उठता है कि जब लीगल खदान (Legal Mine) एक है तो वह इतनी फैक्ट्रियों तक पत्थर की आपूर्ति कैसे करता है वह भी ट्रैक्टरों से. खदान में रोजाना कितना प्रोडक्शन हो रहा है और जंगलों में खोद कर रखे गए पत्थरों को ट्रैक्टर पर लादकर कहां भेजा जाता है. वन विभाग ने बनाया क्यूआरटीडीएफओ प्रवेश अग्रवाल (DFO Pravesh Agarwal) कहते हैं कि उन्हें भी यह सूचना मिल रही है कि जंगल क्षेत्र से लगातार सफेद पत्थर का अवैध खनन किया जा रहा है. इस मामले में कार्रवाई भी हो रही है. अब विभाग के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देने के साथ-साथ क्विक रिस्पॉन्स टीम (Quick Response Team) का गठन किया गया है. यह टीम सफेद पत्थर के अवैध कारोबार पर रोक लगाएगा.

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700-900 रुपया में बिकता है पत्थर
जंगलों में खोद कर रखे गए पत्थर के बदले प्रति ट्रैक्टर मजदूरों को मात्र 700 से 900 रुपया मिलता है. बाकी पैसा रंगबाज कमा रहे हैं, जिनकी सेटिंग उन फैक्ट्रियों के मालिकों से हैं, जो इस अवैध पत्थर की खरीदारी कर करोड़ों कमा रहे हैं. पत्थर के इस काले कारोबार में कई माफिया शामिल हैं. इन माफियाओं पर लगाम लगाने की दरकार है ताकि सरकार को राजस्व का नुकसान ना हो और साथ ही साथ पर्यावरण भी सुरक्षित रहे.

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