गिरिडीह: सहजन, मुनगा या मोरिंगा, ड्रमस्टिक के नामों से जाने वाली यह सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है. यह एक चमत्कारी पौधा है. आम तौर पर इसके फलियों का उपयोग सब्जी के रूप में होता है. लेकिन इसके पत्ते भी सेहत के लिए फायदेमंद हैं. इन दिनों सहजन के पत्ते की चाय की डिमांड बढ़ी है, जिसे मोरिंगा टी कहते हैं. मोरिंगा टी में औषधीय गुण पाए जाते हैं. इस पौधा के पत्तों से गिरिडीह में ग्रीन टी बनाने की कोशिश शुरू कर दी गयी है.
चार प्रखंड में हो रही है खेती
सहजन की खेती बेहद आसान है. इसे ना तो ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है और ना ही ज्यादा पानी की. इसमें उग्रवाद प्रभावित चार प्रखंड की महिलाएं जुटी है और झारखंड स्टेट लाइवलीहुड सोसायटी के सहयोग से देवरी में प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जा रहा है. फिलहाल देवरी, पीरटांड़, तिसरी और गांडेय की करीब 240 महिलाएं प्रोजेक्ट जोहार के तहत सहजन की खेती कर रही हैं. खेती का सारा काम महिलाएं हीं कर रही है. इस खेती से महिलाओं को अच्छा पैसा भी मिल रहा है. महिलाएं सहजन के पौधे के पत्तों को तोड़कर बकरी का चारा भी बना रही हैं. वहीं हरे पत्तों को सुखाकर 60 से 100 रुपये प्रति किलो बेच भी रही है. इस कार्य से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि इस परियोजना से जुड़कर उन्हें काफी लाभ हो रहा है. काम मिला है जिससे आर्थिक सहायता भी मिल रही है.
ये भी पढ़े- कोल इंडिया के अध्यक्ष का सीसीएल दौरा, कार्य निष्पादन को लेकर की समीक्षा बैठक
उत्पादन से लेकर बाजार तक की योजना तैयार
जेएसएलपीएस के अमन राज बताते हैं कि जरूरतमंद महिलाओं का समूह बनकर विभिन्न प्रकार की खेती की जा रही है. समूह बनाने के बाद जब जोहार परियोजना आया तो उत्पादक समूह बनाया गया. उन्होंने बताया कि अभी सहजन की खेती की जा रही है. इसी कड़ी में जेएसएलपीएस के डीपीएम संजय कुमार और टीम ने जिले के डीसी राहुल कुमार सिन्हा के सामने ग्रीन टी और सहजन पाउडर का प्रपोजल रखा गया है. डीसी ने प्रपोजल को स्वीकृति दी है. जिसके बाद देवरी में प्रोसेसिंग प्लांट बनाया जा रहा है. बताया कि 5-6 माह में उत्पादन भी शुरू हो जाएगा.