गिरिडीह: दिव्यांगता शब्द सुनते ही लोगों के जेहन में जो तस्वीर बनती है वह है बेबस, लाचार और बेसहारा की. मगर लोगों के जेहन में दिव्यांगता को लेकर बनने वाली तस्वीर को बगोदर और सरिया इलाके के दिव्यांगों ने अपने कार्यों से झूठा साबित कर दिया है. यहां के दिव्यांगों ने अपने बुलंद हौसले के आगे दिव्यांगता को मात देते हुए समाज में मिसाल पेश किया है. समाज में मिसाल पेश करने वाले दिव्यांगों में संतोष कुमार, महेश कुमार, नारायण कुमार पंडित, शबीर आदि शामिल हैं.
दोनों पैर से दिव्यांग महेश जला रहे शिक्षा का अलख
मन में अगर कुछ कर दिखाने का इरादा हो तो शारीरिक बनावट इसमें बाधा नहीं बनती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है दिव्यांग शिक्षक महेश कुमार महतो ने, बगोदर प्रखंड के घाघरा के रहने वाले दिव्यांग शिक्षक महेश दोनों पैर से लाचार हैं. वे आम आदमी की तरह चल नहीं पाते, बावजूद इसके उन्होंने ऊंची स्तर तक की पढ़ाई-लिखाई पूरी कर बतौर पारा शिक्षक कई सालों से शिक्षा का अलख जगा रहे हैं.
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महेश बताते हैं कि उन्होंने शिक्षा जगत में 2007 में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. उस समय वे इंटर की पढ़ाई कर रहे थे. गांव का माहौल देखते हुए उन्होंने गांव के बच्चों को शिक्षित करने का निर्णय लिया. आज नतीजा है कि कल तक शिक्षा से महरूम रहने वाले समाज और बच्चे आज शिक्षा के महत्व को समझने लगे हैं. उन्होंने बताया कि 2007 में उन्होंने गांव में एक पेड़ के नीचे 3 सालों तक बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने का काम किया था. इस बीच उनका चयन पारा शिक्षक के रूप में हुआ और वे आज घाघरा अंतर्गत भुइया टोली प्राथमिक विद्यालय के प्रधान शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं.
मदद लेकर दूसरों का करते हैं सहयोग
दिव्यांग संतोष की अनोखी कहानी है. वे दूसरों से मदद लेकर दिव्यांग वर्ग के लोगों का सहयोग करते हैं. दिव्यांग संतोष स्कूल, कॉलेज जाकर और फेसबुक के मित्रों से सहयोग की अपील करते हैं और लोगों की ओर से उन्हें सहयोग भी किया जाता है. सहयोग की राशि से वे इस वर्ग के बच्चों के बीच दुर्गा पूजा में कपड़े का वितरण करते हैं. साथ हीं ठंड के दिनों में इस वर्ग के बच्चों के बीच गर्म कपड़े के अलावा समय-समय पर पाठ्य सामग्री का भी वितरण करते हैं.
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दिव्यांग संतोष बगोदर के खटैया गांव के रहने वाले हैं. दिव्यांग संतोष की इस पहल की लोग तारीफ करते हैं. लोगों का कहना है कि एक साधारण व्यक्ति की ओर से जो नहीं किया जाता है वह दिव्यांग संतोष ने कर दिखाया है. संतोष कुमार शारीरिक रूप से दिव्यांग तो हैं ही साथ ही सही रूप से वे बोल भी नहीं पाते.
दिव्यांग नारायण ने जन सहयोग से बनाया मंदिर
दिव्यांग नारायण प्रसाद वर्मा की भी अनोखी कहानी है. उन्होंने जन सहयोग से हनुमान जी का एक मंदिर बनाने का काम किया है. नारायण प्रसाद वर्मा सरिया प्रखंड के कोयरीडीह पंचायत के सिंहडीह गांव के रहने वाले हैं. वे कहते हैं कि मैं तन से दिव्यांग हूं मन से नहीं. नारायण बताते हैं कि सहयोग राशि इकट्ठा कर दो लाख रुपए खर्च कर मंदिर का निर्माण कराया गया है. उन्होंने घर-परिवार की परवरिश के लिए काम की इच्छा जतायी है.
दिव्यांग शबीर बच्चों को दे रहे तालिम
दिव्यांग शबीर डीएलएड की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं. वे पिछले 9 सालों से बच्चों को तालिम दे रहे हैं. वे प्राइवेट स्कूल में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं. वे बगोदर प्रखंड के कुसमरजा गांव के रहने वाले हैं. शबीर बताते हैं कि वे बीएड में दाखिला ले चुके हैं और आगे की पढ़ाई भी जारी है.