गिरिडीह: जिले के धनवार प्रखंड में राजघाट पर छठ का व्रत करने दूर-दूर से लोग आते हैं. इस घाट को लेकर कहा जाता है कि यहां पर मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. लोकआस्था के महापर्व छठ में यहां भव्य सजावट होती है. इस बार भी यहां भव्य सजावट किया गया है. कहीं, सतयुग का सफर है तो कहीं त्रेता के नजारे, कहीं द्वापर के जीवंत से दृश्य और कहीं आधुनिक युग की सुंदर-सुखद कल्पना. इन दृश्यों से आनंदित होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. तीन दिनों तक यहां मेला लगता है.
मेले की सजावट को देखने पहुंचते हैं श्रद्धालु
धनवार बाजार समेत छह किलोमीटर की परिधि को सजाया जाता है. ऐसे में बिहार, बंगाल और झारखंड प्रदेश के कोने-कोने से भी हजारों श्रद्धालु यहां पूजा के साथ-साथ इस मेले की सजावट को देखने पहुंचते हैं. इस बार भी यहां भव्य सजावट की गई है. वहीं, आयोजक समिति के अनूप संथालिया बताते हैं की तैयारी पूरी है और किसी प्रकार की परेशानी लोगों को नहीं होगी.
सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम
मेला में उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किए हैं. एसपी सुरेन्द्र कुमार झा स्वंय मॉनिटरिंग कर रहे हैं. सुरक्षा के देखते हुए शुक्रवार को गिरिडीह एसपी सुरेंद्र झा ने खोरीमहुआ एसडीओ धीरेन्द्र कुमार, एसडीपीओ नवीन कुमार सिंह, सीओ शशिकांत सिंकर और धनवार थाना प्रभारी रूपेश कुमार सिंह के साथ राजघाट मेला परिसर का निरीक्षण किया और इसे लेकर पदाधिकारियों को कई जरूरी निर्देश दिए गए. उन्होंने घाट की सजावट का भी बारीकी से अवलोकन किया और समिति सदस्यों से भी मिले इस दौरान उन्होंने सुंदर सज्जा की प्रशंसा की और बधाई भी दी. उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया कि सुरक्षा मामले में प्रशासनिक स्तर पर कोई कमी नहीं होगी.
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क्या है कथा
कहा जाता है कि जब धनवार राजा के पीछे पड़े मुगल कारिंदे परेशान कर रहे थे, तब बिहार के सिउर से यहां आकर बसे राजपरिवार ने अपने महल किनारे इस राजा नदी पर पहली बार छठ करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया था और उनकी सारी विपत्तियां टल गई, मुरादें भी पूरी हुई. धीरे-धीरे यह घाट सार्वजनिक होता गया और यहां सूर्य उपासना का लाभ सबों को मिलने लगा.