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गिरिडीह: यहां छठ व्रतियों का लगता है तांता, घाट की खूबसूरत सजावट देख मोहित हो जाते हैं लोग

गिरिडीह के राजघाट में छठ पर्व को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है. राजघाट में तीन दिनों तक मेला का आयोजन किया जाता है. वहीं, हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा के साथ-साथ इस मेले की सजावट को देखने आते है. कहा जाता है कि यहां मांगी हर मन्नत पूरी होती है.

राजघाट में छठ पर्व को लेकर तैयारी
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Published : Nov 2, 2019, 11:14 AM IST

गिरिडीह: जिले के धनवार प्रखंड में राजघाट पर छठ का व्रत करने दूर-दूर से लोग आते हैं. इस घाट को लेकर कहा जाता है कि यहां पर मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. लोकआस्था के महापर्व छठ में यहां भव्य सजावट होती है. इस बार भी यहां भव्य सजावट किया गया है. कहीं, सतयुग का सफर है तो कहीं त्रेता के नजारे, कहीं द्वापर के जीवंत से दृश्य और कहीं आधुनिक युग की सुंदर-सुखद कल्पना. इन दृश्यों से आनंदित होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. तीन दिनों तक यहां मेला लगता है.

देखें पूरी खबर


मेले की सजावट को देखने पहुंचते हैं श्रद्धालु
धनवार बाजार समेत छह किलोमीटर की परिधि को सजाया जाता है. ऐसे में बिहार, बंगाल और झारखंड प्रदेश के कोने-कोने से भी हजारों श्रद्धालु यहां पूजा के साथ-साथ इस मेले की सजावट को देखने पहुंचते हैं. इस बार भी यहां भव्य सजावट की गई है. वहीं, आयोजक समिति के अनूप संथालिया बताते हैं की तैयारी पूरी है और किसी प्रकार की परेशानी लोगों को नहीं होगी.


सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम
मेला में उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किए हैं. एसपी सुरेन्द्र कुमार झा स्वंय मॉनिटरिंग कर रहे हैं. सुरक्षा के देखते हुए शुक्रवार को गिरिडीह एसपी सुरेंद्र झा ने खोरीमहुआ एसडीओ धीरेन्द्र कुमार, एसडीपीओ नवीन कुमार सिंह, सीओ शशिकांत सिंकर और धनवार थाना प्रभारी रूपेश कुमार सिंह के साथ राजघाट मेला परिसर का निरीक्षण किया और इसे लेकर पदाधिकारियों को कई जरूरी निर्देश दिए गए. उन्होंने घाट की सजावट का भी बारीकी से अवलोकन किया और समिति सदस्यों से भी मिले इस दौरान उन्होंने सुंदर सज्जा की प्रशंसा की और बधाई भी दी. उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया कि सुरक्षा मामले में प्रशासनिक स्तर पर कोई कमी नहीं होगी.

ये भी देखें- मुजफ्फरपुर: सात समंदर पार से महापर्व छठ पूजा मनाने पहुंची जर्मन बहू, बताया अनूठा अनुभव


क्या है कथा
कहा जाता है कि जब धनवार राजा के पीछे पड़े मुगल कारिंदे परेशान कर रहे थे, तब बिहार के सिउर से यहां आकर बसे राजपरिवार ने अपने महल किनारे इस राजा नदी पर पहली बार छठ करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया था और उनकी सारी विपत्तियां टल गई, मुरादें भी पूरी हुई. धीरे-धीरे यह घाट सार्वजनिक होता गया और यहां सूर्य उपासना का लाभ सबों को मिलने लगा.

गिरिडीह: जिले के धनवार प्रखंड में राजघाट पर छठ का व्रत करने दूर-दूर से लोग आते हैं. इस घाट को लेकर कहा जाता है कि यहां पर मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. लोकआस्था के महापर्व छठ में यहां भव्य सजावट होती है. इस बार भी यहां भव्य सजावट किया गया है. कहीं, सतयुग का सफर है तो कहीं त्रेता के नजारे, कहीं द्वापर के जीवंत से दृश्य और कहीं आधुनिक युग की सुंदर-सुखद कल्पना. इन दृश्यों से आनंदित होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. तीन दिनों तक यहां मेला लगता है.

देखें पूरी खबर


मेले की सजावट को देखने पहुंचते हैं श्रद्धालु
धनवार बाजार समेत छह किलोमीटर की परिधि को सजाया जाता है. ऐसे में बिहार, बंगाल और झारखंड प्रदेश के कोने-कोने से भी हजारों श्रद्धालु यहां पूजा के साथ-साथ इस मेले की सजावट को देखने पहुंचते हैं. इस बार भी यहां भव्य सजावट की गई है. वहीं, आयोजक समिति के अनूप संथालिया बताते हैं की तैयारी पूरी है और किसी प्रकार की परेशानी लोगों को नहीं होगी.


सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम
मेला में उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किए हैं. एसपी सुरेन्द्र कुमार झा स्वंय मॉनिटरिंग कर रहे हैं. सुरक्षा के देखते हुए शुक्रवार को गिरिडीह एसपी सुरेंद्र झा ने खोरीमहुआ एसडीओ धीरेन्द्र कुमार, एसडीपीओ नवीन कुमार सिंह, सीओ शशिकांत सिंकर और धनवार थाना प्रभारी रूपेश कुमार सिंह के साथ राजघाट मेला परिसर का निरीक्षण किया और इसे लेकर पदाधिकारियों को कई जरूरी निर्देश दिए गए. उन्होंने घाट की सजावट का भी बारीकी से अवलोकन किया और समिति सदस्यों से भी मिले इस दौरान उन्होंने सुंदर सज्जा की प्रशंसा की और बधाई भी दी. उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया कि सुरक्षा मामले में प्रशासनिक स्तर पर कोई कमी नहीं होगी.

ये भी देखें- मुजफ्फरपुर: सात समंदर पार से महापर्व छठ पूजा मनाने पहुंची जर्मन बहू, बताया अनूठा अनुभव


क्या है कथा
कहा जाता है कि जब धनवार राजा के पीछे पड़े मुगल कारिंदे परेशान कर रहे थे, तब बिहार के सिउर से यहां आकर बसे राजपरिवार ने अपने महल किनारे इस राजा नदी पर पहली बार छठ करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया था और उनकी सारी विपत्तियां टल गई, मुरादें भी पूरी हुई. धीरे-धीरे यह घाट सार्वजनिक होता गया और यहां सूर्य उपासना का लाभ सबों को मिलने लगा.

Intro:गिरिडीह. जिले के धनवार प्रखंड में स्थित है राजघाट. इस राजघाट में छठ का व्रत करने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. इस घाट को लेकर कहा जाता है कि यहां पर मांगी गयी मन्नतें अवश्य पूरी होती है. लोकआस्था के महापर्व छठ में यहां भव्य सजावट भी होती है. सजावट की सुंदरता ऐसी कि किसी अलग दुनियां में होने एहसास लोगों को होता है. इस बार भी यहां भव्य सजावट किया गया है. कहीं सतयुग का सफर, कहीं त्रेता के नजारे, कहीं द्वापर के जीवंत से दृश्य और कही आधुनिक युग की सुंदर-सुखद कल्पना. इन दृश्यों से आनंदित होने के लिये लोग दूर-दूर से आते हैं. तीन दिनों तक यहां मेला लगता है. धनवार बाजार समेत छह किलोमीटर की परिधि को सजाया जाता है. ऐसे में बिहार, बंगाल व झारखंड प्रदेश के कोने-कोने से भी हजारों श्रद्धालु यहां पूजा के साथ-साथ इस मेले की सजावट को देखने पहुंचते हैं. इस बार भी यहां भव्य सजावट की गयी है. आयोजक समिति के अनूप संथालिया बताते हैं की तैयारी पूरी है और किसी प्रकार की परेशानी लोगों को नहीं होगी.Body:सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम
मेला में उमङनेवाली भीङ को देखते हुए प्रशासन ने भी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया है. एसपी सुरेन्द्र कुमार झा स्वंय मोनिटरिंग कर रहे हैं. सुरक्षा के मद्देनजर शुक्रवार दोपहर गिरिडीह एसपी सुरेंद्र झा ने खोरीमहुआ एसडीओ धीरेन्द्र कुमार, एसडीपीओ नवीन कुमार सिंह, सीओ शशिकांत सिंकर व धनवार थाना प्रभारी रूपेश कुमार सिंह के साथ राजघाट मेला परिसर का निरीक्षण किया तथा इस लेकर पदाधिकारियों को कई जरूरी निर्देश दिए. उन्होंने घाट की सजावट का भी बारीकी से अवलोकन किया. समिति सदस्यों से मिले और सुंदर सज्जा की प्रशंसा की, बधाई भी दिया. आश्वस्त किया कि सुरक्षा मामले में प्रशासनिक स्तर पर कोई कोर-कसर नहीं रखा जायेगा.

इसबार मेले में राजमहल के सामने प्रवेश द्वार के रूप में महाकालेश्वर द्वार, राजकचहरी परिसर में सैकड़ों प्रतिमाओं द्वारा दरसाया गया महाभारत का युद्ध, वहां से घाट तक दोनों तरफ जादुई थ्री डी वाल, मंदिरनुमा मुख्य द्वार, राजनदी पर बना काल्पनिक किंतु अतिसुन्दर बांस का पुल, नदी के दूसरे तट पर अमरनाथ गुफानुमा बना सूर्य मंदिर, इर्दगिर्द चारों धाम के मंदिर, नदी में विशालकाय शिव लिंग, आगे लकड़ी का दूसरा कलात्मक पुल, बगल में राधा-कृष्ण के सुंदर मंदिर तथा नदी किनारे दोनों तरफ कलाकृति प्रदर्शित करते दर्जनों विद्युतीय सज्जा मुख्य आकर्षण होंगे. इन्हें निखारने में बंगाल और झारखड के कई सज्जा जादूगर पिछले 20 दिनों से अपने दर्जनों सहयोगियों के साथ रात-दिन एक किये हुए हैं. यहां इस बार चारों धाम का दृश्य भी चित्रित किया गया है.Conclusion:क्या है कथा
बताया जाता है कि जब धनवार राजा के पीछे पड़े मुगल कारिंदे परेशान कर रहे थे, तब बिहार के सिउर से यहां आकर बसे राजपरिवार ने अपने महल किनारे इस राजा नदी पर पहली बार छठ करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया था और उनकी सारी विपत्तियां टल गई, मुरादें भी पूरी हुई. धीरे-धीरे यह घाट सार्वजनिक होता गया और यहां सूर्य उपासना का लाभ सबों को मिलने लगा. आज आलम यह है कि एक किमी दूर दीवानटोला घाट तक इसका विस्तार हो चुका है और दीवानटोला छठ पूजा समिति के लोग भी अपने घाट को इसी तर्ज पर कलात्मक रूप में सजाते हैं. मेला परिसर के बाहर लगने वाले तरह-तरह के खेल तामसे भी भीड़ को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाते हैं. आयोजन में पूजा समिति के अनूप संथालिया, बालेश्वर मोदी, जय प्रकाश गुप्ता, रोबिन साव, गोपाल साव, पंकज बरनवाल, राहुल कुमार, बिनोद राउत, महेंद्र स्वर्णकार, मुन्ना साव आदि की अहम भूमिका होती है.
बाइट 1: अनूप संथालिया, पूजा समिति के सदस्य
बाइट 2: सुरेन्द्र कुमार झा, एसपी
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