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उद्योगपति से रिश्वत लेते चार्टेड एकाउंटेंट गिरफ्तार, CBI ने की कार्रवाई - एसबीआई से लोन

गिरिडीह के उद्योगपति को कॉरपोरेट दिवालिया साबित करने में मदद करने की लालच देते हुए चार्टेड एकाउंटेंट ने 20 लाख इलीगल राशि मांगी थी. उसी उद्योगपति ने इसकी शिकायत सीबीआई से कर दी, जिसके बाद सीबीआई ने आगे की कार्रवाई शुरू करते हुए चार्टेड एकाउंटेंट को रिश्वत की पांच लाख रुपये के साथ गिरफ्तार कर लिया.

Chartered accountant arrested
फाइल
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Published : Feb 12, 2020, 1:07 AM IST

गिरिडीह: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने मंगलवार को गिरिडीह के मंझलाडीह स्थित आदि इस्पात नाम के फैक्ट्री में पहुंचकर फैक्ट्री मालिक से इलीगल तरीके से पैसा ले रहे चार्टेड एकाउंटेंट को गिरफ्तार किया है. पकड़ा गया चार्टेड एकाउंटेंट संजय कुमार अग्रवाल कोलकाता का रहने वाला है. रात में सीबीआई की टीम ने उक्त चार्टेड एकाउंटेंट का मेडिकल चेकअप सदर अस्पताल में करवाया. जिसके बाद पुनः फैक्ट्री पहुंच कर मामले की जांच शुरू कर दी.

देखिए पूरी खबर

यह कार्रवाई मेसर्स आदि इस्पात और श्रीबीर इस्पात के निदेशक अमित सरावगी द्वारा सीबीआई में दर्ज करायी गयी एफआईआर के बाद की गयी है. दरअसल, 3 फरवरी 2020 को अमित ने सीबीआई धनबाद के एसपी के पास शिकायत की थी. उसने कहा था कि चार्टेड एकाउंटेंट संजय कुमार अग्रवाल द्वारा उनकी कंपनी को दिवालिया के लिए प्रस्तावित करने के लिए दो लाख हर माह के साथ इस प्रक्रिया को 9 माह से 2 साल तक दिखाने के लिए 20 लाख की इलीगल डिमांड की गई है. शिकायत में यह भी कहा गया कि रकम मिलने पर फेवर में रिपोर्ट तैयार करने की बात उक्त चार्टेड एकाउंटेंट के द्वारा की गयी.

Chartered accountant arrested
शिकायत की कॉपी

इस शिकायत के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की. 3 फरवरी को सीबीआई के एंटी करप्शन ब्यूरो के इंस्पेक्टर अभय कुमार ने जांच करते हुए रिपोर्ट सौंपा. रिपोर्ट में कहा गया कि जांच में यह साफ हुआ है कि इलीगल तरीके से रकम मांगी गयी है. यह रिपोर्ट आने के बाद इस मामले की जांच सीबीआई एसीबी के एएसपी उमेश कुमार को सौंपा गया. जांच का जिम्मा मिलते ही मंगलवार को सीबीआई की टीम आदि इस्पात आ पहुंची. आदि इस्पात में पहले से ही चार्टेड एकाउंटेंट संजय कुमार अग्रवाल मौजूद थे और रिश्वत का पांच लाख रुपए ले रहे थे.

ये भी पढ़ें: पिता से मुलाकात करने रांची पहुंचे तेजस्वी यादव, दिल्ली में केजरीवाल को दी जीत की बधाई

आदि इस्पात और श्रीबीर इस्पात ने एसबीआई से लगभग 77 करोड़ का लोन लिया था, जिसे ये चुका नहीं सके. दोनों का लोन खाता एनपीए हो गया तो एसबीआई ने दोनों के खिलाफ एनसीएलटी पहुंची और कॉरपोरेट दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की मांग की. इस पर आगे की कार्रवाई शुरू हुई. दोनों कंपनियों के लिए अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल के तौर पर संजय को नियुक्त किया गया जिसने हेरफेर करना शुरू कर दिया.

गिरिडीह: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने मंगलवार को गिरिडीह के मंझलाडीह स्थित आदि इस्पात नाम के फैक्ट्री में पहुंचकर फैक्ट्री मालिक से इलीगल तरीके से पैसा ले रहे चार्टेड एकाउंटेंट को गिरफ्तार किया है. पकड़ा गया चार्टेड एकाउंटेंट संजय कुमार अग्रवाल कोलकाता का रहने वाला है. रात में सीबीआई की टीम ने उक्त चार्टेड एकाउंटेंट का मेडिकल चेकअप सदर अस्पताल में करवाया. जिसके बाद पुनः फैक्ट्री पहुंच कर मामले की जांच शुरू कर दी.

देखिए पूरी खबर

यह कार्रवाई मेसर्स आदि इस्पात और श्रीबीर इस्पात के निदेशक अमित सरावगी द्वारा सीबीआई में दर्ज करायी गयी एफआईआर के बाद की गयी है. दरअसल, 3 फरवरी 2020 को अमित ने सीबीआई धनबाद के एसपी के पास शिकायत की थी. उसने कहा था कि चार्टेड एकाउंटेंट संजय कुमार अग्रवाल द्वारा उनकी कंपनी को दिवालिया के लिए प्रस्तावित करने के लिए दो लाख हर माह के साथ इस प्रक्रिया को 9 माह से 2 साल तक दिखाने के लिए 20 लाख की इलीगल डिमांड की गई है. शिकायत में यह भी कहा गया कि रकम मिलने पर फेवर में रिपोर्ट तैयार करने की बात उक्त चार्टेड एकाउंटेंट के द्वारा की गयी.

Chartered accountant arrested
शिकायत की कॉपी

इस शिकायत के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की. 3 फरवरी को सीबीआई के एंटी करप्शन ब्यूरो के इंस्पेक्टर अभय कुमार ने जांच करते हुए रिपोर्ट सौंपा. रिपोर्ट में कहा गया कि जांच में यह साफ हुआ है कि इलीगल तरीके से रकम मांगी गयी है. यह रिपोर्ट आने के बाद इस मामले की जांच सीबीआई एसीबी के एएसपी उमेश कुमार को सौंपा गया. जांच का जिम्मा मिलते ही मंगलवार को सीबीआई की टीम आदि इस्पात आ पहुंची. आदि इस्पात में पहले से ही चार्टेड एकाउंटेंट संजय कुमार अग्रवाल मौजूद थे और रिश्वत का पांच लाख रुपए ले रहे थे.

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आदि इस्पात और श्रीबीर इस्पात ने एसबीआई से लगभग 77 करोड़ का लोन लिया था, जिसे ये चुका नहीं सके. दोनों का लोन खाता एनपीए हो गया तो एसबीआई ने दोनों के खिलाफ एनसीएलटी पहुंची और कॉरपोरेट दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की मांग की. इस पर आगे की कार्रवाई शुरू हुई. दोनों कंपनियों के लिए अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल के तौर पर संजय को नियुक्त किया गया जिसने हेरफेर करना शुरू कर दिया.

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