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नेताओं के चुनावी एजेंडे से गायब लोगों के मुद्दे! आजादी के 72 साल बाद भी नहीं है पीने का पानी

दुमका के कई गांवों में पानी की भारी किल्लत है. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसे लोग बेहद नाराज हैं, उनका कहना है कि नेता चुनावों के वक्त वादा तो करते हैं लेकिन चुनाव खत्म होते ही उसे भूल जाते हैं.

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Published : Apr 26, 2019, 9:05 AM IST

दुमका में पानी की किल्लत

दुमका: चुनावों के वक्त नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं. लेकिन जमीन पर आते-आते उन वादों की हवा निकल जाती है. आलम ये हो जा जाता है कि आम लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पाती हैं. कुछ यही हाल झारखंड की उपराजधानी का भी है. जहां लोग पीने की पाने के लिए तरह रहे हैं.

देखें वीडियो

पानी भरने में ही बीत जाता है काफी वक्त
सदर प्रखंड के बाघमारा गांव में पानी की घोर किल्लत है. यहां महिलाएं सुबह से ही बाल्टी लेकर घरों से निकल पड़ती हैं. उनके टोले में एक ही चापाकल दुरुस्त है इससे सारी महिलाएं वहीं जमा रहती हैं. काफी मश्कत के बाद उन्हें एक बाल्टी पानी नसीब होता है. इनका काफी समय सिर्फ पानी भरने में ही चला जाता है.

चापाकल खराब होने पर नदी से भरना पड़ता है पानी
महिलाओं की हालतत तब और ज्यादा बिगड़ जाती है जब यह चापाकल खराब हो जाता है. तब उन्हें आधा किलोमीटर दूर नदी में जाकर पानी लाना पड़ता है. इससे परेशानी और बढ़ जाती है साथ ही सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है.
जनप्रतिनिधियों से है नाराजगी
गांव के लोगों को नाराजगी इस बात की है कि नेता वादा कर उनका वोट तो ले लेते हैं पर बाद में देखने तक नहीं आते. गांव के कुछ लोगों ने तो पानी नहीं तो वोट नही देने की बात भी कही. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि वोट तो देंगे पर इस बार गांव में किसी प्रत्याशी को घुसने नहीं देंगे.

दुमका: चुनावों के वक्त नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं. लेकिन जमीन पर आते-आते उन वादों की हवा निकल जाती है. आलम ये हो जा जाता है कि आम लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पाती हैं. कुछ यही हाल झारखंड की उपराजधानी का भी है. जहां लोग पीने की पाने के लिए तरह रहे हैं.

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पानी भरने में ही बीत जाता है काफी वक्त
सदर प्रखंड के बाघमारा गांव में पानी की घोर किल्लत है. यहां महिलाएं सुबह से ही बाल्टी लेकर घरों से निकल पड़ती हैं. उनके टोले में एक ही चापाकल दुरुस्त है इससे सारी महिलाएं वहीं जमा रहती हैं. काफी मश्कत के बाद उन्हें एक बाल्टी पानी नसीब होता है. इनका काफी समय सिर्फ पानी भरने में ही चला जाता है.

चापाकल खराब होने पर नदी से भरना पड़ता है पानी
महिलाओं की हालतत तब और ज्यादा बिगड़ जाती है जब यह चापाकल खराब हो जाता है. तब उन्हें आधा किलोमीटर दूर नदी में जाकर पानी लाना पड़ता है. इससे परेशानी और बढ़ जाती है साथ ही सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है.
जनप्रतिनिधियों से है नाराजगी
गांव के लोगों को नाराजगी इस बात की है कि नेता वादा कर उनका वोट तो ले लेते हैं पर बाद में देखने तक नहीं आते. गांव के कुछ लोगों ने तो पानी नहीं तो वोट नही देने की बात भी कही. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि वोट तो देंगे पर इस बार गांव में किसी प्रत्याशी को घुसने नहीं देंगे.

Intro:दुमका - सरकार हो या सांसद या फिर विधायक सभी विकास के बड़े बड़े दावे करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है । झारखंड की उपराजधानी दुमका के एक गांव के लोगों को आज पानी जैसी बुनियादी जरूरत की पूर्ति नहीं हो पा रही है । दुमका से मनोज की खास रिपोर्ट ।


Body:पानी भरने में ही बीत जाता है काफी वक्त ।
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दुमका जिले के सदर प्रखंड बाघमारा गांव में पानी की घोर किल्लत है । इससे यहाँ की महिलाएं सुबह से ही बाल्टी लेकर घरों से निकल पड़ती है । उनके टोले में एक ही चापाकल दुरुस्त है इससे सारी महिलाएं वहीं जमा रहती है । काफी देर खड़ा रहने एक बाल्टी पानी नसीब होता है । जिससे उनका कई और कार्य नहीं हो पाता ।

चापाकल खराब होने पर नदी से भरना पड़ता है पानी ।
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इन महिलाओं का कहना है कि जब यह चापाकल खराब हो जाता है तो उन्हें आधा किलोमीटर दूर नदी में जाकर पानी लाना पड़ता है । इससे परेशानी और बढ़ जाती है साथ ही सेहत भी खराब हो जाता है ।
बाईट - ग्रामीण
बाईट -ग्रामीण


Conclusion:जनप्रतिनिधियों से है नाराजगी ।
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गांव के लोगों को नाराजगी इस बात की है कि लोग वादे कर उनका वोट ले लेते हैं पर बाद में देखने तक नहीं आते । गांव के कुछ लोगों ने तो पानी नहीं तो वोट नही देने जी बात कही । वहीं कुछ लोगों का कहना है कि वोट तो देंगे पर इस बार गांव में किसी प्रत्याशी को घुसने नहीं देंगे ।

बाईट- ग्रामीण
बाईट- ग्रामीण
बाईट - ग्रामीण

फाईनल वीओ - आज भी अगर लोग पानी के लिए तरस रहे हैं तो इतना ही कहा जा सकता है कि कहां है विकास किसका हुआ विकास ।

नोट - सर यह खबर रेडी टू एयर फॉर्मेट में भेजे हैं ।
मनोज केशरी
ईटीवी भारत,
दुमका
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