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अनोखी परंपराः मांगों को लेकर बाबा बासुकीनाथ के दरबार में भक्त देते हैं धरना, पूरी होती है हर मुराद

दुमका में बासुकीनाथ मंदिर में भक्तों के धरना देने की अनोखी परंपरा है. अपनी मन्नतों को पूरा करने को लेकर भक्त किसी फरियादी तरह मंदिर परिसर में धरना देते हैं. लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने से बाबा उनकी हर मुराद को पूरा करते हैं.

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बाबा बासुकी के दरबार में धरना
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Published : Dec 16, 2021, 8:30 PM IST

Updated : Dec 16, 2021, 9:32 PM IST

दुमकाः आपने अक्सर देखा होगा कि लोग अपनी मांगों को पूरा करने को लेकर सरकारी कार्यालय या जनप्रतिनिधियों के आवास के समक्ष धरना देते हैं. लेकिन दुमका स्थित बासुकीनाथ मंदिर में भगवान शिव के भक्त अपनी मन्नतों और मांगों को लेकर धरना देने की अनोखी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है. इसके पीछे की मान्यता है कि बाबा बासुकी के दरबार में धरना देने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

इसे भी पढ़ें- बाबा बासुकीनाथ का हुआ फुलाइस, जानिए क्या है परंपरा

सदियों से चला चली आ रही धरना देने की परंपरा
अधिकांश लोग पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिर जाते हैं और अपने इष्ट देवी-देवताओं की आराधना करते हैं. उनके सामने हाथ जोड़ कर मन्नत मांगते हैं कि ईश्वर मेरी पुकार सुन लो. लेकिन झारखंड के दुमका जिला में बासुकीनाथ ऐसा मंदिर है जहां भक्त अपनी मांगों को लेकर भगवान शिव के सामने धरने पर बैठ जाते हैं.

देखें पूरी खबर


बासुकीनाथ मंदिर में भक्त अपनी मांगों-मन्नतों को लेकर धरना देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. वर्तमान समय में भी दो दर्जन से अधिक पुरुष और महिलाएं यहां धरना दे रही हैं. कोई शारीरिक कष्ट से मुक्ति चाहता है तो कोई केस मुकदमा से परेशान है और अपने पक्ष में उसका हल चाहता है. कोई संतान की इच्छा रखता है तो किसी को नौकरी चाहिए या जिस किसी की शादी नहीं हो रही तो वह वैवाहिक बंधन में बनना चाहता है. हर कोई अपनी फरियाद लेकर अपनी मन्नतों के साथ महीनों और वर्षों से धरने पर बैठे हैं.

क्या कहते हैं बासुकीनाथ मंदिर में बैठे धरनार्थी
ये सभी झारखंड-बिहार के कई जिलों से आकर बाबा की शरण में डेरा जमाए हुए हैं. यह सभी धरनार्थी मंदिर परिसर से लेकर शिव गंगा तट की साफ-सफाई अपने इष्ट देव की सेवा के तौर पर करते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने बासुकीनाथ मंदिर परिसर में धरना पर बैठे कई लोगों से बात की. उन्होंने बताया कि हम अपनी समस्या के समाधान के लिए बाबा के द्वार पर आए हैं. किसी ने शारीरिक कष्ट की जानकारी दी तो कोई केस-मुकदमा में अपने पक्ष में जीत चाहता है.

कई ऐसे भी लोग हैं जो यह बताना नहीं चाहते कि वह क्यों आए हैं पूछे जाने पर बस मुस्कुराकर रह जाते हैं. वो कहते हैं कि भगवान जब मेरी सुन लेंगे तो मैं अपना धरना समाप्त कर दूंगा. बाबा बासुकीनाथ के दरबार में विरेंद्र यादव तीन साल से धरने पर बैठे हैं और शारीरिक कष्ट से मुक्ति चाहते हैं. वहीं निर्मला देवी जो बिहार के बांका जिला की रहने वाली हैं वह भी दो साल से धरना दे रही हैं. जबकि रामदेव भी सालभर से बाबा के द्वार पर धरना दे रहे है. सभी की अपनी-अपनी मांगे हैं वो अपनी-अपनी समस्या का समाधान चाहते हैं.

Unique tradition of devotees dharna at Basukinath temple in Dumka
धरने पर बैठे शिव भक्त

इसे भी पढ़ें- बाबा बासुकीनाथ के दरबार से कोई नहीं गया निराश! कांवरियों की ऐसे होती है यात्रा पूरी

दो तरह के धरने की व्यवस्था

बासुकीनाथ में धरना देने आए भक्त दो तरह के होते हैं. कुछ लोग एक निश्चित समय तय करके धरना देते हैं, जैसे कोई एक सप्ताह के लिए धरने पर बैठता है तो कोई 2 सप्ताह या कोई फिर कोई एक महीना. वहीं धरने का जो दूसरा स्वरूप है वह अनिश्चितकाल का है. इसमें जो भक्त आते हैं वो तब तक मंदिर परिसर में धरने पर बैठे रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती.

Unique tradition of devotees dharna at Basukinath temple in Dumka
बाबा भोलेनाथ की भक्ति में लीन भक्त

दूरदराज से आए भक्त इसमें से जो सामर्थ्यवान होते हैं वो मंदिर के इर्द-गिर्द स्थित धर्मशाला में किराए में कमरा लेकर रहते हैं. वहीं जिनके पास किराए के पैसे नहीं रहते हैं वो मंदिर प्रांगण में स्थित कमरे, बरामदे में अपनी डेरा जमा लेते हैं. कुछ भक्त ऐसे धर्मशाला, जिसमें मुफ्त रहने की व्यवस्था होती है, वो वहां रात गुजारते हैं. लेकिन सभी अहले सुबह ही मंदिर परिसर में आकर बाबा की भक्ति में लीन हो जाते हैं.

Unique tradition of devotees dharna at Basukinath temple in Dumka
मंदिर परिसर में धरना देती महिलाएं

नागेंद्र ने सुनाई आपबीती
मंदिर परिसर में धरनार्थियों के साथ बैठे हमारी मुलाकात बिहार के मधेपुरा जिला के आलमनगर निवासी नागेंद्र से हुई. उन्होंने बताया कि उनकी छाती में गंभीर बीमारी हो गयी थी. डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया था. तब जाकर उन्हें किसी ने बताया कि बासुकीनाथ बाबा के द्वार पर धरना दो वही तुम्हारे कष्ट दूर करेंगे. नागेंद्र बताते हैं कि कई साल तक यहीं रहे और कंदमूल-फल खाकर अपना ईलाज खुद करते रहे. आखिरकार भगवान ने उनकी सुन ली और बीमारी दूर हो गयी. नागेंद्र ने कहा कि मैं वापस अपने घर जा चुका हूं लेकिन बाबा से इतना प्रेम हो गया है कि बीच-बीच में पूजा करने आते हैं तो दो-तीन दिन यहीं रुक जाते हैं.


क्या कहते हैं मंदिर के पुरोहित और स्थानीय निवासी
मंदिर परिसर में धरना देने की अनोखी परंपरा को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मंदिर के पुरोहित और स्थानीय लोगों से बात की. इस बाबत उन्होंने बताया कि बाबा बासुकीनाथ के दरबार में लोग अपनी समस्या और मांगों को लेकर लंबे समय तक धरना देते हैं. यह परंपरा कब से चली आ रही है यह बताना मुश्किल है. मंदिर के पुरोहित कुंदन पत्रलेख कहते हैं कि उन्होंने काफी लोगों को देखा है जो कष्ट में आए, धरना दिया और भगवान की कृपा से उनका कष्ट दूर हुए और वो खुशी-खुशी वापस अपने घर लौट गए.

दुमकाः आपने अक्सर देखा होगा कि लोग अपनी मांगों को पूरा करने को लेकर सरकारी कार्यालय या जनप्रतिनिधियों के आवास के समक्ष धरना देते हैं. लेकिन दुमका स्थित बासुकीनाथ मंदिर में भगवान शिव के भक्त अपनी मन्नतों और मांगों को लेकर धरना देने की अनोखी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है. इसके पीछे की मान्यता है कि बाबा बासुकी के दरबार में धरना देने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

इसे भी पढ़ें- बाबा बासुकीनाथ का हुआ फुलाइस, जानिए क्या है परंपरा

सदियों से चला चली आ रही धरना देने की परंपरा
अधिकांश लोग पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिर जाते हैं और अपने इष्ट देवी-देवताओं की आराधना करते हैं. उनके सामने हाथ जोड़ कर मन्नत मांगते हैं कि ईश्वर मेरी पुकार सुन लो. लेकिन झारखंड के दुमका जिला में बासुकीनाथ ऐसा मंदिर है जहां भक्त अपनी मांगों को लेकर भगवान शिव के सामने धरने पर बैठ जाते हैं.

देखें पूरी खबर


बासुकीनाथ मंदिर में भक्त अपनी मांगों-मन्नतों को लेकर धरना देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. वर्तमान समय में भी दो दर्जन से अधिक पुरुष और महिलाएं यहां धरना दे रही हैं. कोई शारीरिक कष्ट से मुक्ति चाहता है तो कोई केस मुकदमा से परेशान है और अपने पक्ष में उसका हल चाहता है. कोई संतान की इच्छा रखता है तो किसी को नौकरी चाहिए या जिस किसी की शादी नहीं हो रही तो वह वैवाहिक बंधन में बनना चाहता है. हर कोई अपनी फरियाद लेकर अपनी मन्नतों के साथ महीनों और वर्षों से धरने पर बैठे हैं.

क्या कहते हैं बासुकीनाथ मंदिर में बैठे धरनार्थी
ये सभी झारखंड-बिहार के कई जिलों से आकर बाबा की शरण में डेरा जमाए हुए हैं. यह सभी धरनार्थी मंदिर परिसर से लेकर शिव गंगा तट की साफ-सफाई अपने इष्ट देव की सेवा के तौर पर करते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने बासुकीनाथ मंदिर परिसर में धरना पर बैठे कई लोगों से बात की. उन्होंने बताया कि हम अपनी समस्या के समाधान के लिए बाबा के द्वार पर आए हैं. किसी ने शारीरिक कष्ट की जानकारी दी तो कोई केस-मुकदमा में अपने पक्ष में जीत चाहता है.

कई ऐसे भी लोग हैं जो यह बताना नहीं चाहते कि वह क्यों आए हैं पूछे जाने पर बस मुस्कुराकर रह जाते हैं. वो कहते हैं कि भगवान जब मेरी सुन लेंगे तो मैं अपना धरना समाप्त कर दूंगा. बाबा बासुकीनाथ के दरबार में विरेंद्र यादव तीन साल से धरने पर बैठे हैं और शारीरिक कष्ट से मुक्ति चाहते हैं. वहीं निर्मला देवी जो बिहार के बांका जिला की रहने वाली हैं वह भी दो साल से धरना दे रही हैं. जबकि रामदेव भी सालभर से बाबा के द्वार पर धरना दे रहे है. सभी की अपनी-अपनी मांगे हैं वो अपनी-अपनी समस्या का समाधान चाहते हैं.

Unique tradition of devotees dharna at Basukinath temple in Dumka
धरने पर बैठे शिव भक्त

इसे भी पढ़ें- बाबा बासुकीनाथ के दरबार से कोई नहीं गया निराश! कांवरियों की ऐसे होती है यात्रा पूरी

दो तरह के धरने की व्यवस्था

बासुकीनाथ में धरना देने आए भक्त दो तरह के होते हैं. कुछ लोग एक निश्चित समय तय करके धरना देते हैं, जैसे कोई एक सप्ताह के लिए धरने पर बैठता है तो कोई 2 सप्ताह या कोई फिर कोई एक महीना. वहीं धरने का जो दूसरा स्वरूप है वह अनिश्चितकाल का है. इसमें जो भक्त आते हैं वो तब तक मंदिर परिसर में धरने पर बैठे रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती.

Unique tradition of devotees dharna at Basukinath temple in Dumka
बाबा भोलेनाथ की भक्ति में लीन भक्त

दूरदराज से आए भक्त इसमें से जो सामर्थ्यवान होते हैं वो मंदिर के इर्द-गिर्द स्थित धर्मशाला में किराए में कमरा लेकर रहते हैं. वहीं जिनके पास किराए के पैसे नहीं रहते हैं वो मंदिर प्रांगण में स्थित कमरे, बरामदे में अपनी डेरा जमा लेते हैं. कुछ भक्त ऐसे धर्मशाला, जिसमें मुफ्त रहने की व्यवस्था होती है, वो वहां रात गुजारते हैं. लेकिन सभी अहले सुबह ही मंदिर परिसर में आकर बाबा की भक्ति में लीन हो जाते हैं.

Unique tradition of devotees dharna at Basukinath temple in Dumka
मंदिर परिसर में धरना देती महिलाएं

नागेंद्र ने सुनाई आपबीती
मंदिर परिसर में धरनार्थियों के साथ बैठे हमारी मुलाकात बिहार के मधेपुरा जिला के आलमनगर निवासी नागेंद्र से हुई. उन्होंने बताया कि उनकी छाती में गंभीर बीमारी हो गयी थी. डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया था. तब जाकर उन्हें किसी ने बताया कि बासुकीनाथ बाबा के द्वार पर धरना दो वही तुम्हारे कष्ट दूर करेंगे. नागेंद्र बताते हैं कि कई साल तक यहीं रहे और कंदमूल-फल खाकर अपना ईलाज खुद करते रहे. आखिरकार भगवान ने उनकी सुन ली और बीमारी दूर हो गयी. नागेंद्र ने कहा कि मैं वापस अपने घर जा चुका हूं लेकिन बाबा से इतना प्रेम हो गया है कि बीच-बीच में पूजा करने आते हैं तो दो-तीन दिन यहीं रुक जाते हैं.


क्या कहते हैं मंदिर के पुरोहित और स्थानीय निवासी
मंदिर परिसर में धरना देने की अनोखी परंपरा को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मंदिर के पुरोहित और स्थानीय लोगों से बात की. इस बाबत उन्होंने बताया कि बाबा बासुकीनाथ के दरबार में लोग अपनी समस्या और मांगों को लेकर लंबे समय तक धरना देते हैं. यह परंपरा कब से चली आ रही है यह बताना मुश्किल है. मंदिर के पुरोहित कुंदन पत्रलेख कहते हैं कि उन्होंने काफी लोगों को देखा है जो कष्ट में आए, धरना दिया और भगवान की कृपा से उनका कष्ट दूर हुए और वो खुशी-खुशी वापस अपने घर लौट गए.

Last Updated : Dec 16, 2021, 9:32 PM IST
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