दुमका: जिले के रानीश्वर प्रखंड के दिगुली गांव में स्थित संथाल काटा पोखर को शहीद स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. यहां शहीदों की प्रतिमा लगाकर जिले के गौरवशाली इतिहास को जनता के सामने रखने की योजना जिला प्रशासन ने बनाई है.
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तालाब काटा का है ऐतिहासिक महत्व: दुमका के रानीश्वर प्रखंड के दिगुली गांव में स्थित संथाल काटा तालाब का काफी ऐतिहासिक महत्व है. इसका संबंध 1855 के संथाल हूल क्रांति से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि संथाल हूल क्रांति में शामिल हजारों क्रांतिकारी अंग्रेजी महाजनी प्रथा और भू राजस्व में बढ़ोतरी के खिलाफ आंदोलन के लिए साहिबगंज के भोगनाडीह से कोलकाता जा रहे थे. रास्ते में इसी दिगुली गांव के समीप अंग्रजों ने उन पर हमला कर दिया और काफी संख्या में क्रांतिकारियों की हत्या कर बगल में स्थित तालाब में डाल दिया. इसी वजह से इस तालाब का नाम संथाल काटा पड़ा.
शहीद स्थल के लिए वर्षों से हो रही है मांग:इस संथाल काटा पोखर को शहीद और पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की मांग वर्षों से स्थानीय लोगों द्वारा की जा रही है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर संथाल काटा पोखर स्मारक समिति का भी गठन 22 वर्ष पूर्व किया गया था. इस कमेटी के अध्यक्ष श्याम राय और सचिव गौतम चटर्जी बताते हैं कि संथाल हूल का काफी दुखद अंत हुआ था. भले ही इस पोखर का नाम संथाल काटा पोखर है लेकिन इस आंदोलन में सभी जाति के लोग शामिल हुए थे और उनकी भी शहादत हुई थी. हमलोग इस तालाब को विकसित करने की मांग वर्षो से करते आ रहे हैं लेकिन अब जब पिछले माह गणतंत्र दिवस पर जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री के समक्ष इस की झांकी निकाली तो हम काफी खुश हैं कि अब इसे विकसित करने की दिशा में 165 वर्ष बाद ही सही पर अब आवश्यक पहल शुरू कर दी गई है.