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दुमका में शहीद स्थल के रूप में विकसित होगा संथाल काटा तालाब, संथाल के शहीदों की लगेगी प्रतिमा

दुमका के रानीश्वर में स्थित संथाल काटा तालाब को शहीद स्थल के रूप में विकसित किए जाने की योजना है. यहां शहीदों की प्रतिमा लगाकर जिले के गौरवशाली इतिहास को जनता के सामने रखने की योजना जिला प्रशासन ने बनाई है.

Martyr spot  in Dumka
दुमका में शहीद स्थल
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Published : Feb 17, 2022, 10:32 AM IST

Updated : Feb 17, 2022, 12:55 PM IST

दुमका: जिले के रानीश्वर प्रखंड के दिगुली गांव में स्थित संथाल काटा पोखर को शहीद स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. यहां शहीदों की प्रतिमा लगाकर जिले के गौरवशाली इतिहास को जनता के सामने रखने की योजना जिला प्रशासन ने बनाई है.


ये भी पढ़ें- संथाल परगना में साइबर अपराधियों पर कसेगा शिकंजा, संपत्ति होगी जब्त
तालाब काटा का है ऐतिहासिक महत्व: दुमका के रानीश्वर प्रखंड के दिगुली गांव में स्थित संथाल काटा तालाब का काफी ऐतिहासिक महत्व है. इसका संबंध 1855 के संथाल हूल क्रांति से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि संथाल हूल क्रांति में शामिल हजारों क्रांतिकारी अंग्रेजी महाजनी प्रथा और भू राजस्व में बढ़ोतरी के खिलाफ आंदोलन के लिए साहिबगंज के भोगनाडीह से कोलकाता जा रहे थे. रास्ते में इसी दिगुली गांव के समीप अंग्रजों ने उन पर हमला कर दिया और काफी संख्या में क्रांतिकारियों की हत्या कर बगल में स्थित तालाब में डाल दिया. इसी वजह से इस तालाब का नाम संथाल काटा पड़ा.

शहीद स्थल के लिए वर्षों से हो रही है मांग:इस संथाल काटा पोखर को शहीद और पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की मांग वर्षों से स्थानीय लोगों द्वारा की जा रही है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर संथाल काटा पोखर स्मारक समिति का भी गठन 22 वर्ष पूर्व किया गया था. इस कमेटी के अध्यक्ष श्याम राय और सचिव गौतम चटर्जी बताते हैं कि संथाल हूल का काफी दुखद अंत हुआ था. भले ही इस पोखर का नाम संथाल काटा पोखर है लेकिन इस आंदोलन में सभी जाति के लोग शामिल हुए थे और उनकी भी शहादत हुई थी. हमलोग इस तालाब को विकसित करने की मांग वर्षो से करते आ रहे हैं लेकिन अब जब पिछले माह गणतंत्र दिवस पर जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री के समक्ष इस की झांकी निकाली तो हम काफी खुश हैं कि अब इसे विकसित करने की दिशा में 165 वर्ष बाद ही सही पर अब आवश्यक पहल शुरू कर दी गई है.

देखें वीडियो
क्या कहते हैं जिले के उपायुक्त: संथाल काटा पोखर को विकसित करने की दिशा में आवश्यक पहल करते हुए दुमका उपायुक्त रविशंकर शुक्ला और दुमका के विधायक बसंत सोरेन कई बार उक्त स्थान का जायजा ले चुके हैं. जिले के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला बताते हैं कि यह तालाब संथाल हूल आंदोलन से जुड़ा है खतियान में यह तालाब संथाल काटा पोखर के नाम से दर्ज है. इसे शहीद स्थल के तौर पर विकसित किया जाएगा यहां शहीदों की प्रतिमा लगेगी और इसके ऐतिहासिक पहलू को उजागर करने से संबंधित चीजों को विकसित किया जाएगा. पहले चरण में ग्रामीण विकास विभाग विशेष प्रमंडल के द्वारा कुछ कार्य शुरू किया जा रहा है. इसके बाद राज्य स्तर से भी कई काम होने हैं. शहीदों को सम्मान मिलना स्वागतयोग्य कदम: अब सरकार के द्वारा संथाल हूल क्रांति के 167 वर्ष बाद संथाल काटा पोखर को शहीद स्मारक स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है. स्थानीय लोगों ने प्रशासन के इस फैसले की सराहना की है. लोगों के मुताबिक अंग्रेजों के खिलाफ जिन्होंने आंदोलन किया और जो शहीद हुए उनको सम्मान मिलना ही चाहिए.

दुमका: जिले के रानीश्वर प्रखंड के दिगुली गांव में स्थित संथाल काटा पोखर को शहीद स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. यहां शहीदों की प्रतिमा लगाकर जिले के गौरवशाली इतिहास को जनता के सामने रखने की योजना जिला प्रशासन ने बनाई है.


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तालाब काटा का है ऐतिहासिक महत्व: दुमका के रानीश्वर प्रखंड के दिगुली गांव में स्थित संथाल काटा तालाब का काफी ऐतिहासिक महत्व है. इसका संबंध 1855 के संथाल हूल क्रांति से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि संथाल हूल क्रांति में शामिल हजारों क्रांतिकारी अंग्रेजी महाजनी प्रथा और भू राजस्व में बढ़ोतरी के खिलाफ आंदोलन के लिए साहिबगंज के भोगनाडीह से कोलकाता जा रहे थे. रास्ते में इसी दिगुली गांव के समीप अंग्रजों ने उन पर हमला कर दिया और काफी संख्या में क्रांतिकारियों की हत्या कर बगल में स्थित तालाब में डाल दिया. इसी वजह से इस तालाब का नाम संथाल काटा पड़ा.

शहीद स्थल के लिए वर्षों से हो रही है मांग:इस संथाल काटा पोखर को शहीद और पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की मांग वर्षों से स्थानीय लोगों द्वारा की जा रही है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर संथाल काटा पोखर स्मारक समिति का भी गठन 22 वर्ष पूर्व किया गया था. इस कमेटी के अध्यक्ष श्याम राय और सचिव गौतम चटर्जी बताते हैं कि संथाल हूल का काफी दुखद अंत हुआ था. भले ही इस पोखर का नाम संथाल काटा पोखर है लेकिन इस आंदोलन में सभी जाति के लोग शामिल हुए थे और उनकी भी शहादत हुई थी. हमलोग इस तालाब को विकसित करने की मांग वर्षो से करते आ रहे हैं लेकिन अब जब पिछले माह गणतंत्र दिवस पर जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री के समक्ष इस की झांकी निकाली तो हम काफी खुश हैं कि अब इसे विकसित करने की दिशा में 165 वर्ष बाद ही सही पर अब आवश्यक पहल शुरू कर दी गई है.

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क्या कहते हैं जिले के उपायुक्त: संथाल काटा पोखर को विकसित करने की दिशा में आवश्यक पहल करते हुए दुमका उपायुक्त रविशंकर शुक्ला और दुमका के विधायक बसंत सोरेन कई बार उक्त स्थान का जायजा ले चुके हैं. जिले के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला बताते हैं कि यह तालाब संथाल हूल आंदोलन से जुड़ा है खतियान में यह तालाब संथाल काटा पोखर के नाम से दर्ज है. इसे शहीद स्थल के तौर पर विकसित किया जाएगा यहां शहीदों की प्रतिमा लगेगी और इसके ऐतिहासिक पहलू को उजागर करने से संबंधित चीजों को विकसित किया जाएगा. पहले चरण में ग्रामीण विकास विभाग विशेष प्रमंडल के द्वारा कुछ कार्य शुरू किया जा रहा है. इसके बाद राज्य स्तर से भी कई काम होने हैं. शहीदों को सम्मान मिलना स्वागतयोग्य कदम: अब सरकार के द्वारा संथाल हूल क्रांति के 167 वर्ष बाद संथाल काटा पोखर को शहीद स्मारक स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है. स्थानीय लोगों ने प्रशासन के इस फैसले की सराहना की है. लोगों के मुताबिक अंग्रेजों के खिलाफ जिन्होंने आंदोलन किया और जो शहीद हुए उनको सम्मान मिलना ही चाहिए.
Last Updated : Feb 17, 2022, 12:55 PM IST
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